अभी-अभी हुए दो सर्वेक्षणों ने मेरी चिंता बहुत बढ़ा दी है। एबीपी न्यूज और सीएसडीएस ने देश के 15,859 लोगों से पूछताछ की और उनकी राय जानने की कोशिश की। उससे पता चला कि 2019 में भाजपा हार जाएगी। नरेंद्र मोदी का लौटना असंभव है। कुल 47 प्रतिशत लोगों की राय यही थी और सिर्फ 39 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें लौटना चाहिए। यह 8 प्रतिशत का झटका इतना बड़ा है कि 282 सीटें घटकर 100 सीटें भी हो सकती हैं। मोदी की अपनी लोकप्रियता और भी नीचे गिर गई। वह सिर्फ 34 प्रतिशत ही रह गई है। राजस्थान और मध्यप्रदेश से भी भाजपा की हार के स्पष्ट संकेत आ रहे हैं।
इस सर्वेक्षण के बारे में मुझे यह कहना है कि सिर्फ 15-16 हजार लोगों की राय से क्या आप सचमुच भारत के 60-70 करोड़ मतदाताओं की राय का सही-सही अंदाज लगा सकते हैं ? क्या सर्वेक्षण में यह पूछा गया कि मोदी को हटा दिया गया तो उस खाली जगह को भरेगा कौन ? क्या विरोधियों में कोई नेता उभर रहा है ? क्या कोई सर्वसम्मत नाम आज हमारे सामने है ? या भाजपा में क्या कोई ऐसा नेता है, जिसे मोदी की जगह 2019 में खड़ा किया जा सके ?
आज भारत सचमुच गहरे संकट में आ फंसा है। आज देश में न तो कोई ऐसा नेता है, जिसका व्यक्तित्व अखिल भारतीय हो, जिसके विरोधी भी उसकी बुद्धिमत्ता और ईमानदारी का लोहा मानते हों और जिसके पास देश को सबल और संपन्न बनाने की ठोस योजना हो। आजकल बंडलबाज और फर्जी नेताओं का बोलबाला है। उनमें से 2019 में जो भी चुना गया, वह भारत की लुटिया डुबाए बिना नहीं रहेगा।
बेंगलूर में दर्जन भर प्रांतीय नेता इकट्ठे तो हो गए लेकिन क्या वे उनमें से किसी एक के नाम पर सहमत होंगे और वे यदि हो भी गए और मोदी को उन्होंने हरा भी दिया तो भी वे देश का क्या भला करेंगे ? जैसे सांपनाथ, वैसे नागनाथ ! क्या उनके पास भावी भारत का कोई नक्शा है ? इस सर्वेक्षण को पढ़कर मोदी का रक्तचाप बढ़ जाए, यह स्वाभाविक है लेकिन अब इस शेष एक साल में क्या कुछ ऐसा हो सकेगा, जो बीते और रीते पिछले चार साल से बेहतर हो ?
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