दैनिक भास्कर, 10 दिसंबर 2013 :
नगर संवाददाता-!- उदयपुर
भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार वेदप्रताप वैदिक ने कहा कि अकेले राजनीतिक नेतृत्व से देश नहीं चल सकता। इसके लिए नैतिक, आध्यात्मिक, बौद्घिक नेतृत्व भी जरूरी है। इन नेतृत्व के अभाव में आज भारतीय लोकतंत्र सत्ता से पत्ता और पत्ता से सत्ता के भंवरजाल में फंसकर रह गया है। लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व आज उन प्रतिनिधियों के हाथों में है, जो मामूली मत लेकर संसद, विधानसभा में पहुंच रहे हैं।
डॉ. वैदिक सोमवार को यहां सुखाडिय़ा सभागार में वर्तमान भारत में नेतृत्व का संकट विषय पर बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के प्रबंध अध्ययन संकाय, भूपाल नोबल्स संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संबोधन में उन्होंने कहा कि देश में नेतृत्व संकट को दूर करने के लिए चुनाव पद्धति में भी बदलाव की जरूरत है।
50 प्रतिशत वोट पाने वाला ही बने सांसद, प्रधानमंत्री: डॉ. वैदिक ने कहा कि हमारी चुनाव पद्धति की यह विडंबना यह है कि आज तक सिर्फ एक प्रधानमंत्री के अलावा कोई भी प्रधानमंत्री अपने निर्वाचन क्षेत्र में बहुमत नहीं प्राप्त कर सका है। नरसिम्हा राव के अलावा सभी प्रधानमंत्रियों को क्षेत्र में अपने वोटरों के 50 प्रतिशत कम
वोट मिले हैं। देश के 543 सांसदों में से प्राय: 20-25 भी ऐसे नहीं होते, जिन्हें इतने वोट मिलते हों। मौजूदा प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह तो आसाम से रा’यसभा के माध्यम से पहुंचे। हमारा देश 125 करोड़ लोगों का है और ऐसी सरकार चल रही है, जिसे 13 करोड़ से भी कम वोट मिले हैं। डॉ. वैदिक ने कहा कि महापुरुषों ने नैतिकता के बल पर लोकतंत्र की वो नींव रखी जिसकी बदौलत आज 66 वर्ष बाद भी देश में ऐसे कारण नहीं बने जो पडो़सी मुल्क में देखने को मिलते हैं।
एफएमएस के निदेशक प्रो. पीके जैन ने डॉ. वैदिक का परिचय दिया। बीएन संस्थान के एमडी निरंजन नारायण सिंह राठौड़ ने आभार जताया।
न यहां संविधान बदला गया, न ही तख्ता पलटा गया, न ही सत्ताधारियों को फांसी पर लटकाया गया। इंदिरा गांधी जैसी मजबूत दावेदार को भी सत्ता से बाहर कर सकता है।
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