नई दिल्ली, 22 अप्रैल : भारतीय भाषा सम्मलेन के अध्यक्ष एवं नवभारत टाइम्स और पीटीआई भाषा के पूर्व संपादक डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने आज यहां एक बयान में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के इस फैसले की कड़ी निंदा की है कि 9 वीं और 10 वीं के कक्षा के छात्रों पर बोर्ड ने अंग्रेजी थोपने का फैसला किया है। उन्होंने बोर्ड द्वारा जारी किए गए इस निर्देश को बिल्कुल अनुचित बताया है कि 9 वीं और 10 वीं कक्षा के छात्रों की परीक्षा में 20 अंक इसी बात के लिए रखे जाएंगे कि वे अंग्रेजी कैसी बोल पाते हैं।
बोर्ड का यह निर्णय बच्चों में हीनता का भाव भरेगा और उनकी असली योग्यता पर पर्दा डालेगा। यह निर्णय उन लाखों बच्चों के लिए बहुत ही अन्यायकारी होगा जो गरीब ग्रामीण और पिछड़े वर्गों से आते हैं और जिनके घरों में माता—पिता अंग्रेजी नहीं बोलते हैं।
डॉ. वैदिक ने बोर्ड से अनुरोध किया है कि वे संघ लोक सेवा आयोग से सबक सीखे। संघ लोक सेवा आयोग ने अपना जैसा अंग्रेजी थोपने का फैसला वापस लिया वैसे ही यह केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी अपने इस अविवेक पूर्ण फैसले को वापस ले। इस संबंध में डॉ. वैदिक केंद्रीय मंत्रियों और सभी दलों के संसदीय नेताओं से भी बात कर रहे हैं।
डॉ. वैदिक हिंदी के ऐसे पहले इतिहास—पुरुष हैं, जिन्होंने अब से लगभग 50 वर्ष पहले अंतरराष्ट्रीय राजनीति का अपना पीएच.डी. का शोधग्रंथ हिंदी में लिखा था। सर्वोच्च शिक्षा भारतीय भाषाओं के माध्यम से हो, उनके इस संघर्ष ने संसद को हिला दिया था। डॉ. वैदिक मानते हैं कि भारतीय शिक्षा पद्धति से अंग्रेजी की अनिवार्यता और वर्चस्व का तुंरत खात्मा होना चाहिए।
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