भाजपा के संस्थापक सदस्यों में से एक पूर्व केंद्रीय मंत्री संघप्रिय गौतम के बयान ने तहलका-सा मचा दिया है। वे अटलजी और आडवाणीजी के साथी रहे हैं और उनकी उम्र 88 साल की हैं। वे नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्यों की तरह मार्ग नहीं देख रहे हैं, बल्कि सच्चे मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे हैं। वे मार्ग दिखा रहे हैं। उन्होंने भाजपा के नेताओं को खुला पत्र लिख कर मांग की है कि शिवराज सिंह चौहान को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाए, नितिन गडकरी को उप प्रधानमंत्री घोषित किया जाए और राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री के तौर पर उत्तर प्रदेश भेजा जाए। इस फेरबदल के बिना 2019 के चुनाव में भाजपा का लौटना मुश्किल है।
गौतमजी के सुझाव लागू होंगे कि नहीं, किसी को पता नहीं, क्योंकि भाजपा की सारी बातों का पता सिर्फ दो भाइयों को ही रहता है। उनमें से एक भाई को घर बिठाने का सुझाव गौतमजी ने दे मारा है। दूसरे भाई की उपलब्धियां जितनी राहुल गांधी ने गिनाई हैं, उनसे ज्यादा इन्होंने गिना दी हैं। पता नहीं, दूसरे भाई को हटाने की बात उन्होंने क्यों नहीं की? आप एक भाई को हटाएं या दोनों भाइयों को, अब बात बननी मुश्किल लगती है। यदि दोनों भाई जरा भी पानीदार होंगे तो अपनी पार्टी और अपने देश में अपनी हालत देख कर खुद ही इस्तीफा दे देंगे लेकिन उससे होगा क्या?
यदि गडकरी को आज उप प्रधानमंत्री क्यों, प्रधानमंत्री भी बना दिया जाए तो वे अगले चार-पांच माह में क्या कर लेंगे? हां, यदि वे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोई क्रांतिकारी कदम उठा लें, नए राम मंदिर की नींव डाल दें या पाकिस्तान से कोई भारी भिड़ंत हो जाए तो हो सकता है कि लोग उन्हें हाथों-हाथ उठा लें और उनके नेतृत्व में किसी तरह भाजपा सरकार बना ले। इसमें शक नहीं कि राजनाथ सिंह, गडकरी या सुषमा स्वराज जैसे लोग प्रधानमंत्री होते तो भाजपा को 2019 में लौटने की चिंता नहीं सताती लेकिन सर्वज्ञजी की अहमन्यता और कृतघ्नता से भाजपा के वरिष्ठ नेता और संघ तो नाखुश है ही, भारतीय राजनीति में पक्ष और विपक्ष के संवाद का स्तर भी पाताल को छू रहा है।
धीरे-धीरे ही सही, अब वे 31 प्रतिशत मतदाता, जिन्होंने मोदी को कुर्सी पर बिठाया था, मोहभंग की स्थिति में हैं। यदि 2019 के चुनाव में भाजपा जीते नहीं लेकिन सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरे, तब भी सरकार बनाना उसके लिए मुश्किल होगा, खासतौर से भाई-भाई नेतृत्व के कारण! जो नेतृत्व अपनों का ही दिल नहीं जीत सका, वह दूसरों का क्या जीतेगा? हां, उस समय गडकरी, राजनाथ और सुषमा जैसे योग्य, व्यावहारिक और विनम्र लोग नेतृत्व में हों तो भाजपा की सरकार दुबारा बन सकती है?
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