कल के मेरे लेख हमारे ‘ढोंगी लोकतंत्र’ पर प्रतिक्रियाओं की बरसात हो गई। लोग पूछ रहे हैं कि भारत को सच्चा लोकतंत्र कैसे बनाएं ? कुछ सुझाव दीजिए। सबसे पहले देश की सभी पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र हो याने किसी भी पद पर कोई भी नेता बिना चुनाव के नियुक्त न किया जाए। पार्टी के अध्यक्ष तथा सभी पदाधिकारियों का सीधा चुनाव हो, गुप्त मतदान द्वारा। दूसरा, किसी को भी नगर निगम, विधानसभा या संसद का उम्मीदवार घोषित करने के पहले यह जरुरी हो कि वह पार्टी-सदस्य पहले अपनी पार्टी के आतंरिक चुनाव में बहुमत प्राप्त करे। नेताओं द्वारा नामजदगी एकदम बंद हो। तीसरा, यह भी किया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष, महासचिव और सचिवों को दो बार से ज्यादा लगातार अपने पद पर न रहने दिया जाए। चौथा, पार्टी के आय और व्यय का पूरा हिसाब हर साल सार्वजनिक किया जाए।
हमारी पार्टियों को रिश्वत और दलाली के पैसों से परहेज करना सिखाया जाए। पांचवां, अपराधियों को चुनावी उम्मीदवार बनाना तो दूर की बात है, ऐसे गंभीर आरोपियों को पार्टी सदस्यता भी न दी जाए और अगर पहले दी गई हो तो वह छीन ली जाए। छठा, ऐसा कानून बने कि कोई भी दल-बदलू अगले पांच साल तक न तो चुनाव लड़ सके और न ही किसी सरकारी पद पर रह सके। सातवां, जो भी व्यक्ति किसी दल का सदस्य बनना चाहे, उसके लिए कम से कम एक साल तक आत्म-प्रशिक्षण अनिवार्य होना चाहिए। वह दल के इतिहास, नेताओं के जीवन, दल के आदर्शों, सिद्धांतों, नीतियों और कार्यक्रमों से भली-भांति परिचित हो जाए, इसके लिए उसे बाकायदा एक परीक्षा पास करनी चाहिए। आठवां, थोक वोट या वोट बैंक की राजनीति पर प्रतिबंध होना चाहिए। किसी भी दल को जाति या संप्रदाय के आधार पर राजनीति नहीं करने दी जानी चाहिए। यदि इस नियम का कड़ाई से पालन हो तो देश के कई राजनीतिक दलों को अपना बिस्तर-बोरिया गोल करना पड़ेगा। नौवां, किसी भी दल के उच्च पदों पर एक परिवार का एक ही सदस्य रहे, उससे ज्यादा नहीं। इस प्रावधान के कारण हमारे राजनीतिक दल प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बनने से काफी हद तक बच सकेंगे। दसवां, सत्तारुढ़ दल जागरुक रहे और विरोधी दल रचनात्मक भूमिका निभाते रहें, इसके लिए जरुरी है कि सभी राजनीति दल अपने सभी कार्यकर्ताओं के लिए तीन-दिवसीय या पांच-दिवसीय प्रशिक्षण शिविर लगाएं, जिनमें उनके साथ विचारधारा, सिद्धांतों और नीतियों पर खुला विचार-विमर्श हो। ग्यारहवां, सभी दलों के पदाधिकारी और चुने गए नेताओं के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए कि वे अपनी और अपने परिवार की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा हर साल सार्वजनिक करें। ताकि देश को पता चले कि:
राजनीति है सेवा का घर, खाला का घर नाय ।
जो सीस उतारे कर धरे, सो पैठे घर माय ।।
Swati meena says
Sir qualification ke liye km se km graduate, post graduate ho fir enka entrance exam ho or yh upsc lable ka exam ho kyuki yh janta ke savk name se ate or hr niym kanun ki djya urate he fir enme se kuch neta to hindi (mother tonge)bhi nhi pr pate he english (international language )to dur he or village me to mhila srpnch bnti pr age uske pti ko fir dekte he gavo me abhi tk n to nali he na srk fir kesa sbchyta abiyan jha kable bri vyaparik ngri ke liye sbchyta hi deka jata he niche ester pr kuch pyas hi nhi