जमाते-तबलीगी का दोष बिल्कुल साफ-साफ है लेकिन इसे हिंदू-मुसलमान का मामला बनाना बिल्कुल अनुचित है। जिन दिनों दिल्ली में तबलीग का जमावड़ा हो रहा था, उन्हीं दिनों पटना, हरिद्वार, मथुरा तथा कई अन्य स्थानों पर हिंदुओं ने भी धार्मिक त्यौहारों के नाम पर हजारों लोगों की भीड़ जमा कर रखी थी। इन सभी के खिलाफ सरकार को मुस्तैदी दिखानी चाहिए थी लेकिन हमारी केंद्र और राज्य सरकारों ने उन दिनों खुद ही कोरोना के खतरे को इतना गंभीर नहीं समझा था।
यों भी इतने कम मामले मार्च के मध्य तक सामने आए थे कि सरकार और जनता, दोनों ने लापरवाही का परिचय दिया लेकिन जमाते-तबलीगी के सरगना मौलाना साद के भाषणों पर गौर करें तो पता चलता है कि उन्होंने कोरोना के सारे मामले को मुस्लिम-विरोधी और इस्लाम-विरोधी सिद्ध करने की कोशिश की थी। उन्हें शायद पता नहीं होगा कि दक्षिण कोरिया में एक गिरजे के ईसाइयों की लापरवाही से यह सारे कोरिया में फैल गया है।
यदि यह इस्लाम-विरोधी होता तो सउदी अरब के मौलाना क्या मक्का-मदीना जैसे इस्लामी विश्व-तीर्थ को बंद कर देते ? यदि यह इस्लाम-विरोधी है तो यह सबसे ज्यादा अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे ईसाई देशों में क्यों फैल रहा है ? इसे मजहबी जामा पहनाने का नतीजा क्या हुआ ? इंदौर के मुसलमानों में यह अफवाह फैल गई कि ये डाक्टर और नर्स उन्हें कोई जहरीली सुई लगा देंगे। कई शहरों के अस्पतालों में मरीजों ने डाक्टरों और नर्सों के साथ अश्लील हरकतें भी की हैं।
अभी भी सैकड़ों जमाती ऐसे हैं, जिन्होंने अपने आपको अस्पतालों के हवाले नहीं किया है। मौलाना साद ने अपनी करतूतों के लिए पश्चाताप नहीं किया और माफी नहीं मांगी है। लेकिन इस सारी घटना का दुखद पहलू यह भी है कि कुछ नेता और टीवी वक्ता इस मामले का पूर्ण सांप्रदायिकरण कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा ने इस संकीर्णता का स्पष्ट विरोध किया है। सच्चाई तो यह है कि अपने आप को ‘इस्लामी मिश्नरी’ कहनेवाले इन तबलीगियों ने सबसे ज्यादा नुकसान खुद का किया है, मुसलमानों का किया है, अपने रिश्तेदारों और दोस्तों का किया है। उन्होंने इस्लाम की छवि को ठेस पहुंचाई है। यदि किसी मजहब के प्रचारक इतनी आपराधिक हरकतें कर सकते हैं तो क्यों उन्हें अपने आप को धर्म-प्रचारक कहने का हक है ?
Onkar Chadha says
This article hits the nail on the head – Tablikhi Jamat is squarely responsible and fully accountable for the mess they have created in an otherwise fairly well contained situation in India. However, holding the entire Muslim Community for the gross and unpardonable acts of omission & commission by the Jamat leader and his follower should not be used as a excuse for their exclusion from mainstream citizens of India. What is expected of the Muslim Community is to extend their whole hearted support in isolating the Jamat rogues .
yash pal Yash says
तवलीगीओं ने इस्लाम चेहरा घृणिततम् वना दिया है। किन्तु मीडिया और सोशल मीडिया पर भी जो विष वमन हुआ है वह भी तवलीगी भावना का अंकुरण है।
एक सुझाव आपके माध्यम से दे रहा हूं, कोरोनावायरस से मृतकों का अन्तिम संस्कार अग्निदाह से हो भूमि समाधि अथवा दफनाना विषाणु विस्तार करेगा।
यशपाल” यश”
9414360248,
yashpalyash05@gmail.com