डाॅ. वेदप्रताप वैदिक
डाॅ. वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डाॅ. राममनोहर लोहिया की महान परंपरा को आगे बढ़ानेवाले योद्धाओं में वैदिकजी का नाम अग्रणी है।
पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, प्रभावशाली वक्तृत्व, संगठन-कौशल आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ मूर्धन्यता प्रदर्षित करने वाले अद्वितीय व्यक्त्तिव के धनी डाॅ. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को पौष की पूर्णिमा पर इंदौर में हुआ। वे सदा प्रथम श्रेणी के छात्र रहे। वे रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के भी जानकार हैं। उन्होंने अपनी पीएच.डी. के शोधकार्य के दौरान न्यूयार्क की कोलंबिया युनिवर्सिटी, मास्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल आॅफ ओरिंयटल एंड एफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया।
वैदिकजी नेे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा। उनका निष्कासन हुआ। वह राष्ट्रीय मुद्दा बना। 1965-67 में संसद हिल गई।
डाॅ. राममनोहर लोहिया, मधु लिमये, आचार्य कृपालानी, इंदिरा गांधी, गुरू गोलवलकर, दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर, हिरेन मुखर्जी, हेम बरूआ, भागवत झा आजाद, प्रकाशवीर शास्त्री, किशन पटनायक, डाॅ. जाकिर हुसैन, रामधारी सिंह दिनकर, डाॅ. धर्मवीर भारती, डाॅ. हरिवंशराय बच्चन, प्रो. सिद्धेश्वर प्रसाद जैसे लोगों ने वैदिकजी का डटकर समर्थन किया। सभी दलों के समर्थन से वैदिकजी ने विजय प्राप्त की, नया इतिहास रचा। पहली बार उच्च शोध के लिए भारतीय भाषाओं के द्वार खुले।
वैदिकजी ने अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ 13 वर्ष की आयु में की थी। हिंदी सत्याग्रही के तौर पर वे 1957 में पटियाला जेल में रहे। बाद में छात्र नेता और भाषाई आंदोलनकारी के तौर पर कई जेल यात्राएं ! भारत में चलनेवाले अनेक प्रचंड जन-आंदोलनों के सूत्रधार!
अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन! राष्ट्रीय राजनीति और भारतीय विदेष नीति के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका ! कई भारतीय और विदेषी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तिगत मित्र और अनौपचारिक सलाहकार। लगभग 80 देषोें की कूटनीतिक और अकादमिक यात्राएं। 1999 में संयुक्तराष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व! इसी वर्ष विस्कोन्सिन युनिवर्सिटी द्वारा आयोजित दक्षिण एशियाई विश्व-सम्मेलन का उद्घाटन!
पिछले 60 वर्षों में हजारों लेख और भाषण! वे लगभग 10 वर्षों तक पीटीआई भाषा (हिन्दी समाचार समिति) के संस्थापक-संपादक और उसके पहले नवभारत टाइम्स के संपादक (विचारक) रहे हैं। फिलहाल दिल्ली के राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग 200 समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर डाॅ. वैदिक के लेख हर सप्ताह प्रकाशित होते हैं।
छात्र-काल में वक्तृत्व के अनेक अखिल भारतीय पुरस्कार। भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों में विशेष व्याख्यान। अनेक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व। आकाशवाणी और विभिन्न टीवी चैनलों पर 1962 से अब तक अगणित कार्यक्रम। पुस्तकें: ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमेरिकी प्रतिस्पर्धा’, ‘अंग्रेजी हटाओ: क्यों और कैसे?’, ‘हिन्दी पत्रकारिता-विविध आयाम’, ‘भारतीय विदेश नीतिः नए दिशा संकेत’, ‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका: इंडियाज आॅप्शन्स’, ‘हिन्दी का संपूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो?’, ‘वर्तमान भारत’, ‘अफगानिस्तान: कल, आज और कल’, ‘महाशक्ति भारत’, ‘भाजपा, हिंदुत्व और मुसलमान’, ‘कुछ मित्र और कुछ महापुरुष,’ ‘मेरे सपनों का हिंदी विश्वविद्यालय’ ‘हिंदी कैसे बने विश्वभाषा’ ‘स्वभाषा लाओ:अंग्रेजी हटाओ’, आदि।
अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित! विश्व हिन्दी सम्मान (2003), महात्मा गांधी सम्मान (2008), दिनकर शिखर सम्मान, पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण-पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार, हिन्दी अकादमी सम्मान, लोहिया सम्मान, काबुल विश्वविद्यालय पुरस्कार, मीडिया इंडिया सम्मान, लाला लाजपतराय सम्मान आदि। अनेक न्यासों, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय। अध्यक्ष, भारतीय भाषा सम्मेलन एव भारतीय विदेश नीति परिषद!
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DR. VED PRATAPVAIDIK
(Chairman, Council for Indian Foreign Policy)
Dr. Vaidik is a well-known Scholar, Political Analyst, Orator and a Columnist on national and international affairs. Dr. Vaidik worked with Press Trust of India for a decade as the Founder-Editor of its Hindi News Agency “BHASHA”. Earlier he held the position of Editor (views), Nav Bharat Times – (the then largest circulated National Hindi daily). Currently, he is the Chairman, Council for Indian Foreign Policy and Bhartiya Bhasha Sammelan. More than two hundred newspapers carry his column regularly.
