गुजरात में भाजपा जीत गई और कांग्रेस हार गई। जीत तो जीत है, फिर वह कैसी भी हो ! यदि भाजपा के कार्यकर्त्ता जश्न मना रहे हैं तो इसमें गलत क्या है ? लेकिन गुजरात के जो परिणाम आए हैं, उन्हें बारीकी से देखा जाए तो पता चलेगा कि भाजपा की यह जीत कितनी मंहगी है। गुजरात का चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने अपनी जान लगा दी थी। किसी प्रधानमंत्री ने किसी प्रादेशिक चुनाव में अपनी इज्जत इस तरह दांव पर लगा दी हो, मुझे याद नहीं पड़ता। भाजपा के केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और सांसदों ने खून-पसीना एक कर दिया। हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए वे पाकिस्तान की शरण में चले गए। देश के कई पूर्व कर्णधारों को पाकिस्तान के इशारे पर साजिश करते हुए दिखाया गया। मणिशंकर अय्यर की व्यक्तिगत टिप्पणी को जातिगत रुप दे दिया गया। राहुल की छवि बिगाड़ने के लिए उसके दादा-परदादा तक को घसीटा गया। गुजरात के शहरी निगमों को कई-कई अरब की खैरात बांट दी गई। इसके बावजूद भाजपा को सिर्फ 100 सीटें मिल रही हैं याने यह लेख लिखते वक्त वह 15 सीटों से हार रही है। पिछले चुनाव के मुकाबले उसे 15 सीटें कम मिल रही है। उसे कम से कम 15 सीटें ज्यादा मिलनी चाहिए थीं। उसे 130 सीटें मिलतीं तो मैं खुश होता लेकिन कोई बात नहीं। जान बची तो लाखों पाए!
इस चुनाव ने कांग्रेस की सूखती जड़ों को हरा कर दिया है। 2014 में वह संसद के चुनाव में सभी 26 सीटें हार गई थीं। इस हिसाब से उसका सूंपड़ा साफ हो जाना चाहिए था लेकिन उसकी लगभग 20 सीटें बढ़ गई हैं। वह 80 का आंकड़ा छू रही है। जाहिर है कि इस बढ़त का श्रेय तीनों- पाटीदार, दलित और पिछड़े- युवा नेताओं को है लेकिन मोदी के मुकाबले राहुल की छवि सुधरी है। 2019 के संसदीय चुनाव के लिए गुजरात ने एक संयुक्त मोर्चे की नींव रख दी है। गुजरात में मोदी को सिर्फ एक तत्व ने बचाया- गुजरात नो बेटो ! यह तथ्य क्या अन्य प्रांतों में काम आ पाएगा ? यह तथ्य कांग्रेस के जातिवाद और मोदी के हिंदूवाद से भी ज्यादा भारी सिद्ध हुआ। मोदी की लहर भी काम की नहीं रही। यदि भाजपा को 2019 जीतना है तो उसे अपने नेतृत्व और अपनी सरकार के काम पर पुनर्विचार करना होगा।
ABhatia says
“यदि भाजपा को 2019 जीतना है तो उसे अपने नेतृत्व और अपनी सरकार के काम पर पुनर्विचार करना होगा।”
Yes. BJP must introspect its leadership and works. Mere announcement and selling of dreams will never work now. People have become aware and alert, and shall vote to only those leaders, who can and have delivered goods. Gujrat has set a good example and turning point in the Indian Politics, and has given a clear signal to all leaders to demonstrate their real progressive works and prove the progress. Hope, this shall bring due seriousness and commitment among all leaders.