स्वतंत्र भारत को अंग्रेजी ने कैसे अपना गुलाम बना रखा है, इसका पता मुझे आज इंदौर में चला। इंदौर के प्रमुख अखबारों के मुखपृष्ठों पर आज खास खबर यह छपी है कि कोरोना का टीका लगवाने के लिए 8600 सफाईकर्मी लोगों को संदेश भेजे गए थे लेकिन उनमें से सिर्फ 1651 ही पहुँचे। बाकी को समझ में ही नहीं आया कि वह संदेश क्या था ? ऐसा क्यों हुआ ? क्योंकि वह संदेश अंग्रेजी में था। अंग्रेजी की इस … [Read more...] about अंग्रेजीः लोकतंत्र बना जादू-टोना
Archives for February 2021
मोदी के भाषण में किसानों का गुस्सा शांत करने की क्षमता
दैनिक भास्कर, 10 फरवरी 2021: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाबी भाषण सुनकर मेरी त्वरित प्रतिक्रिया यह हुई कि किसान—आंदोलन का संतोषजनक समाधान संभव है। जिन अफसरों और सलाहकारों ने उनका यह भाषण तैयार करवाया है, वे प्रशंसा के पात्र हैं, क्योंकि यह भाषण सरकार और किसानों के बीच फंसी गांठ को खोल सकता है। उसके कई कारण हैं। पहला, मोदी अपने भाषणों में अपने … [Read more...] about मोदी के भाषण में किसानों का गुस्सा शांत करने की क्षमता
संसद में मोदी के तर्क
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संसद में बहस हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री का जो भाषण हुआ, उसके तथ्य और तर्क काफी प्रभावशाली रहे। जिन अफसरों या सलाहकारों ने उनका भाषण तैयार किया है, वे बधाई के पात्र हैं। उस भाषण की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि उसमें मोदी की अहंकारिता और आक्रामकता नदारद थी। शायद किसान आंदोलन ने उनके व्यक्तित्व में यह नया आयाम जोड़ दिया है। इससे उनको और देश को भी … [Read more...] about संसद में मोदी के तर्क
इमरानः कश्मीर में जनमत-संग्रह ?
पाकिस्तान में हर साल 5 फरवरी को कश्मीर-दिवस मनाया जाता है। इस साल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेनापति कमर जावेद बाजवा ने थोड़े सम्हलकर बयान दिए हैं। भारत के साथ गाली-गुफ्ता नहीं किया है। बाजवा ने कहा है भारत कश्मीर का कोई सम्मानपूर्ण हल निकाले लेकिन इमरान खान ने परंपरा से हटकर कोई बात नहीं की। पुराने प्रधानमंत्रियों की तरह उन्होंने कश्मीर पर संयुक्तराष्ट्र के प्रस्ताव … [Read more...] about इमरानः कश्मीर में जनमत-संग्रह ?
किसान और सरकारः फर्जी मुठभेड़
किसानों का चक्का-जाम बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया और उसमें 26 जनवरी– जैसी कोई घटना नहीं घटी, यह बहुत ही सराहनीय है। उत्तरप्रदेश के किसान नेताओं ने जिस अनुशासन और मर्यादा का पालन किया है, उससे यह भी सिद्ध होता है कि 26 जनवरी को हुई लालकिला- जैसी घटना के लिए किसान लोग नहीं, बल्कि कुछ उदंड और अराष्ट्रीय तत्व जिम्मेदार हैं। जहां तक वर्तमान किसान-आंदोलन का सवाल है, यह भी … [Read more...] about किसान और सरकारः फर्जी मुठभेड़
चौरीचौराः यह कैसी नौटंकी ?
जब मैंने अखबारों में पढ़ा कि गोरखपुर के चौरीचौरा कांड का शताब्दि समारोह मनाया जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसका उदघाटन करेंगे तो मेरा मन कौतूहल से भर गया। मैंने सोचा कि 4 फरवरी 1922 याने ठीक सौ साल पहले चौरीचौरा नामक गांव की भयंकर दुर्घटना का मोदी हवाला देंगे और किसानों से वे कहेंगे कि जैसे गांधीजी ने उस घटना के कारण अपना असहयोग आंदोलन वापिस ले लिया था, वैसे ही किसान भी … [Read more...] about चौरीचौराः यह कैसी नौटंकी ?
क्या हमारा लोकतंत्र लंगड़ा गया है ?
भारत में लोकतंत्र की हालत क्या है, इस मुद्दे पर हमारे देश में और दुनिया में आजकल बहस तेज हो गई है। इस बहस को धार दे दी है, किसान आंदोलन ने। इसके पहले नागरिकता कानून, धारा 370, मनमानी हत्याएँ और अल्पसंख्यकों में भय-व्याप्ति आदि मामलों को लेकर भारत के बारे में यह कहा जाने लगा था कि यहाँ लोकतंत्र का दम घोटा जा रहा है। इन मामलों के अलावा सत्तारुढ़ दल में भाई-भाई राज के उदय पर भी … [Read more...] about क्या हमारा लोकतंत्र लंगड़ा गया है ?
रूस में पुतिन की मुसीबत
क्या कभी कोई कल्पना कर सकता था कि मास्को से व्लादिवस्तोक तक दर्जनों शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतर आएंगे और ‘पुतिन तुम हत्यारे हो’, ऐसे नारे लगाएंगे? लेकिन आजकल पूरा रूस जन-प्रदर्शनों से खदबदा रहा है। नर-नारी और बच्चे-बूढ़े भयंकर ठंड की परवाह किए बिना रूस की सड़कों पर डंडे खा रहे हैं और गिरफ्तारियाँ दे रहे हैं। व्लादिमीर पुतिन के एक छत्र राज्य में यह सब क्यों हो रहा है ? यह हो … [Read more...] about रूस में पुतिन की मुसीबत
बजट अच्छा है लेकिन क्रांतिकारी नहीं
जैसा मैंने परसों लिखा था कि देश का वह बजट आदर्श बजट होगा, जो देश के सभी 140 करोड़ लोगों के लिए रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और चिकित्सा की न्यूनतम व्यवस्था तो करे। राष्ट्र को परिवार बना दे। इस कसौटी पर किसी भी बचत का खरा उतरना तभी संभव है, जबकि देश के शीर्ष नेताओं के दिल में ऐसा प्रबल संकल्प हो और उन्हें आर्थिक मामलों की गहरी समझ भी हो लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्तमान … [Read more...] about बजट अच्छा है लेकिन क्रांतिकारी नहीं
म्यांमार में तख्ता—पलट
भारत के पड़ौसी देश म्यांमार (बर्मा या ब्रह्मदेश) में आज सुबह-सुबह तख्ता-पलट हो गया। उसके राष्ट्रपति बिन मिन्त और सर्वोच्च नेता श्रीमती आंग सान सू की को नजरबंद कर दिया गया है और फौज ने देश पर कब्जा कर लिया है। यह फौजी तख्ता-पलट सुबह-सुबह हुआ है जबकि अन्य देशों में यह प्रायः रात को होता है। म्यांमार की फौज ने यह तख्ता इतनी आसानी से इसीलिए पलट दिया है कि वह पहले से ही सत्ता के तख्त … [Read more...] about म्यांमार में तख्ता—पलट