Born on the 30th December 1944, Dr. Vaidik has been throughout a first class student. He was awarded the degree of Ph.D. in International Affairs from Jawaharlal Nehru University in 1971. He knows Russian, Persian, English, Sanskrit, Hindi andseveral other Indian languages. He won several all India awards in debating and elocutionary contests.
While doing research on Afghan Foreign Policy, Vaidik studied at Columbia University, New York, School of Oriental and African Studies, London; Institute of the Peoples of Asia, Moscow and did extensive field work in Afghanistan. As an expert on international affairs and an Editor, Dr. Vaidik has had an opportunity to rub shoulders with Prime Ministers, Foreign ministers, dissidents and guerilla leaders of several Asian and Western countries. He has been a member of the Indian Delegation to the UN in 1999. He also had the honor of inaugurating the Annual Conference on South Asia organized byWisconsin University in 1999.
As a Ph.D. Student at Indian School of International Studies, Vaidik, insisted on writing his thesis in his mothertongue , Hindi. It led to his expulsion from the School. The principled stand of Vaidik evoked nationwide response and the Indian Parliament went through unprecedented debates and uproarious scenes in 1966-67. Vaidik created history by winning the right for allIndian languages to be the medium of expression at the highest academic level.
He has been frequently appearing on Indian and Foreign television and broadcasting networks since 1962. Apart from the Indian Channels, Dr. Vaidik has been interviewed by BBC, CNN & CCTV. He is one of the most reputed mass orators inIndia. He has also been invited by several Indian and foreign universities to deliver special lectures on International Politics and Journalism.
Dr. Vaidik has taught Political Science at Motilal Nehru College, Delhi University. He has been a Senior Fellow at the Institutefor Defense Studies and Analyses and at SIS Jawaharlal Nehru University. He has several award winning researchpublications to his credit. Books ; 1) Soviet-American Rivalry in Afghanistan; 2) Hindi Journalism : Various Dimensions ; 3) Indian Foreign Policy : New Pointers; 4) Bhartiya Bhashayen Lao : Kyon Aur Kaise; 5) Hindi ka Sampurna Samachar Patra Kaisa ho ?; 6)Vartmaan Bharat ; 7) Afghanistan : Kal, Aaj aur Kal ; 8) Mahshakti Bharat (All in Hindi) ; 9) Ethnic Crisis in Sri Lanka : India’s Options (In English); 10) BJP, Hindutva Aur Mushalman.
Dr. Vaidik is a widely travelled scholar-journalist. He has visited more than 80 countries on various missions. Dr. Vaidik has won more than a dozen National and International awards for academic and journalistic excellence. He has been a member of several Advisory Committees of Government of India.
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जन्म: 30 दिसंबर, 1944, इंदौर
वृत्तिः संपादकीय निदेशक, ‘नेटजाल.काॅम’ (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल) तथा लगभग दर्जनभर प्रमुख अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन.
शिक्षा:
(1) पीएच.डी (अंतरराष्ट्रीय राजनीति), स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज, जवाहरलाल नेहरु वि.वि., 1971. विषय — अफगानिस्तान के साथ सोवियत संघ और अमेरिका के संबंधों का तुलनात्मक अध्ययन, 1946-1963 (पीएच.डी. शोध-कार्य के दौरान न्यूयार्क के कोलम्बिया विश्वविद्यालय, वाशिंगटन डी. सी. की लायब्रेरी आॅफ कांग्रेस, मास्को की विज्ञान अकादमी, लंदन के प्राच्य-विद्या संस्थान तथा काबुल विश्वविद्यालय में विशेष अध्ययन का अवसर)
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के शोधग्रंथ को अपनी मातृभाषा, हिन्दी, में लिखने का आग्रह, शोध-संस्थान से निष्कासन, सारे देश में रोष की लहर, इस प्रश्न पर सर्वश्री डाॅ. राममनोहर लोहिया, आचार्य कृपालानी, अटलबिहारी वाजपेयी, चंद्रशेखर, जाॅर्ज फर्नांडिस, भागवत झा आजाद, मधु लिमये, रवि राय, राजनारायण, सिद्धेश्वर प्रसाद, हेम बरूआ, के. उमानाथ, किशन पटनायक, प्रकाशवीर शास्त्री, हीरेन मुखर्जी आदि ने दो साल तक (1966-67) संसद को हिलाये रखा.
श्रीमती इंदिरा गांधी, डाॅ. ज़ाकिर हुसैन, डाॅ. संपूर्णानंद, पं0 दीनदयाल उपाध्याय, डाॅ. त्रिगुण सेन, रामधारीसिंह दिनकर, डाॅ. हरिवंशराय बच्चन तथा डाॅ. धर्मवीर भारती जैसे मनीषियों द्वारा विशेष प्रोत्साहन. लगभग सभी राजनैतिक दलों के सहयोग से भाषाई संघर्ष में ऐतिहासिक विजय. इस संघर्ष के कारण हिंदी के साथ-साथ समस्त भारतीय भाषाओं को पहली बार यह मान्यता मिली की वे पीएच. डी. शोधग्रंथों का माध्यम बन सकेंगी.
