नई दिल्ली, 4 अक्तूबर| बिहार के मुख्यमंत्री और विलक्षण सांसद श्री भागवत झा आजाद के निधन पर डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने गहरा शोक व्यक्त किया है|
श्री आजाद पिछले लगभग 50 साल से डॉ. वैदिक के अभिभावक (गार्जियन) थे| 45 साल पहले जब वैदिक ने अपने अंतरराष्ट्रीय राजनीति के शोधग्रंथ को हिंदी में लिखने का आग्रह किया तो उन्हें स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज् से निकाल दिया गया था| श्री आजाद ने कांग्रेस के सांसद होते हुए भी सरकार की नाक में दम कर दिया था| उन्होंने डॉ. राममनोहर लोहिया, चंद्रशेखर, अटलबिहारी वाजपेयी, हीरेन मुखर्जी, मधु लिमए और प्रकाशवीर शास्त्री आदि की सहायता से सरकार को झुका दिया और वैदिक के माध्यम से समस्त भारतीय भाषाऍं पहली बार उच्च शोध का माध्यम बनीं|
डॉ. वैदिक ने श्री आजाद के निधन को गहरी व्यक्तिगत क्षति बताया और कहा कि आज हिंदी का एक महान योद्घा हमारे बीच से उठ गया है|
भागवत झा आजाद का निधन
नई दिल्ली, 4 अक्तूबर| बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रख्यात सांसद श्री भागवत झा आजाद का कल रात नई दिल्ली में निधन हो गया| वे 89 वर्ष के थे| उनकी अंत्येष्टि आज 2.30 बजे दयानंद घाट लोदी रोड श्मशान में होगी|
श्री आजाद पहली बार 1952 में सांसद चुने गए थे| उसके बाद वे पांच बार लोकसभा के सदस्य बने| जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के साथ काम करनेवाले सांसदों की पीढ़ी के वे विख्यात नेता थे| इंदिराजी के मंत्रिमंडलों के वे कई बार सदस्य रहे| राजीव गांधी ने उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनया था|
श्री आजाद स्वतंत्र्ता संग्राम के बहादुर सेनानी थे| वे छह बार जेल गए और उनके पांव में गोली भी लगी थी| उनकी पीठ पर कोड़ों के निशान अब तक कायम हैं| बिहार के भागलपुर में जन्मे श्री भागवत झा की गणना देश के सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं में होती थी| वे कवि और लेखक भी थे| धर्मयुग, नवभारत टाइम्स और हिंदुस्तान में उनके लेख भी छपा करते थे| उन्होंने अपने सांसदकाल में लगभग 30 देशों की यात्र की और वे संयुक्तराष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि भी रहे| वे हिंदी के महान समर्थक थे|
श्री आजाद के तीन पुत्र्-डॉ. राजवर्द्घन, श्री यशोवर्द्घन और श्री कीर्ति आजाद (सांसद) अपने-अपने क्षेत्र् के जाने-माने नाम हैं| श्री आजाद की पत्नी श्रीमती इंदिरा आजाद का गत वर्ष निधन हो गया था|
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