पिछड़ा वर्ग आयोग की जगह अब सरकार एक सामाजिक-शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग राष्ट्रीय आयोग स्थापित करेगी। इस खबर को लेकर राज्यसभा में काफी हंगामा हो गया। राज्यसभा के कुछ सदस्यों ने यह आरोप लगाया कि यह आयोग इसलिए बनाया जा रहा है कि पिछड़ों और अनुसूचितों को मिलने वाले आरक्षण में कटौती की जा सके। इस घोषणा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत के उस बयान से भी जोड़ा जा रहा है, जो उन्होंने बिहार के चुनाव के दौरान दे दिया था। उन्होंने कहा था कि आरक्षण की समस्या पर पुनर्विचार होना चाहिए।
उन्होने ने यह क्यों कहा था? इसीलिए कि देश में आरक्षण को लेकर कई जातियां भड़की हुई हैं। गुजरात के पटेल, हरियाणा के जाट, राजस्थान के गूजर, आंध्र के कापू और उप्र की दर्जनों पिछड़ी जातियों के लोग आरक्षण पाने के लिए जबर्दस्त आंदोलन छेड़े हुए हैं। इसके अलावा कई ईसाई और मुस्लिम संगठन भी अपने पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
यों भी सतत विकासमान राष्ट्र में आरक्षण क्या, हर समस्या के बारे में कुछ वर्षों बाद विचार किया ही जाना चाहिए। हमारे इतने विशाल संविधान में यदि 100 से अधिक संशोधन हो सकते हैं तो इन आयोगों और निगमों के बारे में कुछ सुधार क्यों नहीं हो सकता?
सांसद शरद यादव और रामगोपाल यादव ने पिछले पिछड़ा आयोग को भंग करने पर जो चिंता व्यक्त की है, वह जायज है, क्योंकि यदि आरक्षण पर पुनर्विचार हुआ और नई जातियां जुड़ गईं तो पुरानी जातियों की सीटें कटेंगी। आरक्षण का प्रतिशत तो बढ़ नहीं सकता। 80-90 प्रतिशत नौकरियों और स्कूली प्रवेश को आरक्षित नहीं किया जा सकता।
इस नए आयोग की खूबी यह होगी कि इसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त होगा। जहां भी अन्याय हो, उसके निवारण का अधिकार उसे होगा जो अब तक नहीं था। लेकिन मेरी राय है कि जातिगत आरक्षण बिल्कुल समाप्त ही किया जाना चाहिए। जाति के आधार पर उस समय इसलिए आरक्षण दिया गया था कि सरकार के पास अपनी जनता के बारे में ठीक-ठाक आंकड़े नहीं थे।
यह बात आरक्षण के जनक काका कालेकर ने अपने एक पत्र में हमारे प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्रप्रसाद को लिखी थी। अब कौन सचमुच पिछड़ा है, कौन गरीब है, कौन अशिक्षित है, यह सब कुछ दस्तावेजों में उपलब्ध है। ऐसे जातीय आरक्षण थोक में देकर आरक्षण को हम मजाक क्यों बना रहे हैं ? आशा है, यह नया आयोग सिर्फ उन्हें ही आरक्षण देगा, जिन्हें इसकी जरुरत है। यदि ऐसा हुआ तो यह नया पिछड़ा आयोग अगड़ा बन जाएगा।
Leave a Reply