(2) एम.ए. (राजनीति शास्त्र), प्रथम श्रेणी इंदौर क्रिश्चियन काॅलेज, इंदौर विश्वविद्यालय, 1965
(3) बी.ए. (राजनीति शास्त्र, दर्शनशास्त्र, संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी) प्रथम श्रेणी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, 1963
(4) संस्कृत (सातवलेकर परीक्षाएं),1955 प्रथम श्रेणी
(5) रूसी भाषा (स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज),1967 प्रथम श्रेणी
(6) फारसी भाषा (स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज), 1968 प्रथम श्रेणी
छात्रवृत्तियां:
(1) राष्ट्रीय प्रतिभा छात्रवृत्ति, 1963-64. एवं
(2) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग शोधवृत्ति, 1964-1966
शोधवृत्तियां:
(3) वरिष्ठ शोधवृत्ति, इंडियन काॅसिल आॅफ सोश्यल साइंस रिसर्च, 1981-1983
‘इंस्टीट्यूट फाॅर डिफेंस स्टडीज एण्ड एनालिसस’ तथा ‘स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज’ (ज.नेहरू.वि.वि.) में दो साल तक ‘सीनियर फेलो’ के तौर पर शोधकार्य.
अध्यापन:
हस्तिनापुर काॅलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) में राजनीति शास्त्र का अध्यापन, 1970-74. पिछले 30 वर्षों में अनेक भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय राजनीति एवं पत्रकारिता पर अल्पकालिक अध्यापन-कार्यक्रम चलाते रहे।
पुस्तकें:
(1) ‘हिन्दी पत्रकारिता: विविध आयाम’, संपादित (नेशनल, 1976),पाँच संस्करण (हिन्दी बुक सेंटर), हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास, कला और अधुनातन प्रवृत्तियों का विवेचन करने वाले इस ग्रंथ को समीक्षकों ने ‘हिन्दी पत्रकारिता का विश्वकोष’ कहा है. लगभग सभी विश्वविद्यालयों में इसका संदर्भ ग्रंथ के तौर पर उपयोग किया जाता है. इसके कई संस्करण हो चुके हैं,
(2) ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमरीकी प्रतिस्पर्धा’ (नेशनल पब्लिशिंग हाउस, 1973). : अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर हिंदी का यह पहला शोधग्रंथ है, विद्वान समीक्षकों ने इसे अपने विषय का ‘प्रामाणिक’ और ‘मौलिक’ संदर्भ ग्रंथ कहा है. यह फारसी, रूसी और अंग्रेजी स्रोतों के आधार पर लिखा गया है. इस ग्रंथ पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं.
(3) ‘भारतीय विदेश नीति: नये दिशा संकेत’ (नेशनल, 1971) इस ग्रंथ को समीक्षकों ने ‘मौलिक चिंतन और भविष्य दृष्टि’ का उल्लेखनीय दस्तावेज घोषित किया है।
(4) ‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका: इंडिया’ज़ आॅप्शंस’ (नेशनल, 1985).श्रीलंका की तमिल समस्या पर किसी भारतीय द्वारा लिखा गया यह पहला ग्रंथ है.
(5) ‘अफगानिस्तान: कल, आज और कल’ (राजकमल प्रकाशन, 2002). अफगानिस्तान के इतिहास, समाज और राजनीति पर इस तरह का गवेषणात्मक और मौलिक व्याख्यासम्पन्न ग्रंथ दुनिया की किसी भी अन्य भाषा में उपलब्ध नहीं है.
(6) ‘वर्तमान भारत’ (राजकमल प्रकाशन, 2002). समसामयिक भारत की राजनीति पर लिखे गए विश्लेषणात्मक निबंधों का संग्रह !
(7) ‘महाशक्ति भारत’ (राजकमल प्रकाशन, 2002). इस ग्रंथ में भारत को महाशक्ति बनाने का स्वप्न देखा गया है और उस स्वप्न को साकार करने के उपायों पर विचार किया गया है।
(8) ‘अंग्रेजी हटाओ: क्यों और कैसे ? (प्रभात प्रकाशन, दिल्ली प्रथम संस्करण 1973, सातवां संस्करण, 1998) : इस पुस्तक की 75 हजार प्रतियां बिक चुकी हैं और इसका मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, संस्कृत, गुजराती, मराठी, बांग्ला, असमिया, पंजाबी,उर्दू, सिंधी, मणिपुरी, कश्मीरी, कोंकणी तथा ओडि़या आदि में अनुवाद हो चुका है.
(9) हिंदी का सम्पूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो ? (प्रवीण प्रकाशन, 1994), तीन संस्करण.
(10) ‘भाजपा, हिंदुत्व और मुसलमान’ (राजकमल प्रकाशन)
(11)‘कुछ महापुरूष और कुछ मित्र’ शीघ्र प्रकाश्य
(12) मोरिशस, मध्य एशिया और चीन के तीन यात्रा-वृतांत प्रकाशनाधीन
पत्रकारिता:
(1) 1958 में प्रूफ रीडर के तौर पर पत्रकारिता में प्रवेश. तब से अब तक लगभग 1000 लेख, दर्जनों शोधपत्र, लगभग दो हजार संपादकीय तथा सैकड़ों समीक्षाएं प्रकाशित. पिछले तीन दशकों में ‘नई दुनिया’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘हिंदुस्तान’, ‘जनसत्ता’, ‘भास्कर’, ‘टाइम्स आॅफ इंडिया’, ‘धर्मयुग’, ‘दिनमान’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘इंटरनेशनल स्टडीज’, ‘स्ट्रटेजिक एनालिसिस’, ‘वल्र्ड फोकस’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर लेख और भेंट वार्ताएं.
