भारतीय जनता पार्टी ने अपनी कार्यकारिणी में जो दावा किया है, वह आज के वक्त सही मालूम पड़ता है। विपक्ष के पास न तो कोई नेता है और न ही कोई नीति है। मुझे खुशी है कि भाजपा ने मेरे इस प्रिय मुहावरे को हाथों-हाथ उठा लिया है। विपक्ष का आज जो हाल है, वह अगले छह माह तक बना रहा तो मोदी को लौटने से कोई रोक नहीं सकता। यदि भाजपा को 100 सीटें भी कम मिलें तो भी जोड़-तोड़ कर वह सरकार बना ही लेगी। यह बात दूसरी है कि मोदी की जगह वह किसी अन्य नेता को आगे कर दे। शायद मोदी खुद ही प्रधानमंत्री पद से अपना पिंड छुड़ा लें। विपक्ष तो इतना गया-बीता है कि वह हारे हुए मोदी को भी चुनौती नहीं दे सकता है। अगर भारत में सचमुच कोई सक्षम विपक्ष होता तो देश का मोदी से दो साल पहले ही छुटकारा हो जाता।
नोटबंदी-जैसी एतिहासिक मूर्खता के लिए जिम्मेदार नेता को जो घुटने नहीं टिकवा सका, वह विपक्ष भी क्या विपक्ष है ? विपक्षी नेताओं के मुकाबले मोदी व्यक्तिगत रुप से निष्कलंक है और वह प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी से भी ज्यादा डटकर काम करते है। उसे ये नेता लोग नहीं हटा सकते। जरा याद करें। 1967 में कांग्रेस को विभिन्न राज्यों में पहली बार किसने हराया? डॉ. लोहिया ने। 1977 में इंदिराजी को किसने हराया? क्या मोरारजी ने, क्या चरणसिंह ने, क्या जनजीवन राम ने ? नहीं, जयप्रकाश नारायण ने ? 2014 में सोनिया-मनमोहन को किसने हराया? क्या मोदी ने, क्या आडवाणीजी ने, क्या अटलजी ने, क्या मोहन भागवत ने? नहीं ! अन्ना हजारे और बाबा रामदेव ने ! उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ फसल उगाई, जिसे मोदी ने सेंत-मेत में काट लिया। ‘मोदी हटाओ और देश बचाओ’ का नारा देना आसान है लेकिन इसे देश भर में गुंजा देने की ताकत क्या आज के विपक्ष में है ?
Leave a Reply