राज एक्सप्रेस, 15 दिसंबर 2013: इंदौर। विदेशी मामलों के जानकार व पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने कहा कि विश्व में भारत को महानतम देश बनाने के लिए अलग सोच वाले प्रधानमंत्री की जरूरत है। हिंदुस्तान का मतलब ही सिंधुस्तान होता है। डॉ. वैदिक शनिवार को अभय खेल प्रशाल में सिंधी सम्मेलन के दूसरे दिन के सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वोट लेने और नोट कमाने के चक्कर में हमारे देश के नेता भ्रष्ट हो गए हैं। उन्होंने पदों की गरिमा का हरण कर दिया है, ऐसा नेता जो कि दृष्टिहीन बनकर सब कुछ देख रहे हैं, वे स्वयं को अर्थशास्त्री कहते हैं।
दिल्ली सिंधी एकेडमी की सचिव सिंधु भाग्या मिश्रा ने कहा कि सिंधी भाषा का विस्तार तब तक नहीं हो सकता है, जब तक की हम अपने घरों में उसे संवाद की भाषा नहीं बना लेते। सिंधु महाजोत के अध्यक्ष मनोहर देव एवं मानद सचिव शंकर लालवानी ने बताया कि सम्मेलन के दूसरे दिन सम्मेलन स्थल पर कई सत्रों में अलग-अलग विषयों पर विचार विमर्श हुआ। इसमें शिक्षा शास्त्री रमेश बरलीयानी ने सिंधी समाज के युवाओं को इस बारे में मार्गदर्शन दिया। उल्लासनगर सिंधी ग्लोबल फंड द्वारा किए जा रहे राहत कार्यो की अजरुन दासवानी ने जानकारी दी। चिंतक काजल रामचंदानी ने सिंधी समाज के दर्शन पर तथा इतिहास विद कमल रामचंदानी ने मोहन जोदडो सभ्यता पर प्रकाश डाला। गुजरात के कच्छ में संचालित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ सिंधियोलॉजी के कार्यो की जानकारी लखनी खिलानी ने दी।
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