पांच राज्यों में हुए चुनावों के नतीजों के कारण भाजपा का मनोबल पातालगामी हो रहा है और कांग्रेस का गगनचुंबी! लेकिन थोड़ी गहराई में उतरें तो आपको पता चलेगा कि ये दोनों मनस्थितियां अतिवादी हैं। सच्चाई कहीं बीच में है। मध्यप्रदेश और राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस, दोनों को जनता ने अधर में लटका दिया। दोनों में से किसी को भी बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस को सीटें थोड़ी ज्यादा मिलीं लेकिन वोटों का हाल क्या रहा।
मध्यप्रदेश में तो भाजपा को कांग्रेस से भी ज्यादा वोट मिले। उसके उम्मीदवारों को यदि कुछ सौ वोट और मिल जाते तो सरकार भाजपा की ही बनती। इस चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की कुर्सी तो चली गई लेकिन इज्जत बच गई। बल्कि बढ़ गई। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए भी कहा जा सकता है कि ‘खूब लड़ी मर्दानी’। इसी प्रकार राजस्थान में कांग्रेस को भाजपा से जो ज्यादा वोट मिले, वे भी एक प्रतिशत से कम ही थे।
दूसरे शब्दों में कहें तो इन दोनों बड़े प्रदेशों में ये दोनों पार्टियां लगभग बराबरी पर ही छूटीं। छत्तीसगढ़ की बात अलग है। वहां भाजपा के वोट भी काफी कम हुए है और सीटों का तो भट्ठा ही बैठ गया। लेकिन जरा सोचें कि यदि भाजपा अपना प्रधानमंत्री बदल ले या अगले पांच-छह महिने में दो-तीन चमत्कारी काम कर दे तो कांग्रेस क्या करेगी? कोई जरुरी नहीं है कि लोग कांग्रेस को उतने ही वोट दें, जितने कि उन्होंने अभी दिए हैं। और फिर अखिल भारतीय स्तर पर आज भी भाजपा कांग्रेस से काफी आगे है।
मिजोरम और तेलंगाना में कांग्रेस का हाल क्या हुआ है ? ये बात दूसरी है कि राहुल गांधी की छवि सुधरी है। अब राहुल को ‘पप्पू’ कहना जरा मुश्किल होगा, हालांकि गप्पूजी ने खुद को उलटाने का पूरा प्रबंध कर रखा है। इस प्रबंध का पहला झटका अभी तीनों हिंदी प्रदेशों ने दिया है। पप्पूजी को अपने आप श्रेय मिल रहा है। पप्पूजी ने गप्पूजी को पहले संसद में झप्पी मारी थी, अब सड़क पर मार दी है।
साढ़े चार साल गप्प मारते-मारते गप्पूजी ने निकाल दिए। अब वे पांच-छह माह में कौन सा बरगद उखाड़ लेंगे, समझ में नहीं आता। इश्के-बुतां में जिंदगी गुजर गई मोमिन। अब आखरी वक्त क्या खाक मुसलमां होंगे ? यह असंभव नहीं कि इन तीनों हिंदी प्रदेशों के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अगले चार-छह महिने में कुछ ऐसे विलक्षण काम कर दिखाएं जो 2019 के चुनावों में छा जाएं। यदि ऐसा हो जाए तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ होगा। 2019 में केंद्र में जो भी सरकार बनेगी, उसके लिए पहले से एक नक्शा तैयार रहेगा। वरना, भारत की जनता को फिर अगले पांच-साल रोते-गाते गुजारने होंगे।
Anil Kumar Srivastava says
I agree with the view expressed by shri Dr. Vedpratap vadik. He has correctly expressed the political situation of the country. The Congress & BJP both have to work hard for 2019 Election.