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान, श्रीलंका, चेकोस्लोवाकिया, सूरिनाम आदि राष्ट्रों के शीर्ष नेताओं से की गई भेंट-वार्ताओं को अंतरराष्ट्रीय ख्याति. फिलहाल, देश के लगभग दर्जन भर अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन.
(2) संपादक, ‘पी.टी.आई.-भाषा’, 1986-96 : प्रेस ट्रस्ट आॅफ इंडिया द्वारा स्थापित ‘भाषा’ नामक हिंदी की समाचार समिति के संस्थापक-संपादक. ‘भाषा’ ने अपनी नवीन खबर-शैली, देशी और विदेशी नामों के मानकीकरण और अनेक महत्त्वपूर्ण अवसरों पर अपने ‘स्कूपों’ द्वारा हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की.
(3) संपादक (विचार), नवभारत टाइम्स, 1986. सहायक संपादक, नवभारत टाइम्स 1974-85, संपादक, ‘अग्रवाही (मासिक), इंदौर, 1962-66. संपादक, इंदौर क्रिश्यिचन काॅलेज पत्रिका, 1963-64. हिंदी पत्रकारिता: विविध आयम’ नामक 1100 पृष्ठों के महग्रंथ का संपादन, 1976.
(4) निदेशक, हिंदुस्तान समाचार, 1974-77
(5) संपादकीय निदेशक, नेटजाल.काॅम (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल)
वक्तृत्व:
छात्र जीवन में वक्तृत्व के अनेक अखिल भारतीय पुरस्कार. किशोर-वय से ही विशाल जन-सभाओं को संबोधित करने का अभ्यास. अनेक भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा विशेष व्याख्यानों के लिए आमंत्रित. अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में अनेक बार भारत का प्रतिनिधित्व. भारतीय आकाशवाणी और दूरदर्शन पर 1962 से अब तक सैकड़ों कार्यक्रम. बी.बी.सी., वाॅइस आॅफ अमेरिका तथा कई यूरोपीय और एशियाई रेडियो और टी.वी. चैनलों पर साक्षात्कार !
संयुक्तराष्ट्र संघ में भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के नाते तीन व्याख्यान, 1999.
विस्काॅन्सिन विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दक्षिण एशियाई विश्व-सम्मेलन में उद्घाटन-भाषण, 1999.
विदेश यात्राएं: अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, केनाडा, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, स्विटज़रलैंड, आस्ट्रिया, पोलैंड, लेबनान, इटली, तुर्की, एराक, ईरान, संयुक्त अरब अमारात, अफगानिस्तान, श्रीलंका, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, थाईलैंड, बांग्लादेश, मोरिशस, सिंगापुर, जापान, कोरिया, हांगकांग, सूरिनाम, त्रिनिदाद मध्य-एशिया के मुस्लिम गणतंत्र आदि देशों की यात्राएं अनेक बार. भारत के लगभग सभी राज्यों की यात्रा.
(1) सोवियत विज्ञान अकादमी के ‘इंस्तीतूते नरोदोफ आज़ी इ आफ्रीकी’ में शोध व्याख्यानवृत्ति, 1969.
(2) काबुल विश्वविद्यालय और अफगान विदेश मंत्रालय के अतिथि के तौर पर अफगानिस्तान-यात्रा, 1972
(3) अफगान सरकार के अतिथि के तौर पर 1978, 1981 तथा 1988 में अफगानिस्तान यात्रा.
(4) विस्काॅन्सिन वि.वि. (अमेरिका) द्वारा अफगानिस्तान संबंधी विश्व संगोष्ठी में विशेष व्याख्यानवृत्ति, 1984.
(5) अमेरिका सरकार द्वारा ‘वी.आई.पी. विजिटर्स’ कार्यक्रम के अंतर्गत ‘विदेश नीति’ संबंधी मामलों पर यात्रा एवं व्याख्यानवृत्ति, 1988.
(6) मोरिशस के ‘महात्मा गांधी संस्थान’ द्वारा आयोजित पत्रकारिता शिविर में तीन विशेष व्याख्यान, 1992.
(7) विश्व हिंदी सम्मेलन, मोरिशस में भारतीय प्रतिनिधि, 1994.
(8) अंतराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन, सूरिनाम में भारतीय प्रतिनिधि, 1993.
(9) भूटान-नरेश के निमंत्रण पर भूटान-यात्रा, 1993.
(10)चीनी पत्रकार संघ के ‘विशिष्ट अतिथि’ के तौर पर चीन की विस्तृत यात्रा और अनेक व्याख्यान, 1995.
(11)मध्य एशिया के गणतंत्रों तथ अन्य संबद्ध देशों की सघन यात्रा, 1995.
(12) ‘इंडिपेंडेंट प्लानिंग कमीशन’ के मेहमान के तौर पर ‘लाहौर प्रेस क्लब’ में भाषण तथा पाकिस्तानी नेताओं से विचार-विनिमय 1994 तथा 1995. पहले और बाद में भी अनेक यात्राएं !
