गुजरात में कांग्रेस हार गई, यह बहुत ही अच्छा हुआ। यदि वह जीत जाती तो आप ही सोचिए क्या होता ? राहुल गांधी के दिमाग में मोदी की तरह हवा भर जाती। रातोंरात वे अपने आप को मोदी-पछाड़ महानायक समझने लगते और उनके तीन युवा साथी- हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश- कहते कि असली महानायक तो हम हैं। जिस जीत के चार-चार दावेदार हों, उसकी दशा क्या होती, इसका अंदाज लगाना कठिन नहीं है। यदि गुजरात में मोदी की हार हो जाती तो क्या होता ? मोदी के अंहकार का गुब्बारा पिचक जाता। वे सबके बाॅस नहीं, ‘बराबरीवालों में प्रथम’ की तरह काम शुरु कर देते। मन की बात करने की बजाय काम की बात करने लगते। जिन्हें ‘ब्रेन-डेड’ कहकर मार्गदर्शक मंडल की ताक पर बिठा दिया है, उन बुजुर्ग नेताओं की वे आरती उतारते। वे पत्रकारों से डरने की बजाय उनकी संगत के लिए बेताब हो जाते। वे शेष डेढ़ साल में कुछ ऐसा कर दिखाते जो फर्जीकल स्ट्राइक, नोटबंदी और जीएसटी से बेहतर होता और इन तीनों कामों से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई भी हो जाती। 2019 की जबर्दस्त तैयारी भी अपने आप हो जाती। अब भी वह जरुर होगी, क्योंकि मोदी और अमित भाई को सबसे ज्यादा पता है कि गुजरात की इस जीत का अर्थ क्या है ? कार्यकर्ता खुशी मनाएं, यह स्वाभाविक है लेकिन दोनों भाइयों को इस मामूली जीत के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े हैं, यह वे ही जानते हैं। इस चुनाव ने दोनों की छवि को फीका किया है और राहुल की छवि को निखारा है। राहुल को पता होना चाहिए कि गुजरात में उनको मिली बढ़त सिर्फ उनके कारण नहीं है अर्थात 2019 में मोदी को टक्कर देना है तो अखिल भारतीय स्तर पर मोर्चा बनाना हेागा। नम्रता और त्याग के बिना यह संभव नहीं है। संभावित मोर्चे के सभी नेता (अखिलेश के अलावा) राहुल से बड़े हैं। राहुल चाहें तो अभी से कह दें (बिल्कुल अपनी मां की तरह) कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। देखिए, फिर क्या होता है ? कैसे सारा देश राहुल के आस-पास मंडराने लगेगा। सारे दल दौड़-दौड़कर राहुल को गले लगाने लगेंगे। मोदी की गाड़ी अपने आप पटरी पर आ जाएगी। देश का लोकतंत्र मजबूत होगा। इसके बावजूद यदि 2019 में मोदी जीत गए तो वह मोदी जरा बेहतर मोदी होगा।
ABhatia says
“”राहुल चाहें तो अभी से कह दें (बिल्कुल अपनी मां की तरह) कि वे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं। देखिए, फिर क्या होता है ? कैसे सारा देश राहुल के आस-पास मंडराने लगेगा। सारे दल दौड़-दौड़कर राहुल को गले लगाने लगेंगे। मोदी की गाड़ी अपने आप पटरी पर आ जाएगी। देश का लोकतंत्र मजबूत होगा। इसके बावजूद यदि 2019 में मोदी जीत गए तो वह मोदी जरा बेहतर मोदी होगा।””
This is the best advice to Rahul. In fact, he must say so and mean it. He should not aspire to be the PM. He has got the toughest India to build, and the toughest PM to face.
PM Modi ji, is now being exposed for selling mere dreams .This must be the main agenda of Rahul. He must bring facts before people and must tell his well worked out plans as to how he shall bring required change. This strategy shall greatly help him to defect BJP.