नया इंडिया, 12 दिसंबर 2014 : आज प्रहसन-पत्रकारिता और तीतर-बटेर पत्रकारिता का एक नया नमूना हमारे टीवी चैनलों ने दिखाया। नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी मध्यप्रदेश के अपने हैं। वे भोपाल के निकटस्थ विदिशा के निवासी हैं लेकिन उनको लेकर भोपाल में विधायकों और मंत्रियों ने अपने ज्ञान का जैसा प्रदर्शन किया है, वह हमारे राजनीतिज्ञों की बौद्धिकता की पोल खोल देता है। एक टीवी चैनल के … [Read more...] about तीतर-बटेर पत्रकारिता!
Archives for 2014
गीता को बस गीता रहने दें
नया इंडिया, 10 दिसंबर 2014: विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गीता को ‘राष्ट्रीय ग्रंथ’ घोषित करने की इच्छा व्यक्त की है। वे, क्योंकि विदेश मंत्री हैं, इसीलिए सारे विपक्षी दल उनके पीछे पड़ गए हैं। यदि वे विदेश मंत्री नहीं होतीं तो उनकी राय की कोई परवाह भी नहीं करता, क्योंकि न तो वे गीता की महान पंडिता की तौर पर जानी जाती हैं और न ही वे किसी हिंदू संप्रदाय की मुखिया हैं। इसीलिए गीता … [Read more...] about गीता को बस गीता रहने दें
मोदी का शीर्षासन!
नया इंडिया, 9 दिसंबर 2014: नरेंद्र मोदी जैसे ही प्रधानमंत्री बने, उन्होंने सर्वत्र हिंदी का इस्तेमाल शुरु कर दिया। दक्षेस राष्ट्रों के नेताओं से भी हिंदी में बात की। देश को लगा कि यह ऐसा पहला प्रधानमंत्री आया है, जो गुजराती होते हुए भी राष्ट्रभाषा को उसका उचित स्थान दिलाएगा। यह सच्चा राष्ट्रवादी है और अंग्रेजी का गुलाम नहीं है। मोदी ने जो अपना पहला पत्र राष्ट्रपति को लिखा था, … [Read more...] about मोदी का शीर्षासन!
इस हमले का अर्थ क्या है?
नया इंडिया, 9 दिसंबर 2014: जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले का अर्थ क्या है? इसका मोटा-सा अर्थ यह है कि कश्मीर के अलगाववादियों के पांव के नीचे की जमीन खिसक गई है। पिछले दो मतदानों में 72 प्रतिशत मतदान होना कोई मामूली बात नहीं है। इतना अभूतपूर्व मतदान तब हुआ है जबकि अलगाववादियों ने उसके बहिष्कार का आह्वान किया था। अब फिर सोमवार को श्रीनगर में प्रधानमंत्री की सभा है। उसके बाद … [Read more...] about इस हमले का अर्थ क्या है?
नेता कठोर लेकिन मोर्चा मुलायम
नया इंडिया, 06 दिसंबर 2014: ये जो तीसरा मोर्चा बन रहा है, यह मुलायम होगा या कठोर? छह प्रांतीय दलों के इस मोर्चे की जान मुलायमसिंह यादव हैं, यह सभी जानते हैं। उत्तरप्रदेश में कभी एक नारा चला था। नाम मुलायम, काम कठोर! लेकिन इस बार यह मोर्चा कठोर बन पाएगा, इसमें संदेह दिखाई पड़ता है। जब 1977 में जनता पार्टी बनी थी, उस समय की आप जरा कल्पना करें। उस समय मुद्दे क्या-क्या थे और नेता … [Read more...] about नेता कठोर लेकिन मोर्चा मुलायम
बांग्लादेश के जरिए बड़ा संदेश
नया इंडिया, 4 दिसंबर 2014 : बांग्लादेश के प्रति भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इधर जो विचार दृढ़तापूर्वक प्रगट किए हैं, उनके कई अर्थ निकलते हैं। मोदी ने 1974 का भू-सीमा समझौते को लागू करने की घोषणा की है। इस समझौते के अन्तर्गत भारत अपनी सीमा में स्थित बांग्लादेश के 51 भू-प्रकोष्ठ ले लेगा और उसकी सीमा में स्थित 111 भारतीय भू-प्रकोष्ठ उसे दे देगा। जाहिर है कि इस लेन-देन में … [Read more...] about बांग्लादेश के जरिए बड़ा संदेश
इस्लामी जिहाद या अरबी जिहाद?
नया इंडिया, 1 दिसंबर 2014: अब से कुछ साल पहले तक हम गर्व से कहते थे कि मुजाहिद्दीन और तालिबान के साथ-साथ लड़ने वालों में दुनिया के कई देशों के मुसलमान युवक लगे हुए हैं लेकिन भारत का कोई भी मुस्लिम जवान इन सिरफिरों के चक्कर में नहीं फंसा है। हम मानते थे कि भारत का मुसलमान आंतरिक मामलों में कितना ही नाराज़ हो लेकिन वह इतना परिपक्व है कि बाहरी ताकतों का खिलौना बनना पसंद नहीं करता। … [Read more...] about इस्लामी जिहाद या अरबी जिहाद?
दक्षेस देशों पर भारत भय भारी
दैनिक भास्कर, 29 नवंबर 2014: दक्षेस का 18वां सम्मेलन काठमांडू में हुआ, लेकिन यह सवाल दक्षेस-नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि यह क्षेत्रीय संगठन क्या 18 कदम भी आगे बढ़ पाया है? यह ठीक है कि सदस्य राष्ट्रों के बीच तू-तू मैं-मैं नहीं हुई, लेकिन औपचारिक प्रस्तावों के अलावा क्या हुआ? इस संगठन को 30 साल हो रहे हैं, लेकिन इतने वर्षों में वह अपना नाम भी नहीं ढूंढ़ पाया। अभी भी उसे ‘सार्क’ … [Read more...] about दक्षेस देशों पर भारत भय भारी
दक्षेस : कुछ भूल जाएं, कुछ आगे बढ़ें
या इंडिया, 28 नवंबर 2014: दक्षेस के 18 वें शिखर सम्मेलन का मूल्यांकन कैसे किया जाए? यह कहना शायद काफी ठीक होगा कि आधा गिलास भरा और आधा गिलास खाली रहा। आधा गिलास भरा इस दृष्टि से रहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने नेपाल के साथ कई समझौते किए। पाकिस्तान के साथ कोई कहा−सुनी नहीं हुई बल्कि दोनों देशों के नेताओं में अनौपचारिक भेंट हो गई। इसके अलावा सदस्य−राष्ट्रों के नेताओं की आपस में … [Read more...] about दक्षेस : कुछ भूल जाएं, कुछ आगे बढ़ें
जोशीले मतदान ने होश उड़ाए
नया इंडिया, 27 नवंबर 2014: जम्मू-कश्मीर और झारखंड में पहले दौर का मतदान भारतीय लोकतंत्र की उल्लेखनीय उपलब्धि है। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों ने मतदान के बहिष्कार का आह्वान किया था और झारखंड में माओवादियों ने धमकी दे रखी थी। ब्लेकमेल के दोनों पैंतरे धरे रह गए। दोनों प्रांतों में लोगों ने अत्यंत उत्साहपूर्वक मतदान किया। झारखंड में मतदान 62 प्रतिशत हुआ और जम्मू-कश्मीर में 72 … [Read more...] about जोशीले मतदान ने होश उड़ाए