अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम योंग उन की सिंगापुर में हुई भेंट को क्या-क्या नहीं बताया जा रहा है। कोई उसे दुनिया की राजनीति में बदलाव का परचम कह रहा है तो कोई उसे विश्व-इतिहास की महान घटना बता रहा है। खुद ट्रंप गर्व और खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। वे किम की तारीफों के पुल बांध रहे हैं।
इस भेंट की तुलना उन कटु और विफल घटनाओं से की जा रही है, जो जी-7 सम्मेलन या पेरिस बैठक या यूरोपीय संघ के साथ घटी हैं। दोनों नेताओं की भेंट के बाद जो प्रेस-परिषद हुई, उसमें ट्रंप ने अपनी पीठ खूब ठोकी लेकिन जिस संयुक्त वक्तव्य पर दोनों ने दस्तखत किए थे, उसे तत्काल जारी नहीं किया गया। पत्रकारों द्वारा पूछे गए कई व्यावहारिक और टेढ़े सवालों को भी वे टाल गए। कई घंटों बाद जारी किए गए संयुक्त वक्तव्य को जब मैंने पढ़ा तो मुझे लगा कि अभी तो दिल्ली काफी दूर है। पता नहीं, उस वक्तव्य में लिखे वाक्यों का अर्थ किम और ट्रंप कहीं अलग-अलग तो नहीं निकाल लेंगे ?
उदाहरण के लिए उसमें कहा गया है कि कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त किया जाएगा। इसका अर्थ क्या यह लगाया जाएगा कि सिर्फ उत्तर कोरिया की समस्त परमाणु शस्त्रास्त्र सुविधाओं को समाप्त किया जाएगा या दक्षिण कोरिया में तैनात अमेरिका की परमाणु छतरी को भी हटाया जाएगा तथा उसके साथ-साथ सीमांत पर डटे हुए लगभग 30 हजार अमेरिकी सैनिकों को भी वापस बुलाया जाएगा ?
उत्तर कोरिया को परमाणुमुक्त करने की प्रक्रिया कैसे होगी, कितने दिन में होगी और उसके बदले ठोस रुप में उसे क्या मिलेगा, इसका भी कुछ पता नहीं है। उ. कोरिया को अमेरिका ने सुरक्षा की जो गारंटी दी है, वह भी जबानी- जमा-खर्च जैसी लगता है। 1953 में जो युद्ध-विराम हुआ था, उसे तार्किक अंजाम तक पहुंचाने के लिए कोई शांति-संधि भी नहीं की गई। इस उथले दस्तावेज़ को देखकर कुछ संदेह जरुर पैदा होते हैं लेकिन ट्रंप और किम दोनों ही अपने ढंग के अजीब व्यक्ति हैं। वे शून्य में से हाथी पैदा कर सकते हैं और हाथी को शून्य बना सकते हैं।
उनके इस समझौते का दुनिया के सभी महत्वपूर्ण राष्ट्र स्वागत कर रहे हैं। क्या ही अच्छा होता कि ट्रंप से किम यह मांग करते कि वे अमेरिका को भी परमाणुमुक्त क्यों न करें ? ट्रंप चाहें तो सारे विश्व को परमाणुमुक्त करने का झंडा उठा सकते हैं। अब वे चाहें तो ईरान के परमाणु-समझौते पर छिड़े विवाद को सुलझाने की कोशिश भी कर सकते हैं। यदि ट्रंप विश्व को परमाणु मुक्त करने की मुहिम चला दें तो वे सचमुच अनन्य इतिहास-पुरुष बन सकते हैं।
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