पांचों राज्यों में चुनाव हो गए हैं। अब हफ्ते भर में सारे राज्यों में मुख्यमंत्री भी बैठ जाएंगे। गोवा और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की आशंका कम ही है। अब देखना यह है कि भारत की राजनीति की दिशा क्या होगी। हम पहले भाजपा और फिर विरोधी दलों की राजनीति पर विचार करेंगे।
जैसा कि हम पहले भी लिख चुके हैं, भाजपा में नरेंद्र मोदी का जैसा वर्चस्व अब कायम होगा, वह वैसा ही होगा, जैसा इंदिरा गांधी का 1971 के चुनाव के बाद कांग्रेस में हो गया था। उस समय कहा जाने लगा था, ‘इंदिरा इज इंडिया’। अब कहा जा सकता है कि ‘मोदी ही भारत है।’ इस बीच मुझे दो-तीन केंद्रीय मंत्री और भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता अचानक मिल गए। वे समझाने लगे कि मोदी तो भगवान का अवतार है। उसके-जैसा नेता न तो कभी हुआ है और न ही कभी होने वाला है। उन्होंने मोदी को सातवें आसमान पर बिठा दिया। लेकिन आप जरा मोदी के भाषण पर ध्यान दीजिए। उसमें जितनी विनम्रता, उदारता और लचीलेपन की महिमा गाई गई है, वैसी मोदी ने पहले कभी नहीं गाई।
यदि मोदी ने जो कहा, वह वे करते रहे तो भारत का बड़ा कल्याण हो सकता है, वरना, जैसा कि मैंने कहा था, अगले दो-ढाई साल सिर्फ राजनीतिक मुठभेड़ों के साल होंगे। अभी भी उप्र में मेादी को कम वोट मिले हैं। मोदी से ड्यौढ़े वोट सपा और बसपा को मिले हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि ये दोनों पार्टियां संयुक्त रणनीति बनाएं और अन्य प्रांतों की पार्टियों को भी जोड़ लें तो 2019 में मोदी को हराना उनके बाएं हाथ का खेल है।
2014 के संसदीय चुनाव में मोदी को सिर्फ 30 प्रतिशत वोट ही मिले थे। 1967 में जैसे डा. राम मनोहर लोहिया ने गैर-कांग्रेसवाद का नारा दिया था और जो 1977 में फलित हो गया, वैसे ही सारे विरोधी दल यदि गैर-मोदीवाद का नारा दें तो ही 2019 में मोदी का मुकाबला कर सकते हैं बशर्ते की मोदी अगले ढाई साल भी वैसे ही काट दें, जैसे कि उन्होंने पिछले सवा दो साल काट दिए हैं।
मोदी कोई ठोस चमत्कारी काम कर सके तो सारा गणित ही उलट सकता है। गैर-मोदीवाद का अर्थ न तो गैर-भाजपावाद है और न ही गैर-संघवाद है। जब लहर उठेगी तो इन दोनों संगठनों के लोग भी जुड़ते चलेंगे। ये लहर आंदोलन की हो, जन-जागरण की हो, देश को नई दिशा देने की हो। वह सिर्फ मोदी-निंदा की न हो, वोट कबाड़ने की न हो, सत्ता की भूख मिटाने की न हो, बंडियां बदल-बदलकर बंडल मारने की न हो। सत्ता अपने हाथ में केंद्रित करने की न हो। वरना, आपका गैर-मोदीवाद सिर्फ एक मजाकिया नारा बनकर रह जाएगा। आप ही प्रकारांतर से ‘मोदी ही भारत है’, इस नारे को बुलंद कर देंगे।
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