गोरक्षा के नाम पर बुलंदशहर में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और सुमित नामक नौजवान की हत्या राष्ट्रीय कलंक है। बुलंदशहर के महाव नामक गांव में कुछ पशुओं के कंकाल देख कर ‘गोप्रेमियों’ ने तोड़-फोड़ शुरु कर दी और सारे रास्ते रोक दिए। जब पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस थाने में आग लगा दी, कई मकानों-दुकानों और कारों को फूंक दिया और इंस्पेक्टर सुबोधसिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। साथ में सुमित भी मारा गया।
मैं पूछता हूं, ये दोनों कौन थे ? क्या ये गो-हत्यारे थे ? क्या इन पर भीड़ को गोहत्या का शक था ? क्या इनकी हत्या से वे जो गायें मरी हैं, वे क्या वापस जीवित हो जाएंगी ? जो कंकाल उन्होंने किसी ट्रक में देखे थे, उन्हें क्या पता कि वे गायों के ही थे ? किंही और जानवरों के नहीं थे ? उन्हें भी शायद पता न हो कि वे मरी हुई गायों के थे या मारी हुई गायों के थे ? सिर्फ अंधविश्वास और अफवाह के आधार पर भीड़ हिंसा पर उतर आए, यह तो जानवरपना है। इतना घृणित काम करने वाले लोग अपने आप को हिंदुओं का नेता कहते हैं। ऐसा कहकर वे हिंदुत्व को सम्मान की नहीं, शर्म की चीज बना देते हैं। क्या कायरता और मूर्खता ही हिंदुत्व है ? जो सच्चा हिंदू है, वह हिंसा क्यों करेगा ? हिंसा तो अष्टांग योग का सबसे पहला उल्लंघन है। और उससे भी बड़ा सवाल यह है कि एक पशु और एक मनुष्य में कोई फर्क है या नहीं ? यदि किसी मनुष्य ने स्वार्थवश या अज्ञानवश किसी पशु– गाय, बैल, सूअर, हिरन, कुत्ते- की हत्या कर दी तो क्या उसके बदले आप उस इंसान की हत्या कर देंगे ?
कानून में गोहत्या निषेध है। गो हत्यारे को कानून सजा देता है लेकिन उसकी हत्या नहीं करता है। आप उसकी हत्या करके कानून को अपने हाथ में ले लेते हैं। आपसे बड़ा अपराधी कौन है ? यह अच्छी बात है कि गोवध-निषेध कानून के बारे में लोग-बाग इतने जागरुक हैं। हर कानून के बारे में उनको होना चाहिए लेकिन जिस तरह से वे हत्या कर देते हैं, उससे कानून की धज्जियां उड़ जाती हैं।
ऐसी भीड़ की भीड़ को सामूहिक सजा मिलनी चाहिए। दो आदमियों की हत्या के लिए सौ आदमियों को अगर अदालत लटका दे तो दुबारा कोई भीड़ ऐसा कुकर्म करने की हिम्मत नहीं करेगी। गोरक्षा के नाम पर मानव-हत्या का समर्थन न तो केंद्र सरकार कर सकती है, न उप्र सरकार, न भाजपा और न ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ! मैं तो यह मानता हूं कि इन संगठनों केा ऐसे हिंसक और उपद्रवी तत्वों की कड़ी प्रताड़ना करनी चाहिए।
Dr.shagufta says
good thought..every indian must think like you vedic saheb…every body want first PEACE every where,