पटना। दैनिक भास्कर पटना उत्सव के दूसरे दिन सोमवार को आयोजित मीडिया सेमिनार में इंटरनेशनल मीडिया एक्सपर्ट वेद प्रताप वैदिक और टीवी के एक्सपर्ट दीपक चौरसिया ने देश में फैल रहे ‘फेक न्यूज’ के खतरे को आंशिक बताते हुए आगाह किया कि ऐसे तत्वों से सतर्क रहें। यह एक साजिश का हिस्सा है।
वक्ताओं ने अपने पत्रकारिता जीवन के रोचक किस्से भी शेयर किए। इस सारगर्भित सेमिनार में मौजूद श्रोताओं ने मीडिया एक्सपर्ट वक्ताओं से तीखे सवाल पूछे जिसका वक्ताओं ने बखूबी से जवाब दिया। ढाई घंटे चले इस सेमिनार में शहर के जागरूक नागरिकों ने हिस्सा लिया। दैनिक भास्कर पटना उत्सव के प्रस्तुतकर्ता रजनीगंधा हैं।
पाक आतंकवादी हाफिज सईद से पूछा-बेकसूरों की जान लेना कौन सा जिहाद है
वर्ष 2014 की बात है। पाकिस्तान दौरे के क्रम में लाहौर के गवर्नर रहे मियां हामिर ने वहां मुझसे पूछा कि मैं ऐसा क्यों कहता हूं कि पाकिस्तानी फौज को एक हाथ से सलाम करता हूं, पर चाहता हूं कि दोनों हाथ से प्रणाम करूं। मैंने कहा कि पाक फौज अपने आतंकियों को तो मार रही है, पर जब भारत को तंग करने वाले आतंकियों के खिलाफ यही काम करे तो उसे प्रणाम करूंगा।
उन्होंने पूछा कि ये कौन आतंकी हैं। मैंने लखवी, हाफिज सईद, हक्कानी के नाम गिनाए तो उन्होंने कहा कि इनसे आप मिले हैं? मैंने कहा- ये हमसे क्यों मिलेंगे? वे हमें दुश्मन समझते हैं। तभी वहां किसी ने हाफिज को फोन मिला मुझसे बात करा दी। उसने घर पर बुला लिया। वहां लंबी बात हुई। मैंने चलते-चलते कहा- देखो हाफिज, गलतियां हर इंसान से होती हैं। पश्चाताप कीजिए। जिन्हें मारा है, उनके सामने खड़े होकर कहिए कि जो सजा देनी हो, दे दीजिए। भारत के लोग इतने उदार हैं वे आपको माफ कर देंगे। इससे दुनिया के आतंकवादियों को सबक मिलेगा। मैंने अंगुलीमाल और वाल्मीकि का उदाहरण भी दिया। आखिर में कहा कि जहां आपकी जिंदगी का बीज रखा गया, वह भारत आपकी असली मातृभूमि है कि नहीं? वहां के बेकसूरों की हत्या कौन-सा जिहाद है? उसकी आंखें भर आईं। मैंने महसूस किया कि और कुछ कहने की जरूरत नहीं। और, यहां अपने देश में मेरी इस मुलाकात पर खूब कंट्रोवर्सी हुई।
सुनामी में सब कुछ गंवाने वाली 6 साल की बच्ची ने दी सीख-हिम्मत मत हारना
व र्ष 2004 की बात है। मैं सुनामी कवर करने अंडमान गया था। एक दिन स्टोरीज़ करने के बाद एयरपोर्ट पर खड़ा था। वहां छोटे-छोटे द्वीप पर लोग रहते हैं। एयरपोर्ट पर एक आदमी मुझे फफकता मिला। पूछा तो बताया- भाई, मेरी भाभी और उनका एक बच्चा मर चुका है। एक भतीजी जिंदा है। द्वीप पर फंसी हुई है। उसका नाम है अलमास। मैंने उसकी तस्वीर टीवी पर चलाई। कैंपेन चलाया कि अलमास को बचाना है। अगले दिन लेफ्टिनेंट गवर्नर खुद गए और उसे बचाकर लाए।
हमलोगों की कोशिश होती है कि बच्चों से बात न करें, पर जब वह वापस आई तो उसने खुद कहा कि मुझे दीपक अंकल से कैमरे पर बात करनी है। उसने कहा कि मेरे साथ जो हुआ, वो हुआ लेकिन यहां पर कई सारे लोग ऐसे हैं जिन्होंने सबकुछ गंवा दिया है। घर गंवा दिया, जायदाद गंवा दी। मैं उनसे एक बात कहना चाहती हूं- हिम्मत मत हारना। छह साल की उस बच्ची की यह पंक्ति मेरी जिंदगी भर का टेक अवे है। ‘फेक न्यूज’ के साथ लड़ाई में भी यह लागू है। अगर हिम्मत हार गए तो यह ‘फेक न्यूज’ सिर चढ़कर बोलने लगेगी। आपके सामने अगले साल बड़ी रेस्पांसबिलिटी है। सोशल मीडिया या ऐसे किसी ‘फेक न्यूज’ के प्रभाव में न आएं, जिससे 2019 के चुनाव में गलत फैसला हो जाए। खबरों में भी निष्पक्षता बनाए रखने के लिए हमें काम करना होगा। सोर्स, फर्स्ट हैंड, ग्राउंड रिपोर्टिंग से हम फेक न्यूज फैलने से रोक सकते हैं।
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