(13) मोरिशस के प्रधानमंत्री के अतिथि के तौर पर मोरिशस-प्रवास एवं व्याख्यान, 1996.
(14) संयुक्तराष्ट्र संघ में भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के तौर पर 1999 में अमेरिका-यात्रा। लगभग 40 शहरों और दर्जनों विश्वविद्यालयों में व्याख्यान. अंतरराष्ट्रीय अफगान शांति सम्मेलन का उद्घाटन.
(15) राष्ट्रपति नारायण जी के साथ मोरिशस यात्रा, 2001.
(16) ईरान के विदेश मंत्रालय के निमंत्रण पर ईरानी राजनीति शोध-संस्थान में अफगानिस्तान पर व्याख्यान, 2002.
(17) प्रवासी भारतीय संस्थाओं के निमंत्रण पर अमेरिका तथा अरब देशों में प्रवास एवं व्याख्यान, 2002.
(19) पड़ौसी देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों तथा प्रतिपक्ष के नेताओं से ‘अनौपचारिक कूटनीतिक मंत्रणा’ के लिए पिछले पच्चीस वर्षों में अगणित विदेश यात्राएं.
सम्मान:
(1) हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा पत्रकारिता के लिए इक्कीस हजार रूपये की एवं सम्मान राशि, 1990.
(2) पुरस्कार मधुवन (भोपाल) द्वारा पत्रकारिता में ‘श्रेष्ठ कला आचार्य’ की उपाधि से सम्मानित, 1989.
(3) उत्तर प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिंदी सेवा के लिए ‘पुरूषोत्तमदास टण्डन’ स्वर्ण पदक, 1988.
(4) उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमरीकी प्रतिस्पर्धा’ ग्रंथ पर गोविंदवल्लभ पंत पुरस्कार, 1976.
(5) काबुल वि.वि. द्वारा अफगानिस्तान संबंधी शोधगं्रथ पर दस हजार रूपये की सम्मान राशि, 1972.
(6) इंडियन कल्चरल सोसायटी द्वारा ‘लाला लाजपतराय सम्मान’, 1992.
(7) मीडिया इंडिया सम्मान, नई दिल्ली, 1992.
(8) डाॅ. राममनोहर लोहिया सम्मान, कानपुर, 1990.
(9) प्रधानमंत्री द्वारा प्रदत्त रामधारीसिंह दिनकर शिखर सम्मान, 1992.
(10) छात्रकाल में राजनीतिशास्त्र, दर्शन और हिंदी में सर्वोच्च अंक पाने पर कई बार ‘स्पेशल मेरिट सर्टिफिकेट’.
संस्थाएं एवं संगठन : अध्यक्ष, भारतीय विदेश नीति परिषद्. संयोजक, भारतीय भाषा सम्मेलन,
1996 से. संयोजक, अफगानिस्तान शांति समिति, 1989. सदस्य, सेटरडे लंच ग्रुप, 1989. सदस्य, निदेशक-मण्डल, ‘हिन्दुस्तान समाचार’, 1975-77, सदस्य, हरियाणा साहित्य अकादमी, 1978-79. मंत्री, हिंदी पत्रकारिता समिति, 1974-80. मंत्री, दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन, 1970-71. अध्यक्ष, दर्शन परिषद्, इंदौर, 1961-63. अध्यक्ष, राजनीतिशास्त्र परिषद्, इंदौर, 1963-64. अध्यक्ष, स्कूल आॅफ इंटरनेशनल स्टडीज छात्रावास संघ, 1966-67. भारत सरकार की अनेक सलाहकार समितियों के सदस्य.
अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ की हैसियत से अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों. प्रधानमंत्रियों और विदेशमंत्रियों से व्यक्तिगत परिचय. अफगानिस्तान के लगभग सभी शीर्षस्थ नेताओं तथा पेशावर स्थित मुजाहिदीन नेताओं से सुदीर्घ परिचय और संवाद. अफगानिस्तान में शांति-स्थापना का विशेष प्रयास. फीजी, मोरिशस, त्रिनिदाद, सूरिनाम और खाड़ी-देशों के भारतवंशियों के लिए सक्रिय सांस्कृतिक-सामाजिक कार्य. संसार भर की हिन्दी संस्थाओं और हिन्दी विद्वानों से सतत संपर्क। हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्प !
निवास: 242, सेक्टर 55, गुड़गांव – 122011
फोन: 0124-405-7295
शानदार,लाजवाब,जिंदाबाद।
आपके बारे में पढ़कर मन गदगद हुआ,आप जैसे महान विभूति हमारे देश मे है आपको मेरा प्रणाम ! 9939900987
डा. वैदिक जी के बारे में विस्तृत जानकारी पहली बार वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त किया। आप के बारे में क्या लिखूं समझ में नहीं आता। इतने विशाल आयाम वाले व्यक्तित्व को कैसे कुछ पंक्तियों में व्यक्त करूं। बस इतना लिखने का साहस कर सकता हूं कि लेखन की दुनिया जब हिंदी के विस्तृत आकाश में आंख उठाकर देखीगी, तो एक एेसा अंशुमाली दीप्तमान दिखेगा जिसके आलोक से हिंदी संसार दीप्तमान होता हुआ दिखेगा। अखिलेश आर्येन्दु, आर्य लेखक परिषद्, दिल्ली-कोटा।
Dr. Ved Kumar Vaidikji,
I was born in an Arya Samaji family and I like your articles. I am also very much impressed by Swami Agniveshji–I had heard him first time in an Arya Samaj function in Calcutta. However, I am also bit disappointed with the approach of some Arya Samajists. Probably there is need to bring intensity in Arya Samaj movement. I recently wrote a facebook blog that I would like to share with you. I do not expect you to put at your website. I do not have your email address and hence I am sharing the article with you.
