आज पुणें में एक एतिहासिक समारोह में भाग लेने का मौका मुझे मिला। पुणें शहर से लगा हुआ एक राजबाग नामक क्षेत्र है। यहां कभी राजकपूर का विशाल फार्म हाउस हुआ करता था। आजकल उसकी मिल्कियत पुणें के प्रसिद्ध शिक्षाविद डाॅ. विश्वनाथ कराड़ के पास है। डाॅ. कराड़ ने इस विशाल क्षेत्र में फिल्मी हस्तियों और प्रसिद्ध कलाकारों का सुंदर संग्रहालय तो बना ही दिया है। अब वे जो स्तूप या गुंबद वहां बनवा रहे हैं, वह सारी दुनिया में सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा होगा। यह स्तूप पिछले ग्यारह साल से बन रहा है और इसमें 600 कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं। यह वेटिकन के सेंट पीटर्स स्तूप से भी ऊंचा और भव्य है। यह 263 फुट ऊंचा और 160 फुट चौड़ा है। आज कर्वे गुरुजी, डाॅ. विजय भटकर और मैंने इस स्तूप और उसके चार मंगल-स्तंभों पर स्वर्ण-कलश चढ़ाए। स्तूप बन चुका है और अब उस पर सफेद झक संगमरमर लग रहा है, जो 2 अक्तूबर (गांधी जयंती) तक पूरा हो जाएगा। अधूरा स्तूप अभी ही इतना भव्य लग रहा है। संगमरमर लगने के बाद क्या मालूम यह ताजमहल से भी ज्यादा सुंदर लगने लगे। ताजमहल तो शाहजहां ने अपनी पत्नी के लिए बनाया था लेकिन डाॅ. कराड़ यह स्तूप महल अपनी माता (भारत माता) के लिए बनवा रहे हैं। इसमें भारत में प्रचलित सभी धर्मों की विशाल मूर्तियां होंगी, सभी धर्मग्रंथों से संबंधित साहित्य और सभी दर्शनों का विशाल ग्रंथालय होगा। दुनिया के महान वैज्ञानिकों और विचारकों की विशाल मूर्तियां तैयार हो चुकी हैं। मैंने अपने भाषण में कहा कि डाॅ. विश्वनाथ ने आज पुणें में एक विश्व धरोहर खड़ी कर दी है। सारे धर्मों की सर्वस्वीकार्य उत्तम बातों का संग्रह एक जगह पर हो जाए तो वह अपने आप विश्व-तीर्थ बन जाता है। सभी धर्मों की संकरी और सड़ी-गली चारदीवारियों को लांघकर सच्चे मानव-धर्म को माननेवाले लोग सदेह मोक्ष के स्वतः अधिकारी बन जाते हैं। यह विश्व-तीर्थ याने विश्व का तारण करनेवाला स्थान बने, यही मेरी कामना है।
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