नया इंडिया, 31 अक्टूबर 2014: दिल्ली के उप-राज्यपाल नजीब जंग यदि भाजपा, आप और कांग्रेस की कोई मिली-जुली सरकार खड़ी कर सकें तो यह एक लोकतांत्रिक चमत्कार ही होगा। अभी तो वे सिर्फ उप-राज्यपाल हैं। फिर उन्हें भारत का अगला राष्ट्रपति चुनने में भी किसी को एतराज़ नहीं होगा। अदालत ने फटकार लगाने के बाद भी उन्हें मोहलत दे दी है लेकिन अदालत जरा खुद सोचे कि दिल्ली में सरकार कैसे बन सकती है? … [Read more...] about दिल्ली विधानसभा भंग करें
Archives for October 2014
काले धन की जड़ों में मट्ठा
नया इंडिया, 30 अक्टूबर 2014 : सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को उन लोगों के नाम सौंप दिए हैं, जिनके खाते विदेशों में हैं। यह कार्य स्वागत योग्य है लेकिन विडंबना है कि इसका श्रेय सरकार को नहीं मिलेगा। इसका श्रेय उन न्यायाधीशों को है, जिन्होंने सरकार को सीधी फटकार लगाई। उन्होंने वही कहा, जो राम जेठमलानी कह रहे थे। वित्तमंत्री जेटली ने शुरु में जो सफाई पेश की थी, वह उन्हें मनमोहन सिंह … [Read more...] about काले धन की जड़ों में मट्ठा
कम्युनिस्ट किसे चुने, कुर्सी या क्रांति?
नया इंडिया, 29 अक्टूबर 2014: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी में आजकल काफी गहरा विचार-मंथन चल रहा है। 1978 में जालंधर अधिवेशन में उसने जो रास्ता पकड़ा था, उसे अब वह छोड़ना चाहती है। वह रास्ता क्या था? वह रास्ता था, गैर-भाजपा दलों से गठबंधन करने का! भाजपा को वह घोर दक्षिणपंथी, सांप्रदायिक और संकीर्ण दल मानती थी, जबकि उसे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, द्रमुक, अन्नाद्रमुक, जनता दल आदि … [Read more...] about कम्युनिस्ट किसे चुने, कुर्सी या क्रांति?
कांग्रेस में नेता बदलें या नीति?
नया इंडिया, 28 अक्टूबर 2014: पी चिदंबरम ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया। उन्होंने कह दिया कि कांगेस में से माँ-बेटा राज खत्म भी हो सकता है। उनके इस दुस्साहिसक बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी जा रही है। क्यों नहीं देखी जा रही है? क्योंकि सभी कांग्रेसी मजबूर हैं। वे क्या करें? उन्हें पता है कि सोनिया और राहुल के बिना उनका काम एक दिन भी नहीं चल सकता। यह वैसा ही है जैसा कि किसी … [Read more...] about कांग्रेस में नेता बदलें या नीति?
जेठमलानी को गुस्सा क्यों आया?
वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी को गुस्सा क्यों आया? इसीलिए न कि सर्वोच्च न्यायालय के सामने भारत सरकार ने घुटने टेक दिए। सरकारी महाअधिवक्ता ने कह दिया कि सरकार उन लोगों के नाम उजागर नहीं कर सकती, जिन्होंने विदेशी बैंकों में अपना काला धन छिपा रखा है। यही बात तो मनमोहन सिंह सरकार कह दिया करती थी। इसी रवैए पर भाजपा चिढ़ जाती थी और कहती थी कि हम सरकार बनाएंगे तो 100 दिन में काला धन वापस … [Read more...] about जेठमलानी को गुस्सा क्यों आया?
इस जीत का अर्थ क्या है?
नया इंडिया, 20 अक्टूबर 2014: हरियाणा और महाराष्ट्र में भाजपा की विजय के अर्थ क्या हैं? इस विजय का सबसे पहला संदेश तो यह है कि यह सच्चे लोकतंत्र की विजय है। जनता के लोकतांत्रिक निर्णय को पलीता लगाने वाली चीजे हैं – जातिवाद, क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद! इन अ-राजनीतिक दबावों से ऊपर उठ कर लोगों ने मतदान किया यानी उन्होंने निजी संबंधों के मुकाबले स्वविवेक को वरीयता दी। भावनाओं पर विवेक … [Read more...] about इस जीत का अर्थ क्या है?
शुरु हुआ व्यवस्था परिवर्तन का दौर
दैनिक भास्कर, 18 अक्टूबर 2014: प्रांतीय चुनावों से मुक्त होते ही सरकार ने तेजी से काम करना शुरु कर दिया है। इसके तीन स्पष्ट संकेत हमारे सामने हैं। पहला श्रम−सुधार की घोषणा, महत्वपूर्ण सचिवों की अदला−बदली और ‘मनरेगा’ का रुपांतरण! यदि इन तीनों परिवर्तनों को एक साथ रखकर देखें तो आशा बंधती है कि इस वर्ष के अंत तक यह सरकार देश के सामने कुछ ठोस उपलब्धियां प्रस्तुत कर सकेगी। दूसरे … [Read more...] about शुरु हुआ व्यवस्था परिवर्तन का दौर
शुरु हुआ व्यवस्था परिवर्तन का दौर
दैनिक भास्कर, 18 अक्टूबर 2014: प्रांतीय चुनावों से मुक्त होते ही सरकार ने तेजी से काम करना शुरु कर दिया है। इसके तीन स्पष्ट संकेत हमारे सामने हैं। पहला श्रम−सुधार की घोषणा, महत्वपूर्ण सचिवों की अदला−बदली और ‘मनरेगा’ का रुपांतरण! यदि इन तीनों परिवर्तनों को एक साथ रखकर देखें तो आशा बंधती है कि इस वर्ष के अंत तक यह सरकार देश के सामने कुछ ठोस उपलब्धियां प्रस्तुत कर सकेगी। दूसरे … [Read more...] about शुरु हुआ व्यवस्था परिवर्तन का दौर
प्रचार तो हो लिया, अब काम शुरु हो
नया इंडिया, 17 अक्टूबर 2014 : महाराष्ट्र और हरयाणा में मतदान का प्रतिशत बढि़या रहा। इससे क्या सिद्ध होता है? क्या यह नहीं कि लोगों में संसदीय चुनाव का उत्साह ज्यों का त्यों बना हुआ है। यह अब पांच माह बाद भी क्यों बना हुआ है? प्रायः ऐसा उत्साह ठंडा हो जाता है। अखिल भारतीय चुनावों में प्रचंड विजय पानेवाली पार्टियां उसके बाद होनेवाले प्रांतीय और स्थानीय चुनावों में अक्सर पटकनी खा … [Read more...] about प्रचार तो हो लिया, अब काम शुरु हो
प्रचार तो हो लिया, अब काम शुरु हो
नया इंडिया, 17 अक्टूबर 2014 : महाराष्ट्र और हरयाणा में मतदान का प्रतिशत बढि़या रहा। इससे क्या सिद्ध होता है? क्या यह नहीं कि लोगों में संसदीय चुनाव का उत्साह ज्यों का त्यों बना हुआ है। यह अब पांच माह बाद भी क्यों बना हुआ है? प्रायः ऐसा उत्साह ठंडा हो जाता है। अखिल भारतीय चुनावों में प्रचंड विजय पानेवाली पार्टियां उसके बाद होनेवाले प्रांतीय और स्थानीय चुनावों में अक्सर पटकनी खा … [Read more...] about प्रचार तो हो लिया, अब काम शुरु हो