भारत-चीन सीमांत पर चल रहे दोकलाम-विवाद पर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित दोभाल को कितनी सफलता मिली, कुछ पता नहीं। भारत सरकार भी चुप है और चीन सरकार भी। तीन दिन पहले जब दोभाल चीन जा रहे थे तो कहा जा रहा था कि वे दोकलाम पर चीनी नेताओं से बात करेंगे। यह भी प्रचारित किया गया कि वे चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग से भी मिलेंगे।
उसी वक्त मैंने लिखा था कि दोभाल दोकलाम के लिए चीन नहीं जा रहे हैं बल्कि वे ब्रिक्स की बैठक के लिए जा रहे हैं। पांच राष्ट्रों के इस संगठन का वार्षिक अधिवेशन चीन में सितंबर में होने वाला है। उसी की तैयारी बैठक को चीनी राष्ट्रपति ने संबोधित किया। उसी दौरान वे पांचों देशों के सुरक्षा सलाहकारों से मिले। क्या उस समय दोभाल ने उनसे दोकलाम की बात छेड़ी होगी? यह ठीक है कि दोभाल कूटनीतिज्ञ नहीं हैं लेकिन वे अनुभवी और समझदार व्यक्ति हैं। वे ऐसी गलती कभी नहीं कर सकते।
अकेले में शी से उनकी भेंट हुई ही नहीं। हां, उनके समकक्ष चीनी प्रतिनिधि यांग जी चेई से उनकी भेंट जरुर हुई। यांग भारत-चीन सीमा-विवाद पर पहले से दोभाल से बात करते रहे हैं। यांग सभी पांचों प्रतिनिधियों से मिले हैं। पता नहीं कि दोभाल से उन्होंने दोकलाम पर बात की या नहीं ? अभी भी चीन का हठ यह है कि वह भारत से बात तभी करेगा, जबकि दोकलाम पठार से वह अपनी फौज हटाए। याने दोभाल की इस चीन-यात्रा के बावजूद दोकलाम-विवाद जहां का तहां है। चीन के एक सरकारी अखबार ने दोभाल को ही दोकलाम-विवाद के लिए जिम्मेदार बताया था।
दोभाल ने आतंकवाद के विरुद्ध ब्रिक्स राष्ट्रों को दृढ़प्रतिज्ञ और एक होने की जोरदार अपील जरुर की लेकिन वे यदि आपसी विवादों का शांतिपूर्ण हल निकालने की बात भी कह देते तो अच्छा रहता। जैसा कि मैंने पिछले हफ्ते सुझाया था, यह सही समय है जबकि हमारे विदेश सचिव डा. जयशंकर को दोकलाम के लिए चीन जाने की चौपड़ बिछानी चाहिए, वरना सितंबर में होने वाले ब्रिक्स-सम्मेलन में नरेंद्र मोदी का चीन जाना काफी दुविधा खड़ी कर सकता है।
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