मेरे कल के लेख ‘मोदी का लौटना मुश्किल’ पर कई प्रतिक्रियाएं आईं। भाजपा के मेरे कुछ अनन्य मित्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए 2013 में सबसे पहले आपने ही नरेंद्र मोदी का नाम उछाला था और बाबा रामदेव और आपने ही सारे देश में घूम-घूमकर मोदी की जीत की नींव रखी थी और अब आप ही मोदी के हारने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। ऐसा क्यों ? क्या आप मोदी की जीत की कोई संभावना नहीं देखते ? क्या आप कोई रास्ता नहीं सुझा सकते?
मैंने कहा कि सर्वज्ञजी को सारे रास्ते पता हैं। पहला तो यही कि वे पेट्रोल और डीजल के दाम 20-25 रु. घटा दे। इससे 30-40 करोड़ मतदाता सीधे लाभान्वित होंगे। दूसरा, अयोध्या में राम मंदिर बनवा दें। जाहिर है कि अदालत से कोई फैसला करवा लिया जाए तो भी उसे लागू करना असंभव है। इलाहाबाद न्यायालय ने ऐसा उलझा दिया है कि राम-जन्मभूमि में कुछ भी बनना आसान नहीं है।
मेरा सुझाव है कि 70 एकड़ जमीन में ताजमहल से भी सुंदर राम मंदिर बने और उसके साथ 10-12 धर्मों के पूजा-स्थल भी वहां बन जाएं ताकि राम की नगरी विश्व-तीर्थ कहलाए। यह काम सर्वसम्मति से हो सकता है। हिंदुओं का थोक वोट पक्का और अल्पसंख्यकों का रवैया नरम हो जाएगा।
तीसरा, चुनाव के दो-तीन माह पहले चीन या पाकिस्तान के विरुद्ध फर्जीकल नहीं, सचमुच की सीमित सर्जिकल स्ट्राइक हो जाए। भावना के ज्वार पर सवार होकर चुनाव की वैतरणी पार की जा सकती है। चौथा, पाकिस्तान की फौज और अगली सरकार से बात करके दोनों कश्मीरों के रास्ते खुलवा दिए जाएं। पांचवां, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा भाजपा के सभी मंत्री और मुख्यमंत्री अपने बड़े-बड़े बंगलें खाली करें और सामूहिक भवनों के फ्लेटों में रहें।
छठा, जीएसटी की श्रेणियां घटाएं और उसे आसान बनाएं ताकि भाजपा के बनिया-ब्राह्मण जनाधार का क्रोध काबू में आए। जब तक ऐसे कुछ नाटकीय काम सर्वज्ञजी नहीं करेंगे, जनता की लहर को मोड़ना मुश्किल होगा। हर नागरिक को 15 लाख रु., करोड़ों युवकों को रोजगार, सर्वशिक्षा, गरीबी और मंहगाई निवारण आदि जैसे बुनियादी काम जब चार साल में नहीं हुए तो अब इस आखिरी एक साल में क्या होंगे ? मान लें कि पहली अवधि के पांच साल प्रचारमंत्री की तरह काट लिये। फिर भी भारत की भोली जनता अगर दूसरा मौका दे दे तो अगले पांच साल में सच्चा प्रधानमंत्री बनकर दिखाया जा सकता है।
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