नवभारत टाइम्स, 18 मार्च 2004। स्पेन-जैसे देश में होनेवाले चुनाव पर कौन ध्यान देता है? खबरों की दुनिया में कभी स्पेनी-गृहयुद्घ को याद किया जाता था| वह कई दशकों पुरानी बात हो गई| लेकिन पिछले हफ्ते के चुनावों ने स्पेन को एक बार फिर खबरों के शीर्ष पर पहॅुंचा दिया है| यह स्पेनी चुनाव अन्तरराष्ट्रीय राजनीति का छोटा-मोटा भूकम्प ही है| पहले यह देखें कि वहॉं हुआ क्या है?
स्पेन में पिछले आठ साल से ‘लोकपि्रय पार्टी’ की सरकार सफलतापूर्वक चल रही थी| उसे आशा थी कि इस चुनाव के बाद वह तीसरी बार सरकार बनाएगी| उसके प्रधानमंत्री जोस मारिया एजनर के कुशल नेतृत्व में स्पेनी अर्थ-व्यवस्था मजबूत होती चली जा रही थी| एजनर की विदेश नीति इतनी सफल मानी जा रही थी कि उसे अमेरिका की नज़र में फ्रॉंस और जर्मनी से भी ऊॅंचा रुतबा मिलने लगा था| बि्रटेन के बाद यूरोप में अमेरिका का प्रवक्ता अब स्पेन ही माना जाने लगा था, क्योंकि उसने सद्दाम-विरोधी अभियान का बढ़-चढ़कर समर्थन किया था| फ्रांस और जर्मनी की तरह एजनर के स्पेन ने बुश के मार्ग में कॉंटे नहीं बिछाए बल्कि अमेरिकी हमले के लिए फूलों की सेज तैयार कर दी| प्रधानमंत्री एजनर ने न केवल ‘छोटे मियॉं सुभानअल्लाह’ की तज़र् पर सद्दाम-विरोधी माहौल तैयार किया बल्कि एराक़ पर कब्जा करने के लिए अपने 1300 सैनिकों को भी भेज दिया| बि्रटेन और इटली के बाद पश्चिमी यूरोप से यदि सबसे अधिक सैनिक किसी देश ने भेजे तो वह स्पेन ही था| एज़नर ने यह दुस्साहस तब किया जबकि बुश के फैसले के विरुद्घ स्पेन के प्रमुख शहरों में लाखों लोगों ने बड़े भावावेशपूर्ण प्रदर्शन किए थे| यदि स्पेनी जनता का वश चलता तो वह अमेरिका से स्पेन का सम्बन्ध-विच्छेद करवाकर ही दम लेती| लेकिन स्पेन के लोकपि्रय नेता एज़नर ने अपने लोकमत की रत्तीभर भी परवाह नहीं की| इसलिए नहीं की कि वे खुद को आतंकवाद-दमन का प्रतीक-पुरुष मानते थे| एक हद तक वे सही थे, क्योंकि स्पेन के बास्क़ प्रान्त में चल रही अलगाववादी बगावत को दबाने में उन्होंने जबर्दस्त शोहरत हासिल की थी| बास्क-आतंकवादियों का मुकाबला करने में वे सफल भी हुए थे| उन्होंने सद्दाम हुसैन और एराक़ को भी उसी श्रेणी में रख दिया| उन्होंने सोचा कि आतंकवाद-दमन की उनकी राष्ट्रीय छवि और सद्दाम-विरोधी अन्तरराष्ट्रीय छवि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं| उन्होंने स्पेन को सद्दाम-विरोधी अभियान में झोंक दिया| उन्हें उम्मीद थी कि वे यह चुनाव प्रचंड बहुमत से जीतेंगे, क्योंकि लोग सद्दाम को भूल चुके हैं और दुनिया की एकछत्र महत्तम शक्ति अमेरिका का वरद्-हस्त उन्होंने प्राप्त कर लिया है| यूरोप के आर्थिक समुदाय में भी उनका सिक्का अब अधिक खनकेगा| लेकिन हुआ उल्टा ही|
चुनाव के चार दिन पहले राजधानी मेडि्रड में भयंकर बम-विस्फोट हुए| 200 लोग मारे गए और 1500 घायल हुए| स्पेन में क्या, पूरे यूरोप में इतना बड़ा हादसा कई दशकों में नहीं हुआ| सारा यूरोप थर्रा उठा| जैसा कि अक्सर होता है, इस दुर्घटना का भी फायदा उठाने में प्रधानमंत्री एज़नर पीछे न रहे| उन्होंने अपने गृह-मंत्रालय, प्रचार माध्यमों और राजनीतिक दल के ज़रिए यह प्रचारित कर दिया कि इस भयानक आतंकवादी कार्रवाई के लिए बास्क़ आतंकवादी जिम्मेदार हैं| यदि बास्क़ आतंकवादियों का आप सफाया करना चाहते हैं तो एज़नर को जिताइए| यदि एज़नर का कथन सही होता तो उनकी जीत में चार चॉंद लग जाते लेकिन स्पेनी विरोधी दल ‘समाजवादी कार्यकर्ता पार्टी’ तथा निर्भीक एवं स्वतंत्र पत्रकारों ने एज़नर का पर्दाफाश कर दिया| तुरन्त पता चल गया कि यह बास्क़-आतंकवादियों की नहीं, अल-कायदा की कारस्तानी है| स्पेनी जनता का क्रोध चरमोत्कर्ष पर पहॅुंच गया| उसे पहला धक्का यह लगा कि एज़नर सरकार ने उसके साथ धोखेबाजी की और दूसरा धक्का यह कि एज़नर सरकार के सद्दाम-विरोधी अभियान के कारण ही स्पेन को यह सजा भुगतनी पड़ी| स्पेन की जनता ने एज़नर को जोरदार सबक सिखाया| 350 सदस्यों की संसद में उनके 183 सदस्य थे| वे 148 रह गए और समाजवादी पार्टी के 125 से बढ़कर 164 हो गए| समाजवादी पार्टी को लगभग 20 लाख वोटों का फायदा हुआ| दो करोड़ के मतदान में 20 लाख वोट की बढ़त मामूली घटना नहीं है| अब समाजवादी पार्टी के 43 वर्षीय नेता जोस लुइस रोडि्रग्ज़ जपातेरो गठबंधन सरकार बनाऍंगे|
जपातेरो ने चुनाव जीतते ही अपने वायदे को दोहराया कि वे एराक़ से अपने 1300 जवानों को वापस बुलाऍंगे| इतना ही नहीं, उन्होंने बुश और ब्लेयर से कहा है कि वे अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करें| क्या झूठ के आधार पर किसी देश पर हमला करना उचित है? जपातेरो के सवाल अमेरिकी-गठबंधन के लिए भुतहा घंटनाद की तरह गॅंूज रहे हैं| स्पेन की जनता ने जो सजा एज़नार को दी है, उसकी पे्रत-छाया अब क्या अमेरिका, बि्रटेन और इटली पर नहीं मॅंडराने लगी है? ये तीनों राष्ट्र अब कुछ ही माह बाद चुनाव की वैतरणी पार करेंगे? निहत्थी जनता शक्तिशाली शासकों के पर कैसे कतरती है, इसका प्रमाण हैं, स्पेन के चुनाव ! बुश और ब्लेयर कितने ही दुखी हों लेकिन उन्हें यह तो मानना ही पड़ेगा कि ये स्पेनी चुनाव विश्व-लोकतंत्र की मूल्यवान धरोहर हैं| यह असंभव नहीं कि एराक पर किए गए अमेरिकी बलात्कार का जिन-जिन राष्ट्रों ने साथ दिया था, उनकी वर्तमान सरकारों को स्पेनी चुनावों के कारण पसीना छूट रहा होगा| यदि स्पेनी जनता अपने शासकों को दंडित कर सकती है तो बि्रटेन और जापान की जनता क्यों नहीं कर सकती?
स्पेन में नई सरकार के उदय का सीधा असर यूरोप की राजनीति पर भी पड़े बिना नहीं रहेगा| यद्यपि मेडि्रड की घटनाओं के कारण पूरे यूरोप में कॅंपकॅंपी फैल गई है और वहॉं लगभग वैसा ही वातावरण बन गया है, जैसा कि न्यूयॉर्क के ट्रेड टॉवर गिरने के बाद अमेरिका में बन गया था तथापि अब फ्रांस और जर्मनी के हौंसले जरूर बुलंद होंगे| एराक़ पर अमेरिकी कब्जे के बाद लगभग सभी राष्ट्र वहॉं से पैसा बनाने की दौड़ में शामिल हो गए थे| यह दौड़ अब ठंडी पड़ेगी| यह भी संभव है कि एराक़ से अमेरिकी वापसी का नारा अब ज्यादा बुलंद हो जाए| जपातेरो का यह कथन अब कई गुना शक्तिशाली होकर गॅूंजेगा कि एराक पर हमला गलत था और कब्जा तो और भी गलत है| एराक़ का अन्तरिम प्रशासन स्पेनी चुनाव-परिणाम के घावों को झेलता हुआ दिखाई पड़ने लगा है|
स्पेनी चुनाव का असर अल-क़ायदा के मनोबल पर भी पड़ेगा| उसामा बिन लादेन के घेराव, पाकिस्तान की तोताचश्मी नीति और अफगानिस्तान की घटनाओं के कारण अल-क़ायदा बिखरता-सा लग रहा था लेकिन अब-क़ायदा ने बता दिया है कि राष्ट्रों की सरकारों को गिराने और उठाने में वह अब भी सक्षम है| बुश के चुनाव पर अल-क़ायदा का भूत अभी से मंडराने लगा है| बुश और ब्लेयर स्पेन के भावी प्रधानमंत्री जपातेरों को बधाइयॉं जरूर दे रहे हैं लेकिन उन्हें पता है कि स्पेन में जो कब्र खुदी है, वह कहॉं तक पहॅुंचेगी| स्पेन की जनता ने एज़नर को ही नहीं, बुश और ब्लेयर को भी हरा दिया है|
Leave a Reply