best regards,
Sanjeev
————————————Vedic Dharam and Hinduism————————————————
Let me share some of my thoughts on Vedic Sanatan Dharam & so called Hindu Dharam. The word Sanatan basically means something that has been existing since time immemorial. Vedas are books of Knowledge and the Vedic Knowledge is universal–it is not tied to a specific geographical location-it might have originated in Arya Vart.
A simple example of something Sanatan would be Newton’s Laws of Motions–these laws were discovered. Newton discovered many other things. The three laws of motion were first compiled by Isaac Newton in his Philosophiæ Naturalis Principia Mathematica (Mathematical Principles of Natural Philosophy), first published in 1687.
He discovered these laws in 1687 but does that mean these laws did not exist before 1687? They existed even before that –however they were revealed to humanity by God through Issac Newton in 1687. These laws are Sanatan–falls in the category of Sanatan Dharm–Universal Spiritual and Natural Law principles. These laws were there since time immemorial. Europeans can’t claim that these Laws of Motions belong to them.
Following the same logic, we can’t say that Vedas belong to people living in certain geographical area or worshipping in certain way. Sanatan Dharam includes Hindus, Sikhs, Muslims, Christians and Jews–that is it includes the entire humanity.
An attempt is being made to tie Vedas and Sanatan Dharam to a certain way of worshipping God–or associating it with a certain geographical area called Bharat or India. Now let us come to the idea of Sanatan Dharam versus Hindu Dharam. One might argue that they are one–they are not! Let us again go back to Vedas. Vedas attributes several attributes to God and say–“God is unborn, formless and infinite.”
Now let us compare this with principles to a term that is popularly known as Hinduism or Hindu Dharam. Hinduism has a theory of Avatars–they have ten Avatars of God–all based on unscientific theories–not Sanatan–basically it goes against the fundamental principles of Vedas. According to Vedas, God is formless & infinite–goes against idol worship in Hinduism.
Every “ism” is based on some fundamental principles–popular ” Hinduism” goes against Vedas and hence I make clear distinction between Vedic or Sanatan Dharam & Hindu Dharam. Physics is also based on certain basic tenets–you can’t go against them and still call it physics. Hindu Dharam is basically a collection of lots of faiths–it has nothing to do with pure Vedic Dharam. Some people claim that Hinduism is a tolerant religion–it is so because it is a collection of faiths and there is not a single recognized book of Hinduism–this has caused the emergence of these Fake Babas–Asha Ram, Ram Pal, Nirmal Baba etc. However, we have seen that these cults adopt violence or terrorism–Arms have been discovered from the ashrams of both Baba Rampal and Ram Rahim.
Vedas are like books of science and they talk of universal natural laws and spiritual principles. It has nothing to do with what is popularly known as Hinduism. Maharishi Dayanand observed that there were many faiths in India worshiping various Gods and Goddesses and practicing various superstitions. If I remember then there is a Goddess of Small Pox also.
He first wrote Chapter 11 in Satyarth Prakash and he did not use word Hinduism in that chapter. The title of the Chapter is ” An examination of the different religions prevailing in “Arya Varta”. The first line of the chapter is:
“Now we shall examine the religions of the Aryas, i.e., the people who live in Aryavarta”. He never used the term Hindu for these faiths. His vision of Vedic Dharma was universal–it was not narrow ( a viewpoint supported by Hindutva forces).
His idea was to educate people belonging to Arya Varta–that’s why he addressed them first in Chapter 11 . He criticized Islam and other faiths much later–He wanted to first clean Aryavarta from Idol Worship, superstitions and Babagiri before talking to people from other religions and educate them regarding Vedic Dharma of humanity. Some bigots ignore Chapter 11 and straight away jump to Chapter 14 to attack Muslims. Sorry–that was not the message of Maharishi!
Maharishi writes in his “Introduction” Chapter:
” There are many people who, through bigotry and wrong-headedness, misconstrue the meaning of the author. The sectaries are the greatest sinners in this respect because their intellect is wrapped by bigotry”
These are words of Maharishi!–this is what is happening in Arya Samaj today–some bigots only want to read Chapter 14 from his book–this is very sad indeed!
वैदिक सर आप के अथाह काम के लिए साधुवाद।
आपसे मुलाकात करने की आवश्यकता है ।
विषय : गुरुग्राम नगर निगम का विकास
मनोज कुमार
9013370056
Respected vaidik ji Saadar charnsaparsh , I am following your articles and your good work for society .I feel you should be at decision making and direction giving position .It will definitely benefit our country and society.
प्रिय ,
श्री वैदिक सर जी को प्रणाम सर दैनिक भास्कर में आपके संपादकीय हमेशा पड़ता हु सर आपसे एक मुलाकात की कामना रखता हूं कृपया मुझे समय प्रदान करने की कृपा करें
आपका शुभेच्छु
प्रमोद शर्मा
7879416550
Dr Vedik Sir,
You are an asset to our country. i have read many of your articles, attended your seminar also, Our governments should work under your guidance.
