दैनिक भास्कर, 29 अप्रैल 2020: कोरोना के संकट ने भारत को ही नहीं, दुनिया के लगभग सभी देशों को घेर लिया है। जो राष्ट्र अपने आप को विश्व महाशक्ति बताने की शेखी बघारते थे, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रुस उनके भी होश फाख्ता हो रहे हैं। उक्त देशों के कई विद्वान मित्र और अपने लोग भी जानना चाहते हैं कि ऐसे में भारत कहां खड़ा है ? मेरी राय में उक्त देशों के मुकाबले भारत कई दृष्टियों से बेहतर है।
सबसे पहले तो यह अच्छी बात है कि कोरोना को लेकर चल रहे अंतरराष्ट्रीय दंगल से भारत ने अपने को अलग रखा है। भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री या किसी भी पार्टी के जिम्मेदार नेता ने चीन के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया, जैसा कि अमेरिका, यूरोप और आस्ट्रेलिया के नेता कर रहे हैं। जर्मनी और ब्रिटेन ने तो चीन से करोड़ों डालर का हर्जाना मांगा है। इनका आरोप यह है कि चीन ने कोरोना की बीमारी जान-बूझकर फैलाई है। महाशक्तियों और चीन के बचा चला हुआ यह वाग्युद्ध अंतरराष्ट्रीय राजनीति के स्वरुप को बदले बिना नहीं रहेगा।
दूसरा, इस संकट के दौरान भारत के राजनीतिक दलों के बीच वैसी तू-तू–मैं-मैं नहीं हो रही है, जैसी हम अमेरिका, ब्रिटेन, पाकिस्तान और लातीनी-अमेरिकी देशों में देख रहे हैं। भारत में कांग्रेस के नेता अपनी बेढप ढपली कभी-कभी बजा देते हैं लेकिन उस पर शायद ही कोई ध्यान देता है। एकाध को छोड़कर सभी विपक्षी मुख्यमंत्री कोरोना के युद्ध में प्रधानमंत्री का साथ दे रहे हैं। भारत की इस विलक्षण राष्ट्रीय एकता को दुनिया देख रही है।
तीसरा, भारत की जनता जिस निष्ठा के साथ तालाबंदी का पालन कर रही है, उसका महत्व विशेष इसलिए है कि भारत एक तो 140 करोड़ लोगों का देश है और अत्यंत विविधतामय है। यहां गरीबी है, अशिक्षा है, चिकित्सा-साधनों की कमी है लेकिन फिर भी लोग अनुशासित हैं। विश्व-स्वास्थ्य संगठन ने इस मामले में भारत की तारीफ की है। चौथा, यह ठीक है कि भारत के डाॅक्टरों और नर्सों के साथ दुर्व्यवहार की कुछ घटनाएं जरुर घटी हैं। लेकिन वे बहुत कम हुई हैं। उनके पीछे गलतफहमियां और अफवाहें थीं। विदेशों में इन छुट-पुट घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया गया है लेकिन भारत सरकार ने इन पर काबू करने के लिए कठोर अध्यादेश जारी कर दिया है। सरकार, भाजपा और संघ ने इस संकट को सांप्रदायिक रुप देने का स्पष्ट विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि कुछ संगठनों के अपराध को पूरे समुदाय पर मढ़ देना अनुचित है।
पांचवां, इस संकट के दौरान कई शक्तिशाली राष्ट्र एक-दूसरे पर वाग्बाण छोड़े चले जा रहे हैं लेकिन भारत अकेला देश है, जिससे दुनिया के 55 देशों ने कुनैन की गोलियां करोड़ों की संख्या में मंगवाई हैं। वे गोलियां कितनी कारगार होंगी, यह अलग बात है लेकिन कई देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्रियों ने भारत का बहुत आभार माना है। भारत पहली बार विश्व-त्राता के रुप में उभरा है। छठा, सारी दुनिया में यह चर्चा का विषय है कि भारत में कोरोना का प्रकोप इतना कम क्यों है ? भारत और अमेरिका की जनसंख्या के अनुपात से देखा जाए तो भारत में अब तक तीन-चार लाख लोगों को कोरोना का शिकार हो जाना चाहिए था। लेकिन यह संख्या एक हजार तक भी नहीं पहुंची है। सातवां, भारत के हर घर में रोजमर्रा के खाने में जो मसाले इस्तेमाल होते हैं, वे सब आयुर्वेद की परखी हुई औषधियां हैं। उनकी प्रतिरोध क्षमता ने कोरोना को लंगड़ा कर दिया है। । विदेशों में भी उनका इस्तेमाल होने लगा है।आयुष मंत्रालय हवन—सामग्री के धुएं से वैज्ञानिक प्रयोग कर रहा है। उसके सफल होते ही भारत विश्व—वैद्य बन जाएगा। अब भारत के आयुर्वेद का डंका सारे विश्व में बजने लगा है।
आठवां, भारत थोड़ी देर से जागा, यह सत्य है लेकिन उसने जिस मुस्तैदी से लाखों जांच-यंत्र, करोड़ों मुखपट्टियां और हजारों रोगी-बिस्तर तैयार कर लिये है, यह एक मिसाल है। भारतीय वैज्ञाानिक शीघ्र ही सस्ते सांस-यंत्र और वेक्सीन भी बाजार में लानेवाले हैं। नौवां, भारत सरकार ने हजारों प्रवासी भारतीयों और विदेशों में फंसे भारतीय यात्रियों को वापस लाने में जो तत्परता दिखाई है उसकी सर्वत्र तारीफ हो रही है।
दसवां, भारत ने अपने पड़ौसी राष्ट्रों को कोरोना से सावधान करने की पहल की। उसने दक्षेस-राशि कायम की और उसमें करोड़ों रु. दान किए। इन राष्ट्रों के नेताओं से हमारे प्रधानमंत्री का सतत संपर्क बना हुआ है। ग्यारहवां, चीन और अमेरिका पर कोरोना फैलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं लेकिन भारत की छवि पर कोई छींटा नहीं है। बारहवां, भारत सरकार ने चीन जैसे देशों के भारत में विनियोग पर प्रतिबंध लगा दिए हैं ताकि इस संकट के दौरान वे भारतीय कंपनियां पर कब्जा न कर सकें। तेरहवां, विश्व-व्यापार में चीन और अमेरिका को जो धक्का लगनेवाला है, भारत अब उसका फायदा उठा सकता है। उसे अपना आयात घटाने और निर्यात-बढ़ाने के अवसर मिलनेवाले है। कुल मिलाकर कोरोना-संकट के बाद का भारत विश्व-राजनीति के मैदान में बेहतर छवि लेकर उतरेगा। वह विश्व-शक्ति बनकर उभर सकता है।
28.04.2020
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