हम अपने देश की अदालतों के बारे में कई बार बड़ी गैर-जिम्मेदाराना बातें कहते रहते हैं लेकिन आप जरा गौर करें कि पाकिस्तान का हाल क्या है। वहां के जिस सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और वकीलों ने फौजी तानाशाह परवेज मुशर्रफ की नाक में दम कर दिया था और आखिरकार जिसके कारण मुशर्रफ को गद्दी छोड़नी पड़ी थी, उसी अदालत के प्रसिद्ध जज शौकत सिद्दिकी ने खुले आम कह दिया है कि पाकिस्तान की गुप्तचर सेवा (आईएसआई) सभी जजों और चीफ जस्टिस पर दबाव डाल रही है कि वे नवाज शरीफ के खिलाफ फैसले दें।
बंदूक वालों ने कलमवालों पर कब्जा कर रखा है। उन्होंने हुक्म दिया है कि मियां नवाज और उनकी बेटी मरियम को 25 जुलाई तक हर हालत में जेल में ही रखा जाए। जस्टिस सिद्दिकी ने यह आरोप भी लगाया है कि फौजियों ने सारे अखबारों और टीवी चैनलों का भी टेंटुआ कस रखा है। पाकिस्तान की फौज नेताओं, जजों और पत्रकारों सबको नाच नचा रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि आईएसआई ने उच्च न्यायालय को आदेश दिया है कि नवाज के किसी मामले में भी जस्टिस सिद्दिकी को बेंच में न रखा जाए। जस्टिस सिद्दिकी साहब की जवांमर्दी को मैं सलाम करता हूं। इधर जस्टिस सिद्दिकी का यह बयान उधर पाकिस्तान के चुनाव आयोग द्वारा घोषित आतंकवादियों को भी चुनाव लड़ने की इजाजत देना इस बात का पक्का सबूत है कि 25 जुलाई को होने वाला आम चुनाव घोर अनैतिक होगा। ये आतंकवादी उम्मीदवार घोषित और प्रतिबंधित आतंकवादी गिरोहों के सक्रिय सदस्य हैं।
अब आप समझ लीजिए कि पाकिस्तान की नई संसद कैसी होगी ? फौज ने पहले ही डेढ़ सौ निर्दलीय उम्मीदवार खड़े करवा दिए हैं। यदि फौज की इस धांधली को इस बार पाकिस्तान की जनता ने उलट दिया तो हम यह आशा कर सकते हैं कि शायद पाकिस्तान में सच्चे लोकतंत्र का आगमन शुरु हो जाए। सारी दुनिया में हमारे इस पड़ौसी देश को, जो 70 साल पहले तक हमारा ही अंग था, ‘गुण्डा-राज्य’ (रोग स्टेट) के तौर पर जाना जाता है, लेकिन उसे अब शायद भारत की तरह सभ्य और लोकतांत्रिक राष्ट्र की तरह जाना जाने लगेगा।
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