I want to enroll myself for daily articles from you.
सादर ,
“अफ्गानिस्तान कल आज और कल ” पुस्तक मुझे काफी प्रयासों के बाद भी कही नही मिल रही है।
यदि उपलब्ध हो जाये तो आपकी अति कृप्या होगी।
prabhat prakashan head office he dariyaganja me wahi se laya tha
यदि २०१९ में किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलता है तो देश की शक्ल बदले या नहीं ,मगर नेताओं की शक्लें जरुर बदल जायेगी, क्योंकि पहले भी ऐसा हो चुका है।
Mujhe aapki profile padh kar Bahut garv mahsus hua ki hamare Bharat vars me aaj bhi aap jaise log hai jo apne gyan se sari duniya me hamare desh ka naam rosan kar rhe hai jiske liye aapko sadar pranam hai
Anokhi pratibha ke dhani:
Vaidik Sir ji Namaskar, Sir mai aapke angreji hatao book ko pdha h jisme aapne bhut hi gajab dang se hindi ki mahanta ko darsaya h. mai yah jankar bhut khus ho rha hu ki ajadi ke bad se koi to mahan aatma hamare bharat desh me vidyaman h jo hamari matrabhasha hindi ko apne khoye hoe sthan me lane ka prayash kr rhe h. Sir lekin bajut hi dukhi man se yah kahna pdh rha h ki aaj 2019 hone ko h lekin phir bhi sansad aur adalat gungi v bahari h high court me angreji chal hi rha h aur wo apne sub-ordinate court me angreji thop rhe h jiska bhut hi dusprunam nikal rha h. aaj bhi bharat ganvo ke desh h jise apni bhasha me nyay nhi mil rha h ush par turra yah h ki district court ke babu log nakalchi bandar bankar baithe h aur chote se chote notice ko bhi angreji me likhkar bhejte h bhala we aamjan kishan log thik se hindi to bolna nhi jante angreji kha se jan payenge ye sab dekhkr bhut peedha ho rhi h man me kair aapke mahan vaktitva ko pranam sir.
डॉ.वेद प्रताप वैदिक जिन्हें मैं “आधुनिक भारत के संत” कहता हूं।उनके बारे में जितना भी कहे कम है उनके लिये गागर में सागर शब्द का इस्तेमाल किया जाये तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी लगभग बीस वर्ष से मेरा उनके साथ आत्मीय परिचय है,वो मेरे अभिभावक, मार्गदर्शक,मित्र,बडे भाई,व शुभचिंतक है उनके समृद्ध सानिंधय से मेरा जीवन सहज एंव पुष्ट हुआ है।वे एक चलता-फिरता विश्वविधालय हैं,जिनसे जीवन के महान गुण जीवन में उतारे जा सकते है।
ये मेरा सौभाग्य है कि उनके मार्गदर्शन से मेरा जीवन सराबोर हुआ है…….डॉ.सुमित आर्य-9319479717
डाॅ. वेदप्रताप वैदिक जी का परिचय विस्तार से मिला. अनेकों उपलब्धियों के साथ आपका विशिष्ट व्यक्तित्व एक आदर्श है. हार्दिक शुभकामनाएँ!
April 09, 2019.
Dr. V. P. Vaidik
House no. 242
Sector – 55
Gurgaon – 122011.
Respected Dr. Vaidik ji,
We are extremely sorry to learn about the very sad demise of your Respected Wife.
Please accept our heartfelt condolences and do convey the same to all members of the family. We pray to the Almighty that the departed soul rests in peace in heaven and family gets enough courage and strength to bear this grievous loss.
With kind personal regards, please do not hesitate to let me know if I could be of any assistance.
Yours Sincerely
Vipin Buckshey.
डॉक्टर वेदप्रताप वैदिक जी आप के आदम्य साहस कथा पढ़ कर ह्रदय अति हर्षित हुआ।आप का हिंदी आंदोलन तो भारत की आज़ादी का प्रथम सोपान है।अगर यह पूर्ण तौर से सिद्ध होता है तो भारत जरूर अखंड बनकर विश्व की सेवा करेगा।आप का सुभ चिंतक दिनेश कुमार आप के साथ खड़ा है।मैंने भी अपनी राष्ट्रीय भावना को कभी भुझने नहीं दिया क्योंकि मातृ भाषा पंजाबी होकर भी मैंने अपना ग्रंथ ‘जगद्गुरु भारत क्यों और कैसे’ और अपने शोध-पत्र हिंदी में लिखे।क्या आप के दर्शन करने का सौभाग्य मिल सकता है।
डॉ. दिनेश कुमार
संपर्क सूत्र – ८०५४६-६२८६३
यदि ज्ञान का दुरुपयोग देखना हो तो डॉ वेद प्रताप वैदिक जी को देख लीजिए कोई भी कंस्ट्रक्टिव काम इन्होंने आज तक नहीं किया उन्होंने जो भी किया सिर्फ अपने लिए किया बहुत उम्मीद थी कि नरेंद्र मोदी जी इन्हें कोई ग्लैमरस उड़ा देंगे लेकिन इनकी निराशा इनके कुंठा में बदल की और यह मोदी जी का विरोध करते करते ………. विरोध पर उतर आए
प्रिय अमित जी, मैं व्यक्तिगतरूप से आपके विचारों से सहमत नहीं हूॅं, बल्कि ऐसा मानता हूँ कि वर्तमान समय में भारत के उत्थान हेतु डॉ वेद प्रताप वैदिक जी जैसी अनेक विभूतियों की आवश्यकता हैै
Dr vaidik
Myself Syed A Hasan Ahmed from Cuttack Odisha India now in Lucknow Uttar Pradesh India BAMCEF office Mulnivasi organisation
As per my Aryan invasion theory research through NCRT .. I found that.. Ary Brahmins invaded India before 1500 B.C approximately.. and 2001 times of India report.. DNA report shows that Arya Brahmin kshtriya vaishya etc upper caste Hindu are not indigenous people of India..
