ईरान के साथ चीन ने इतना बड़ा सौदा कर लिया है, जिसकी भारत कल्पना भी नहीं कर सकता। 400 बिलियन डॉलर चीन खर्च करेगा, ईरान में ! काहे के लिए ? सामरिक सहयोग के लिए। इसमें आर्थिक, फौजी और राजनीतिक, ये तीनों सहयोग शामिल हैं। भारत वहां चाहबहार का बंदरगाह बनाने और उससे जाहिदान तक रेल-लाइन डालने की कोशिश कर रहा है। इस पर वह मुश्किल से सिर्फ 2 बिलियन डालर खर्च करने की सोच रहा है। भारत ने … [Read more...] about ईरान में चीन की चुनौती
Archives for March 2021
मोदी की बांग्ला-यात्रा कैसी रही ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शेख हसीना ने ढाका बुलाकर बहुत ठीक किया। बांग्लादेश की आजादी का यह पचासवाँ और शेख मुजीब के जन्म का यह 100 वाँ साल है। इन दोनों शुभ जन्म-अवसरों पर बांग्लादेश में भारत को याद नहीं किया जाता तो किसको याद किया जाता ? मोदी की भी हिम्मत है कि इस कोरोना-काल में उन्होंने पहली विदेश-यात्रा कहीं की तो वह बांग्लादेश की की। उन्होंने अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी, … [Read more...] about मोदी की बांग्ला-यात्रा कैसी रही ?
फौज में महिलाओं को मौका
सर्वोच्च न्यायालय ने देश की महिलाओं के पक्ष में एक एतिहासिक फैसला कर दिया है। उसने भारत की फौज में महिलाओं को पक्की नौकरियां देने का प्रावधान कर दिया है। अब तक फौज में महिलाओं को अस्थायी या कच्ची नौकरियां ही मिलती थीं। याने उन्हें ज्यादा से ज्यादा 14 साल तक काम करने की इजाजत ही मिलती थी। लेकिन अब वे बाकायदा अन्य पुरुष फौजियों की तरह सेवा-निवृत्त होंगी और उन्हें पेंशन भी … [Read more...] about फौज में महिलाओं को मौका
अमेरिकाः बंदूकबाजी कैसे रुके ?
अमेरिका यों तो अपने आप को दुनिया का सबसे अधिक सभ्य और प्रगतिशील राष्ट्र कहता है लेकिन यदि आप उसके पिछले 300-400 साल के इतिहास पर नजर डालें तो आपको समझ में आ जाएगा कि वहां इतनी अधिक हिंसा क्यों होती है। पिछले हफ्ते अटलांटा और कोलेरोडो में हुई सामूहिक हत्याओं के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने ‘आक्रामक हथियारों’ पर तत्काल प्रतिबंध की मांग क्यों की है ? पिछले एक साल में 43500 लोग … [Read more...] about अमेरिकाः बंदूकबाजी कैसे रुके ?
श्रीलंका पर भारत की तटस्थता
श्रीलंका के मामले में भारत अजीब-सी दुविधा में फंस गया है। पिछले एक-डेढ़ दशक में जब भी श्रीलंका के तमिलों पर वहां की सरकार ने जुल्म ढाए, भारत ने द्विपक्षीय स्तर पर ही खुली आपत्ति नहीं की बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी तमिलों के सवाल को उठाया। उसने 2012 और 2013 में दो बार संयुक्त-राष्ट्र संघ के मानव अधिकार आयोग में इस मुद्दे पर श्रीलंका के विरोध में मतदान किया लेकिन इस बार इसी … [Read more...] about श्रीलंका पर भारत की तटस्थता
भारत-पाकः शुभ-संकेत
भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधि सिंधु जल बंटवारे के संबंध में आजकल दिल्ली में बैठक कर रहे हैं। पिछले दो-ढाई वर्ष में दोनों देशों के बीच तनाव का जो माहौल रहा है, उसके बावजूद इस बैठक का होना यही संकेत दे रहा है कि पाकिस्तान की फौज और नेताओं को जमीनी असलियत का भान होने लगा है या फिर कोई मध्यस्थ उन्हें बातचीत के लिए प्रेरित कर रहा है। यह संकेत इसलिए भी पुष्ट होता है कि प्रधानमंत्री … [Read more...] about भारत-पाकः शुभ-संकेत
मुंबई में परमबीर का परमतीर
चार दिन पहले तक मुंबई के जो पुलिस कमिश्नर रहे, ऐसे परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को जो चिट्ठी भेजी है, उसने हिंदुस्तान की राजनीति को नंगा करके रख दिया है। उस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पुलिस के सहायक सब-इंस्पेक्टर को आदेश दिया था कि वह उन्हें कम से कम 100 करोड़ रु. हर महिने लोगों से उगाकर दे। इस सब-इंस्पेक्टर का नाम है— सचिन … [Read more...] about मुंबई में परमबीर का परमतीर
भारत क्यों बने किसी का मोहरा ?
भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया— इन चार राष्ट्रों के चौगुटे का जो पहला शिखर-सम्मेलन हुआ, उसमें सबसे ध्यान देने वाली बात यह हुई कि किसी भी नेता ने चीन के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला जबकि माना जा रहा है कि यह चौगुटा बना ही है, चीन को टक्कर देने के लिए। इसका नाम है- क्वाड याने ‘‘क्वाड्रीलेटरल सिक्यूरिटी डाॅयलाग’’ अर्थात सामरिक समीकरण ही इसका लक्ष्य है लेकिन इसमें भाग ले रहे … [Read more...] about भारत क्यों बने किसी का मोहरा ?
देवतुल्य है, ये डॉक्टर !
आजकल डाक्टरी, वकालत और शिक्षा— ये तीन सेवाएं नहीं, धंधे माने जाते हैं। यदि कोई धंधा करता है तो पैसा तो वह बनाएगा ही ! इन तीनों सेवाओं को सीखने के दौरान जो अनाप-शनाप खर्च करना पड़ता है, अगर उसे वसूला नहीं जाए तो काम कैसे चलेगा ? वसूली के इस दौर में शहरी, सपंन्न और ऊँची जातियों के लोग तो किसी तरह अपना काम धका ले जाते हैं लेकिन देश के लगभग 100 करोड़ लोग आज भी समुचित शिक्षा, चिकित्सा … [Read more...] about देवतुल्य है, ये डॉक्टर !
मंदिर—मस्जिद: विचार, मंथन जरुरी
सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐसे कानून पर पुनर्विचार की याचिका स्वीकार कर ली है, जिसका उद्देश्य था— भारत के मंदिर-मस्जिदों के विवादों पर हमेशा के लिए तालाबंदी कर देना। अब से 30 साल पहले जब बाबरी-मस्जिद के विवाद ने बहुत जोर पकड़ लिया था, तब नरसिंहराव सरकार बाबरी मस्जिद के विवाद को तो हल करना चाहती थी लेकिन इस तरह के शेष सभी विवादों को विराम देने के लिए वह 1991 में एक कानून ले आई। इस … [Read more...] about मंदिर—मस्जिद: विचार, मंथन जरुरी