पाकिस्तान के प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी शाहिद अफरीदी ने ऐसा क्या कह दिया कि पाकिस्तान में हंगामा मच गया है ! उन्होंने यही तो कहा है कि पाकिस्तान से अपने चार प्रांत तो संभल नहीं रहे हैं। अब वह कश्मीर को अपना पांचवा प्रांत बनाकर क्या करेगा ? क्या यह तथ्य नहीं है ? पाकिस्तान का पंजाब प्रांत बाकी तीन प्रांतों पर भारी पड़ता है। सिंध, पख्तूनख्वाह और बलूचिस्तान- ये तीनों प्रांत पंजाब के मुकाबले बेहद पिछड़े हुए हैं और इन तीन सूबों में लंबे समय से अलगाववाद के आंदोलन चल रहे हैं। अगर आप कराची को छोड़ दें तो ये तीनों प्रांत ऐसे लगते हैं, जैसे 21 वीं सदी में नहीं, 19 वीं सदी में जी रहे हैं या सिसक रहे हैं। अफगानिस्तान में 40 साल से चल रहे कोहराम ने इन प्रांतों को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। पाकिस्तान में कोई भी राज करे, उसकी पहली चिंता यही होती है कि इन प्रांतों में किसी तरह शांति बने रहे। जहां तक ‘आजाद’ कहे जानेवाले पाकिस्तानी कश्मीर का सवाल है, उसकी हालत तो और भी बदतर है। उसके कई तथाकथित ‘प्रधानमंत्रियों’ से मेरी भेंट होती रही है।
पाकिस्तान के ‘सामरिक अध्ययन संस्थान’ में जब 1983 में मेरा पहला भाषण हुआ तो मैंने वहां के कई नेताओं, राजदूतों और विद्वानों से पूछा कि आप मुझसे बार-बार कहते हैं कि हम कश्मीर आपको सौंप दें लेकिन आप मुझे बताइए कि जो कश्मीर आपके कब्जे में है, क्या हमारे कश्मीर की वैसी दुर्दशा करवाने के लिए हम उसे आपको सौंप दें ? सबकी बोलती बंद हो गई। बेनजीर भुट्टो जब पहली बार प्रधानमंत्री बनीं, तब इस्लामाबाद में मैंने उनसे पूछा कि आप कश्मीर में जनमत संग्रह करवाना चाहती हैं, उसमें क्या आप कश्मीर को आजाद राष्ट्र बनने का विकल्प देंगी ? उन्होंने साफ मना कर दिया।
पाकिस्तान के सभी नेताओं और जनता का भी रवैया यही है लेकिन उन्हीं दिनों जब रावलपिंडी में कश्मीरी संगठनों के नेताओं से मैं मिला तो उन्होंने बेनजीर का दो-टूक विरोध किया। तात्पर्य यह कि शाहिद अफरीदी से पाकिस्तानी मीडिया और अन्य शक्तियां फिजूल ही नाराज हो रही हैं। उन्होंने कश्मीरियों के दुख-दर्द को गुंजाया है। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री अटलजी की तरह इंसानियत के दायरे में कश्मीर-समस्या को हल करने की आवाज लगाई है।
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