पंजाब, गुजरात, उत्तराखंड और कर्नाटक में जिस तरह मुख्यमंत्री बदले गए हैं, क्या इस प्रक्रिया के पीछे छिपे गहरे अर्थ को हम समझ पा रहे हैं? किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए यह काफी चिंता का विषय है। इन चारों राज्यों में पिछले दिनों जिस तरह से मुख्यमंत्रियों को बदला गया है, उस तरीके में चमत्कारी एकरुपता दिखाई पड़ रही है। पंजाब में कांग्रेस है और शेष तीन राज्यों में भाजपा है। ये … [Read more...] about कांग्रेस व भाजपा दोनों जात के भरोसे!
Archives for September 2021
कानून में अंग्रेजी की गुलामी
भारत के मुख्य न्यायाधीश नथालपति वेंकट रमन ने कल वह बात कह दी, जो कभी डाॅ. राममनोहर लोहिया कहा करते थे। जो बात न्यायमूर्ति रमन ने कही है, मेरी स्मृति में ऐसी बात आज तक भारत के किसी न्यायाधीश ने नहीं कही। रमनजी ने एक स्मारक भाषण देते हुए बोला कि भारत की न्याय व्यवस्था को औपनिवेशिक और विदेशी शिकंजे से मुक्त किया जाना चाहिए। यह शिकंजा क्या है? यह शिकंजा है- अंग्रेजी की गुलामी का! … [Read more...] about कानून में अंग्रेजी की गुलामी
भारत हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठा है?
शांघाई सहयोग संगठन की शिखर बैठक में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार अफगानिस्तान पर अपना मुँह खोला। उन्हें बधाई, उनके जन्मदिन की भी! पिछले डेढ़-दो महिने से ऐसा लग रहा था कि भारत की विदेश नीति से हमारे प्रधानमंत्री का कुछ लेना-देना नहीं है। उन्होंने विदेश नीति बनाने और चलाने का सारा ठेका नौकरशाहों को दे दिया है लेकिन अब वे बोले और अच्छा बोले। उन्होंने अफगानिस्तान में … [Read more...] about भारत हाथ पर हाथ धरे क्यों बैठा है?
इन मंत्रियों से देश सीखे
अपने देश के मंत्रियों और नेताओं का व्यवहार कुछ ऐसा बन गया है, कि कभी-कभी हमें उनकी कड़ी आलोचना करनी पड़ती है लेकिन अभी-अभी हमारे दो मंत्रियों और एक मुख्यमंत्री के ऐसे किस्से सामने आए हैं, जो हमें इतिहास-प्रसिद्ध महाराजा सत्यवादी हरिश्चंद्र और सम्राट विक्रमादित्य के आदर्श आचरण की याद दिला देते हैं। सबसे पहले लें केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी को! गडकरी ने कल दिल्ली-मुंबई महापथ … [Read more...] about इन मंत्रियों से देश सीखे
डॉ.वेदप्रताप वैदिक जी ने हिन्दी में हस्ताक्षर करने हेतु समर्थन किया (वीडियो)
भारत के सभी नागरिक यह संकल्प ले सकते हैं कि वे अपने हस्ताक्षर अपनी मातृभाषा या हिंदी में ही करेंगे। वे अंग्रेजी या किसी भी विदेशी भाषा में हस्ताक्षर नहीं करेंगे। देश के ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग अपने दस्तखत अंग्रेजी में ही करते हैं। आपके हस्ताक्षर आपकी पहचान हैं। उनका महत्व अद्वितीय है। https://youtu.be/b5G2CE5-2lo https://youtu.be/63AQwU5QcfE … [Read more...] about डॉ.वेदप्रताप वैदिक जी ने हिन्दी में हस्ताक्षर करने हेतु समर्थन किया (वीडियो)
पाक ऐसा बने कि दुनिया नाज़ करे
पाकिस्तान ने संयुक्तराष्ट्र मानव अधिकार परिषद और ‘इस्लामी सहयोग संगठन’ (आईआईसी) में कश्मीर का मुद्दा फिर से उठा दिया है। पाक प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि कश्मीर में मानव अधिकारों का उल्लंघन कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे हो रहा है? यदि वह अपनी बात प्रमाण सहित कहता तो न सिर्फ भारत सरकार उस पर ध्यान देने को मजबूर होती बल्कि भारत में ऐसे कई संगठन और श्रेष्ठ व्यक्ति हैं, जो मानव अधिकारों … [Read more...] about पाक ऐसा बने कि दुनिया नाज़ करे
अमीरी और गरीबी की खाई
भारत में अमीरों और गरीबों के बीच की खाई आजकल पहले से भी अधिक गहरी होती जा रही है। ऐसा नहीं है कि भारत की समृद्धि बढ़ नहीं रही है। समृद्धि तो बढ़ रही है लेकिन उसके साथ-साथ आर्थिक विषमता भी बढ़ रही है। अभी एक जो ताजा सरकारी सर्वेक्षण हुआ है, उसका कहना है कि देश के 10 प्रतिशत मालदार लोग देश की 50 प्रतिशत संपदा के मालिक हैं और 50 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनके पास 10 प्रतिशत संपदा भी नहीं … [Read more...] about अमीरी और गरीबी की खाई
पेगाससः चिलमन से लगे बैठे हैं
पेगासस-जासूसी का मामला उलझता ही जा रहा है। जब यह पेगासस-कांड हुआ, तभी मैंने लिखा था कि सरकार को कुछ प्रमुख विरोधी नेताओं की सर्वथा गोपनीय बैठक बुलाकर उन्हें जरुरी बातें बता देनी चाहिए ताकि जासूसी का यह मामला सार्वजनिक न हो। हर सरकार को जासूसी करनी ही पड़ती है। कोई भी सरकार जासूसी किए बिना रह नहीं सकती लेकिन यदि वह यह सबको बता दे कि वह किस-किस की जासूसी करती है और कैसे करती है तो … [Read more...] about पेगाससः चिलमन से लगे बैठे हैं
हिंदी दिवस की औपचारिकता
हिंदी दिवस हम हर साल 14 सितंबर को मनाते हैं, क्योंकि इसी दिन 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा बनाया था। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि हिंदी वास्तव में भारत की राजभाषा है भी या नहीं है? यदि हिंदी राजभाषा होती तो कम से कम भारत का राज-काज तो हिंदी भाषा में चलता लेकिन आजकल राजकाज तो क्या, घर का काम-काज भी हिंदी में नहीं चलता। अंग्रेज की गुलामी के दिनों में फिर भी हिंदी का … [Read more...] about हिंदी दिवस की औपचारिकता
हिंदी में हस्ताक्षर से क्यों न करें शुरुआत
हर 14 सितंबर को भारत में हिंदी-दिवस मनाया जाता है। वह एक सरकारी औपचारिकता बनकर रह जाता है। यदि भारत की विभिन्न सरकारों और जनता को सचमुच स्वभाषा का महत्व पता होता तो हिंदी की वह दुर्दशा नहीं होती, जो आज भारत में है। आज तक दुनिया का कोई भी देश यदि महाशक्तिशाली और महासंपन्न बना है तो वह स्वभाषा के माध्यम से बना है। सुरक्षा परिषद् के पांचों स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और … [Read more...] about हिंदी में हस्ताक्षर से क्यों न करें शुरुआत