लोकसभा ने तीन तलाक विधेयक पास कर दिया। सदियों से चले आ रही इस अमानवीय प्रथा को खत्म करना बेहद जरुरी है लेकिन आश्चर्य है कि सरकार ने इस विधेयक को उतनी ही जल्दबाजी में पास कर दिया, जितनी जल्दबाजी में उसने नोटबंदी और जीएसटी लागू की थी। बिना सोचे समझे, बिना आगा-पीछा बिचारे, बिना लोगों के दुख-दर्द का अंदाज लगाए किए जाने वाले इन दोनों कारनामों को लोग अब तक भुगत रहे हैं।
अब तीन तलाक को खत्म करने का एतिहासिक और क्रांतिकारी काम भी उसी गैर-जिम्मेदाराना अंदाज में पूरा किया जा रहा है। इस विधेयक की तुलना आप राजीव गांधी के 1985 के मानहानि-विरोधी विधेयक से कर सकते हैं, जिसकी उन्हें भ्रूण—हत्या करनी पड़ी थी। हमारी लोकसभा ने कुल तीन-चार घंटे की बहस में इस विधेयक को पास कर दिया। न तो मुस्लिम संगठनों और न ही मुस्लिम कानूनदां से विचार-विमर्श किया गया। उन 21 मुस्लिम देशों के कानूनों का भी अध्ययन नहीं किया गया, जिन्होंने तीन तलाक खत्म किया है। भाजपा के सांसदों से तो मैं बिल्कुल भी उम्मीद नहीं करता हूं कि वे इस विधेयक की खामियों पर उंगली धरते। सांसद तो क्या, बेचारे मंत्री भी सर्वज्ञजी के डर के मारे चूं भी नहीं कर सकते लेकिन कांग्रेसी सांसदों को कौनसा सांप सूंघ गया था ? उन्होंने आंख मींचकर इस पर ठप्पा क्यों लगा दिया ? सिर्फ एक-दो कांग्रेसी सांसदों ने हकलाकर हल्का-सा एतराज़ किया।
इसका कारण एक ही हो सकता है देश का कोई भी दल मौलानाओं और मुल्लों का हिमायती नहीं दिखाई पड़ना चाहता। वैसा करके वह अपना हिंदू वोट नहीं खोना चाहता। अपने वोटों की चिंता में कांग्रेस भी भाजपा के साथ फिसल पड़ी। इन दोनों बड़ी पार्टियों ने इतना निकम्मा, अधकचरा और आत्मग्रासी कानून पास किया है कि मेरी राय में सर्वोच्च न्यायालय इसे कूड़े की टोकरी के हवाले कर देगा। उसके पहले राज्यसभा में उसकी बधिया बैठ जाएगी। इस विधेयक को इतनी हड़बड़ी में पास करके लोकसभा क्या अपनी गरिमा की रक्षा कर पाएगी ? यदि यह कानून इसी रुप में बन गया और लागू हो गया तो तलाक, तलाक, तलाक कहने वाला मुसलमान खाविंद तो जेल की हवा खाएगा और उसकी औरत और बच्चे हवा में लटक जाएंगे। इस विधेयक के किन मुद्दों पर पुनर्विचार होना चाहिए, उन पर मैं पहले ही लिख चुका हूं। लेकिन सर्वज्ञ लोग किसी मुद्दे पर पुनर्विचार क्यों करें ? यह तो उनकी बेइज्जती है। यह तीन तलाक कानून एक ही झटके में उसी तरह बन रहा है, जिस तरह तीन तलाक दिया जाता है।
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