Anyway.. we can discuss on your research..
If you allow..
Thanks
Syed A Hasan Ahmed
7780737831 is my call no
9438618027 is my what’s app
आरक्षण पर आपके द्वारा लिखा गया लेख पूर्वग्रह से ग्रसित हैं। हम इससे सहमत नही हैं सर् आपका लेख हमारे समाज की असलियत का सही चित्रण नही करता है।
वर्तमान समय मे भारत के उत्थान हेतु डाक्टर एव महान पत्रकार वैदिक जी जैसी अनेक विभूतियो की अति आवश्यकता है जी
नमस्कार
जिस हिसाब से वेदप्रकाश वैदिक जी मुखालफत की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं लोकप्रिय मोदी सरकार के खिलाफ उससे तो यही परिलक्षित होता है कि ये भी कांग्रेस के हाथ की कठपुतली भर हैं…
किसी भी पोस्ट में मुझे ऐसा नहीं लगा इनके वक्तव्य में जब इन्होंने कहीं भी सरकार की किसी भी मोर्चे पर तारीफ की हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि सरकार इनके मापदंडों पर हर जगह खराब रही हो पर ये सरकार का समर्थन कहीं पर कर दें तो इनके आका नाराज हो जायेंगे ये इनको बखूबी पता है।
इनका कहना है कि देश में शरण लेनेवालों सभी लोगों को आने दिया जाये चाहे वो किसी भी जाति या धर्म का हो ??
मतलब इनका ये है कि दो लोग हैं एक आततायी और दूसरा पीड़ित इनके नजरिये से देखा जाये तो दोनों को ही बुला लें देश में तो फिर न्याय कहाँ हुआ ??
पीड़ित के सामने को तो फिर समस्या जस की तस रह गई उसे न्याय कहाँ मिला वो तो पीड़ित का पीड़ित ही रह गया ??
अब पाकिस्तान बंगलादेश और अफगानिस्तान में हमारी सरकार अगर पीड़ित हिंदुओं,सिखों या किसी अन्य धर्म के लोगों को संरक्षण दे रही है या देना चाहती है तो यही वेदप्रकाश वैदिक जैसे लोग रोड़ा बने हुए है जो खुद को बुद्धिजीवी साहित्यकार और सरस्वतीपुत्र कहलाना पसन्द करते हैं पर माफ़ कीजिये ये टुकड़े टुकड़े गैंग और कांग्रेसी मैनिफेस्टो की विचारधारा से उबर नहीं पाये हैं
क्या किसी ने देश में कहीं भी सुना है कि अमुक मुसलमान लड़की को अगवा कर उसे जबर्दस्ती हिन्दू, सिख या जैन बनाया गया या उसे या उसके परिवार को प्रताड़ना दी गई ??
कहीं किसी भी देश में ऐसा नहीं सुना ना ??
लेकिन मुसलमानों पर लगातार ऐसे आरोप रोज लग रहे हैं और इसके सबूत रोज सामने आ रहे हैं फिर रक्षा किसकी करनी चाहिये हिन्दू या सिखों की या फिर इन आततायी मुसलमानों की ??
वेद प्रताप वैदिक और इनके जैसे कई ऐसे साहित्यकार और बुद्धिजीवी हैं जो आने वाले खतरे को जानते समझते हुए भी आँख बंद कर के बैठे हैं और पड़ोसी देशों में लाचार और बेबस लोगों पर हो रहे अत्याचार और उनके हलक से उठने वाली चीखें अगर इनके कानों तक नहीं पहुँच रहीं तो ये पक्का कांग्रेस के अवार्ड वापसी गैंग और टुकड़े टुकड़े गैंग के पोषक और हिंदुस्तान और हिंदुत्व के सबसे बड़े दुश्मन हैं
वैदिक जी ,
सादर नमस्कार।
आप इंदौर से है तथा प्रारंभ में आप न ई दुनिया में आप संपादक रहे हैं ।
फिर आगे क्रमशः बढ़ते गये तथा जीवन के शिखर पर पहुंच गए। अत्यंत सुन्दर है आपकी जीवन यात्रा।
आपसे मिलने की इचछा है।कैसे और कब संभव हो
सकती है?
सादर,
डा. आर. एस. भदौरिया, गवालियर
9340304094.
आदरणीय डॉक्टर वैदिक
सस्नेह नमन!
वर्तमान समय मे भारत के उत्थान हेतु डाक्टर एव महान पत्रकार वैदिक जी जैसी अनेक विभूतियो की अति आवश्यकता है!
बी.पी शुक्ल
बरिष्ठ पत्रकार