नोटबंदी किस बुरी तरह से पिट गई है, इसका पता आज के ताजा आंकड़े दे रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि नोटबंदी से काला धन समाप्त होगा, नकली नोट खत्म होंगे और आतंकवादियों की जेबें खाली हो जाएंगी। इन तीनों मुद्दों पर सरकार मात खा गई है।
पांच राज्यों में हो रहे इन चुनावों में इतने ज्यादा नकद नोट पकड़े गए हैं कि केशलेस व्यवस्था की नाक कट गई है या यों कहें तो बेहतर होगा कि मोदी सरकार गंजी (केश-लेश) हो गई है। उप्र के 2012 के चुनाव में जितना काला धन पकड़ा गया था, उससे तीन गुने याने इस बार 109 करोड़ 79 लाख रु. पकड़े गए हैं। अभी उप्र में चार बार मतदान और होने बाकी हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि मार्च तक यह राशि 300 करोड़ रु. का आंकड़ा पार कर जाए।
पंजाब में यही राशि 2012 के मुकाबले इस बार पांच गुना ज्यादा है। 58 करोड़ के काला धन के अलावा करोड़ों रु. की शराब की बोतलें और नशीली दवाइयां पकड़ी गई हैं। यही हाल उत्तराखंड और गोवा का हुआ है। गोवा में इस चुनाव में पकड़ा गया काला धन 60 लाख से बढ़कर सवा दो करोड़ हो गया। यह तो पकड़े हुए धन का हाल है, जो नहीं पकड़ा गया, जरा उसकी कल्पना तो कीजिए।
नोटबंदी पर सीना फुलाकर बोलने वाली सरकार के लिए यह शर्म से डूब मरने की बात है। यदि मोदी ने नोटबंदी को इस चुनाव में अपने विरोधियों का गला घोंटने के लिए चलाया था तो यह मान लीजिए कि उन्होंने और खुद मोदी की भाजपा ने नोटबंदी का गला घोंट दिया है। पूरे भारत को ‘डिजिटल लेन-देन’ वाला देश बनाने का दावा करने वाली सरकार अब संसद का सामना किस मुंह से करेगी?
आज तक सरकार और उसके इशारों पर थिरकने वाली रिजर्व बैंक यह नहीं बता सकी है कि उन्होंने कितना काला धन उगलवाया है। लोगों ने अपना सारा काला धन सफेद करके सरकार को चारों खाने चित कर दिया है। इस सरकार ने 2000 रू का नोट जारी करके लोगों की काला धन जुटाने की सुविधा को दुगुनी करा दिया है। इस छोटे आकर के बड़े नोट के लिए सभी चुनावी उम्मीदवार मोदीजी का तहे-दिल से शुक्रिया अदा कर रहे हैं।
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