इस रविवार को उप्र में योगी आदित्यनाथ की शपथ हुई। इसके साथ-साथ हरियाणा और मणिपुर की सरकारों ने ऐसे दो अच्छे काम कर दिए, जिनकी तारीफ सभी करेंगे। हरियाणा में जाट आंदोलन और मणिपुर में नगा आंदोलन स्थगित हो गया। हरियाणा के जाट बहुत भड़के हुए हैं। वे अपने लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थाओं में भी आरक्षण मांग रहे हैं। उनका आंदोलन पहले भी हिंसक रुप धारण कर चुका हैं। कई लोग पहले मौत के घाट उतर चुके हैं।
इस बार वे दिल्ली को घेरने वाले थे। सरकार इतनी घबराई हुई थी कि उसने शनिवार की रात से ही दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर पुलिस का कड़ा पहरा लगा दिया था, मेट्रो सेवा को भी सीमित कर दिया था। संतोष की बात है कि हरियाणा की खट्टर सरकार ने व्यावहारिकता दिखाई और आरक्षणकारी नेताओं को कुछ ठोस आश्वासन दिए। उन्होंने आंदोलन स्थगित कर दिया है। जो बात अखाड़े में तय होनी थी, वह अब बातचीत की मेज पर तय होगी।
हरियाणा से भी गंभीर मामला मणिपुर का था। मणिपुर के नगाओं ने वहां की कांग्रेस सरकार के विरुद्ध बगावत का झंडा खड़ा कर रखा था। युनाइटेड नगा कौंसिल के अधिकारियों और कई नगा छात्र नेताओं को कांग्रेस सरकार ने जेल में डाल रखा था और उधर नगाओं ने पिछले 130 दिनों से मणिपुर पर नाकाबंदी थोप रखी थी। मणिपुर के लोगों का रोजमर्रा का जीवन बड़ा दूभर हो गया था। चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेताओं ने आश्वासन दिया था कि वे नगा-मांगों पर विचार करेंगे और इस नाकेबंदी को खुलवाएंगे।
नगा लोग सदरहिल क्षेत्र में नए जिले बनाने का विरोध कर रहे थे। भाजपा के मुख्यमंत्री एन. बीरेंद्रसिंह ने पद संभालते ही नाकेबंदी खत्म करवा दी, यह उनकी उपलब्धि है। हरियाणा और मणिपुर की भाजपा सरकारों ने जिस लचीलेपन और व्यावहारिकता का परिचय दिया है, वह केंद्र सरकार के लिए प्रेरणा का विषय है, क्योंकि अब वह शीघ्र ही जन-आंदोलनों का सामना करने वाली है।
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