प्रादेशिक चुनावों के इस दौर में नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर क्या जबर्दस्त हमला किया है ! मोदी ने पूछा है कि यदि नेहरुजी की कृपा से एक चायवाला भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है तो यह बताइए कि कांग्रेस का अध्यक्ष कोई चायवाला क्यों नहीं बन गया? यदि नेहरुजी ने भारत में लोकतंत्र को जन्म दिया है तो उनकी पार्टी में लोकतंत्र क्यों नहीं है ? देश में लोकतंत्र, और पार्टी में तानाशाही क्यों है? परिवारवाद क्यों है ? कांग्रेस-जैसी प्राचीन और विशाल पार्टी आजकल मां-बेटा पार्टी क्यों बन गई है? मोदी के इन सवालों का जवाब न सोनिया गांधी दे सकती है और न ही राहुल गांधी ! इनका जवाब बेचारे कांग्रेसी कैसे दे सकते हैं ? वे तो बंधुआ मजदूर हैं ? आक्सफोर्ड, केंब्रिज और जेएनयू में पढ़े हुए कांग्रेसी नेता अपनी पार्टी के अनपढ़ नेताओं की गुलामी क्यों करते हैं, क्या वे यह बता सकते हैं? विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की सबसे पुरानी यह कांग्रेस पार्टी आज मां-बेटा पार्टी क्यों बन गई है?
इसका दोष पूरी तरह नेहरु के मत्थे मढ़ना उचित नहीं होगा। उन्होंने तो अपने जीते जी इंदिराजी को अपना मंत्री तक नहीं बनाया था। लालबहादुर शास्त्री उनको यदि मंत्री नहीं बनाते तो वे भारत छोड़कर लंदन में बसने वाली थीं। हां, नेहरु ने अपनी जवान बेटी को कांग्रेस अध्यक्ष जरुर बना दिया था। वही परंपरा आज तक चली आ रही है। इसका दोष सोनिया और राहुल के मत्थे मढ़ना उचित नहीं है। भारत की जनता ने उन्हें क्यों स्वीकार कर रखा है ?
जनता ही इस गल्ती के लिए जिम्मेदार है लेकिन हम यह न भूलें कि आज भारतीय जनता पार्टी भी कांग्रेस बनती जा रही है। यदि कांग्रेस पार्टी मां-बेटा पार्टी बन गई है तो भाजपा भाई-भाई पार्टी बन गई है। नरेंद्र भाई और अमित भाई के आगे भाजपा के बड़े-बड़े दिग्गजों की घिग्घी बंधी रहती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मौनी बाबा बन गया है। क्या नोटबंदी, फर्जीकल स्ट्राइक, जीएसटी, सीबीआई नौटंकी जैसी नाक कटाने वाली हरकतों पर बोलने की हिम्मत किसी संघी या भाजपाई नेता में है ? नेहरु, इंदिरा और राजीव के जमाने में सेठ गोविंददास, महावीर त्यागी, संजीव रेड्डी, चंद्रशेखर, जगजीवन राम, विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे लोग मौजूद थे। आज भाजपा और कांग्रेस में क्या एक भी नेता ऐसा है, जिसके मुंह में जुबान हो ?
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