जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर अब जन-सुरक्षा कानून थोप दिया गया है। याने 6 माह तो वे पहले नजरबंदी में काट ही चुके हैं और अब दो साल तक वे हिरासत में रखे जा सकते हैं। न उनकी जमानत होगी ओर न ही यह जरुरी है कि वे 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने दिए जाएंगे। वे अदालत की शरण भी नहीं ले सकेंगे। उन्होंने ऐसा क्या गंभीर अपराध … [Read more...] about कश्मीरी नेताओं से संवाद जरुरी
Archives for February 2020
अब भी भूल-सुधार का मौका है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कल जो भाषण दिया, उससे भारत के मुसलमान संतुष्ट होंगे या नहीं, यह कहना मुश्किल है लेकिन यह मानना पड़ेगा कि उनका भाषण काफी प्रभावशाली, खोजपूर्ण और रोचक था। विपक्षी नेताओं ने भी कुछ तर्क अच्छे दिए लेकिन मोदी के सामने कोई भी टिक नहीं सका। भारत का विपक्ष कितना कमजोर है, यह कल की संसद की कार्रवाई देखने से पता चलता है। सारी बहस का केंद्रीय मुद्दा … [Read more...] about अब भी भूल-सुधार का मौका है
जातिवाद का खात्मा कैसे हो?
अंतरजातीय विवाहों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ढाई लाख रु. का अनुदान देती है याने यह पैसा उनको मिलता है, जो अनुसूचित जाति या वर्ग के वर या वधू से शादी करते हैं लेकिन खुद होते हैं, सामान्य वर्ग के ! सामान्य का अर्थ यहां ऊंची जाति ही है। याने ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य ! इनमें तथाकथित पिछड़े भी शामिल हैं। इस अनुदान-राशि के बावजूद देश में हर साल 500 शादियां भी नहीं होतीं। सवा … [Read more...] about जातिवाद का खात्मा कैसे हो?
वाह! क्या उम्मीदवार हैं, हमारे?
दिल्ली के आम चुनाव की चर्चा देश भर में है। कई कारणों से है लेकिन कुछ कारण ऐसे भी हैं, जिनकी वजह से दिल्लीवाले अपना माथा ऊंचा नहीं कर सकते। दिल्ली में शिक्षा-संस्थाओं की भरमार है लेकिन दिल्ली प्रदेश के चुनाव में 51 प्रतिशत उम्मीदवार ऐसे हैं, जो 12 वीं कक्षा या उससे भी कम पढ़े हुए हैं। उनकी संख्या 340 है। 44 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके शिक्षा बीए या उससे थोड़ी ज्यादा है। उनमें से एम.ए. … [Read more...] about वाह! क्या उम्मीदवार हैं, हमारे?
यूरोपीय संघ का लड़खड़ाना
यूरोपीय संघ और ग्रेट ब्रिटेन का 31 जनवरी को औपचारिक संबंध-विच्छेद हो गया है। इस संबंध-विच्छेद की प्रक्रिया में दो ब्रिटिश प्रधानमंत्रियों-डेविड केमरन और थेरेसा मे को इस्तीफा देना पड़ाथा लेकिन प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को इस एतिहासिक कदम का श्रेय मिलेगा कि उन्होंने ब्रिटेन को यूरोप की गुलामी से ‘आजाद’ करवा दिया। इसे लाखों अंग्रेजों ने कल लंदन में प्रदर्शन करके ‘आजादी’ क्यों … [Read more...] about यूरोपीय संघ का लड़खड़ाना
बजट अच्छा लेकिन असमंजसभरा
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, उस पर अर्थशास्त्री लोग अलग-अलग राय जाहिर कर रहे हैं। वित्तमंत्री के ढाई घंटे लंबे भाषण में लगभग हर क्षेत्र के नागरिकों को तरह-तरह की रियायतें दी गई है। मध्य वर्ग के लोग इस बात से बहुत खुश हैं कि आयकर की दरें काफी घटा दी गई हैं लेकिन वे यह भी जानना चाहते हैं कि पिछली व्यवस्था में आयकरदाताओं को छूटें मिली हुई थीं, उनके बारे में … [Read more...] about बजट अच्छा लेकिन असमंजसभरा
संसद का यह तूफानी सत्र
संसद का यह सत्र तूफानी होनेवाला है, इसमें किसी को ज़रा-सा भी शक नहीं है। राष्ट्रपति के भाषण के दौरान विपक्षी सदस्यों ने जो हंगामा मचाया, वह आनेवाले कल की सादी-सी बानगी है। एक अर्थ में यह सत्र तूफानी से भी ज्यादा भयंकर सिद्ध हो सकता है। अब से 50-55 साल पहले इंदिराजी के कई सत्रों को डाॅ. लोहिया और मधु लिमये के द्वारा तूफानी बनते हुए मैंने देखे हैं लेकिन यह 31 बैठकों का सत्र ऐसा … [Read more...] about संसद का यह तूफानी सत्र