जम्मू के कठुआ में और उप्र के उन्नाव में बलात्कार के दो मामले ऐसे हुए हैं, जो इन प्रांतों की भाजपा सरकारों को तो कठघरे में खड़ी करते ही हैं, वे भारत राष्ट्र के लिए भी लज्जाजनक हैं। कठुआ में बकरवाल मुस्लिम समाज की एक आठ साल की बेटी के साथ छह लोगों ने पहले बलात्कार किया और फिर उसे मार डाला। इसी प्रकार उन्नाव में 18 साल की एक युवती के साथ पहले बलात्कार किया गया और बाद में उसके पिता को इतनी बुरी तरह से मारा गया कि अस्पताल में उसकी मौत हो गई।
उस युवती ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के घर के सामने आत्मदाह की कोशिश भी की। इस युवती का आरोप है, जिसे मरने वाले पिता ने भी पुष्ट किया कि उप्र के एक मंत्री ने उस युवती के साथ कई बार बलात्कार किया लेकिन पुलिस ने उसकी रपट दर्ज करने में काफी आनाकानी दिखाई। अब जब इस मामले ने तूल पकड़ लिया तो उस मंत्री के भाई और कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। मंत्रीजी कहां अर्न्तध्यान हैं, कुछ पता नहीं।
इसी प्रकार जम्मू के वकीलों ने 8 साल की उस बच्ची के बलात्कार को हिंदू-मुसलमान का मामला बनाकर दबाने की कोशिश की। उसकी रपट तक लिखवाने में अड़ंगे लगाए। इन दोनों मामलों ने पूरे देश में उसी तरह का गुस्सा पैदा किया है, जैसा कि निर्भया कांड में हुआ था। ये मामले तो उससे भी बदतर हैं। इसलिए बदतर हैं कि देश में और इन दोनों प्रांतों में भाजपा का राज है, उस पार्टी का राज है, जो राष्ट्रभक्ति, हिंदुत्व और नैतिकता को अत्यधिक महत्व देती है।
राम का नाम जपने वाली पार्टी तुलसीदास के इस वचन को चरितार्थ कर रही है- ‘समरथ को नहिं दोष गुसाईं।’ इन दोनों मामलों में विदेशी मीडिया भी दिलचस्पी ले रहा है। इससे भारत की छवि भी विकृत हो रही है। यह ठीक है कि इन दोनों घटनाओं के कारण भाजपा की प्रांतीय सरकारों को तुरंत कोई खतरा नहीं लेकिन अगले साल होने वाले संसद के चुनाव में इनके नतीजे भुगतने के लिए हमारे सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान नेता को अभी से तैयार होना पड़ेगा। उसकी चुप्पी भाजपा पर भारी पड़ेगी। आरोपी विधायक को तुरंत बर्खास्त कर देने और जम्मू के बलात्कारी लोगों (पुलिसवालों सहित) को तुरंत दंडित कर देने पर तो शायद इन कांडों का असर थोड़ा कम होगा। लेकिन महिला-सुरक्षा के बारे में आदित्यनाथ की घोषणाओं पर अब कौन विश्वास करेगा ? एक संन्यासी की सरकार को ऐसे मामालें में यमराज से भी अधिक कठोर होना चाहिए।
Leave a Reply