18 नवंबर 2013 : भारतीय भाषा सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने श्री मुलायम सिंह यादव का जोरदार समर्थन करते हुए देश की सभी पार्टियों के नेताओं से अनुरोध किया है कि वे तुरंत कुछ ऐसी व्यवस्था करें कि संसद में अंग्रेजी बोलने पर कठोर प्रतिबंध लग जाए। ऐसा करके हम अपनी आजादी के अधूरे अध्याय को पूरा करेंगे। स्वंय डॉ. वैदिक ने अब से 48 साल पहले अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर अपना पीएच.डी. का शोधग्रंथ हिंदी में लिखा था। उनके इस आग्रह पर संसद में जबरदस्त बहस चली थी और भारत के इतिहास में पहली बार अध्येताओं को पीएच.डी. का शोधग्रंथ अपनी मातृभाषा में लिखने का अधिकार मिला था।
डॉ. वैदिक ने एक बयान में बताया कि महात्मा गांधी ने भी कहा था कि आजाद भारत की संसद में अगर कोई अंग्रेजी बोलेगा तो मैं उसे कम से कम 6 महीने के लिए गिरफ्तार करवा दूंगा। आश्चर्य की बात है कि देश के सारे नेता करोड़ों लोगों से वोट तो भारतीय भाषाओं में मांगते हैं और वे संसद में आकर अंग्रेजी झाड़ते हैं। यह क्या कुछ कम शर्म की बात है कि हिंदुस्तान के कानून भी मूलत: अंग्रेजी में ही बनते हैं और उनका हिंदी अनुवाद संसद में पेश कर दिया जाता है। भारत के सारे कानून राजभाषा हिंदी में बनने चाहिए और प्रत्येक सांसद को उसकी मातृभाषा में बोलने की सुविधा संसद में होनी चाहिए। दुनिया के सबसे ताकतवर पहले सात राष्ट्रों में कोई भी राष्ट्र ऐसा नहीं है, जिसकी संसद में लोग विदेशी भाषा में बोलते हों या उसके कानून विदेशी भाषा में बनते हों। डॉ. वैदिक ने देश के करोड़ों मतदाताओं से अनुरोध किया है कि वे अपने—अपने क्षेत्र के उम्मीदवारों से प्रतिज्ञा कराएं कि वे संसद में जाकर स्वभाषा का ही प्रयोग करेंगे।
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