नया इंडिया, 21 दिसंबर 2013 : आम आदमी पार्टी के तथाकथित नेताओं को कांग्रेस ने बुद्धू बना दिया है। शेर पूंछ को हिलाता, इसके बजाय अब पूंछ शेर को हिला रही है। कहां 8 और कहां 28? लेकिन 8 सदस्यों वाली कांग्रेस ‘आप’ पार्टी को नाच नचा रही है। उप-राज्यपाल उसे छूट पर छूट दिए जा रहे हैं। दो हफ्ते पूरे होने वाले हैं लेकिन दिल्ली में कोई सरकार नहीं है। शून्य है। राज्यपाल कह रहे हैं, आप सरकार क्यों नहीं बनाते? कांग्रेस तो आपको बिना शर्त समर्थन दे रही है? केजरीवाल को पता है कि जो पार्टी बिना शर्त समर्थन दे रही है, वह बिना किसी कारण ‘आप’ की टांग भी खींच लेगी लेकिन तात्कालिक मिली सफलता ने उसकी आंखों पर पट्टी चढ़ा दी है।
‘आप’ दोनों पार्टियों को लिख रही है कि हमारी 18 मांगे हैं। बताइए आप कितनी मांगों का समर्थन करेंगे? याने समर्थन के लिए आप झोली फैला रहे हैं और साथ में शर्तें भी लगा रहे हैं। क्या खूब? कौन न मर जाए, इस अदा पर? इन मांगों को अनावश्यक और अपरिपक्व कहकर उन पार्टियों ने रद्द कर दिया तो अब ‘आप’ पार्टी ने जनमत-संग्रह का नाटक शुरू कर दिया। पांच लाख लोगों की प्रतिक्रिया आ चुकी है। अब हर निर्वाचन-क्षेत्र में सभाएं होंगी, जिनमें लोगों से पूछा जाएगा कि हम सरकार बनाएं या नहीं? इस सवाल पर लोग क्या कहेंगे और उनके कहे की कीमत क्या है? जब कांग्रेसी विधायक टांग के नीचे से दरी खीचेंगे तो क्या ये पानी पर चढ़ाने वाले लोग ‘आप’ को बचा लेंगे? अब तो फैसला आपको करना है। जनता अपना फैसला सुना चुकी है। उसके फैसले को आप स्वीकार करते तो आपकी साख बनती और बढ़ती। दूसरा नम्बर आया तो शान से विरोध में बैठते और पहले नंबर की पार्टी का बाहर से समर्थन करते। उस पर जोर डालते कि वह ‘आप’ की मांगों पर अमल करे। यदि वह नहीं करती तो आप उसकी दरी खींच लेते। आपके नंबर बढ़ जाते लेकिन अब दूसरे नंबर की पार्टी होते हुए भी आप सरकार बनाना चाहते हैं, वह भी कांग्रेस के समर्थन से? आपने अपनी आधी हत्या तो पहले ही कर ली और आपकी आधी हत्या कांग्रेस कर देगी, सरकार बनने के बाद! सरकार बनाने पर अपने हवाई वायदे आप कैसे लागू करेंगे? 500 स्कूल और अस्पताल बनाने के लिए जमीन कहां से लाएंगे? मोहल्ला विधान समितियां बिना कानूनी प्रावधान के कैसे बनेंगी? पुलिस पर आपका अधिकार नहीं, अपराध उन्मूलन कैसे करेंगे?
सच्चाई तो यह है कि खुर्राट कांग्रेसियों ने ‘आप’ पार्टी के लिए जाल बिछा दिया है। दाने फैला दिए हैं। मछली ने मुंह मारा नहीं कि वह फंस जाएगी। वह ऐसी फंसेगी कि न तो इधर की रहेगी और न ही उधर की! विधानसभा में मिली सफलता तो चौपट हो ही जाएगी, लोकसभा के चुनाव में शीर्षासन के अलावा और कुछ करना बाकी न रह जाएगा।
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