देशद्रोह और अशांति भड़काने के आरोप में दिल्ली की पुलिस ने तीन लोगों पर अपना शिकंजा कस लिया है। बेंगलुरु की सामाजिक कार्यकर्ता युवती दिशा रवि को गिरफ्तार कर ही लिया गया है और निकिता जेकब और शांतनु को भी वह जल्दी पकड़ने की फिराक में है। इन तीनों पर आरोप है कि इन्होंने मिलकर षड़यंत्र किया और भारत में चल रहे किसान आंदोलन को भड़काया। इतना ही नहीं, इन्होंने स्वीडी नेता ग्रेटा टुनबर्ग के … [Read more...] about संदेशों पर नेताओं की लट्ठबाजी
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डोनाल्ड ट्रंप बच गए लेकिन…
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के ऐसे अकेले राष्ट्रपति बन गए, जिन पर अमेरिकी संसद ने दो बार महाभियोग का मुकदमा चलाया और वे दोनों बार बरी हो गए। वे ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं, जिन पर पद छोड़ने के बाद भी महाभियोग चलाया गया। यदि यह महाभियोग सफल हो जाता तो वे दुबारा चुनाव नहीं लड़ पाते, उनकी पेंशन तथा अन्य सुविधाएं भी बंद हो जातीं लेकिन वे जीत गए अर्थात अमेरिकी संसद में उनके विरोधी डेमोक्रेटस … [Read more...] about डोनाल्ड ट्रंप बच गए लेकिन…
किसका विरोध, क्या जनता का ?
सर्वोच्च न्यायालय ने जन-प्रदर्शनों के बारे में जो ताज़ा फैसला किया है, उससे उन याचिकाकर्ताओं को निराशा जरूर हुई होगी, जो विरोध-प्रदर्शन के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं। यदि किसी राज्य में जनता को विरोध-प्रदर्शन का अधिकार न हो तो वह लोकतंत्र हो ही नहीं सकता। विपक्ष या विरोध तो लोकतंत्र की मोटरकार में ब्रेक की तरह होता है। विरोधरहित लोकतंत्र तो बिना ब्रेक की गाड़ी बन जाता है। अदालत ने … [Read more...] about किसका विरोध, क्या जनता का ?
नेताओं को चौहान की सीख
इन्दौर पहले से ही देश का सर्वाधिक स्वच्छ शहर लगातार कई बार घोषित हो चुका है। यहाँ के व्यापारियों ने मिलावटखोरी के विरुद्ध जो शपथनामा भरा है, उसने भी सारे देश को नई दिशा दिखाई है और अब राजनीति की दृष्टि से भी एक और उल्लेखनीय काम यहाँ हो गया है। अपने राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जो सीख कभी गांधीजी, नेहरूजी, लोहियाजी, श्रीपाद डांगेजी, दीनदयाल उपाध्यायजी आदि दिया करते थे, वही सीख … [Read more...] about नेताओं को चौहान की सीख
भारत-चीनः अभी बहुत कुछ बाकी है
चीन के साथ लद्दाख में चल रहे सीमा-विवाद का अब हल होता नजर आ रहा है। बस, वह नजर आ रहा है। अभी हम यह नहीं कह सकते कि वह हल हो गया है। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि पिछले साल मई में जब चीन के साथ हमारी मुठभेड़ हुई थी, तब टकराव पांच क्षेत्रों में हुआ था। दोनों देशों के बीच की जो वास्तविक नियंत्रण रेखा है, उसके आस-पास के वे चार इलाके ये हैं- (1) गोगरा पोस्ट का पेट्रोलिंग पांइट 17 ए (2) … [Read more...] about भारत-चीनः अभी बहुत कुछ बाकी है
देश को इंदौर दिखाए रास्ता
इंदौर के कुछ प्रमुख व्यापारियों ने कल एक ऐसा काम कर दिखाया है, जिसका अनुकरण देश के सभी व्यापारियों को करना चाहिए। इंदौर के नमकीन और मिठाई व्यापारियों ने शपथ ली है कि वे अपने बनाए नमकीनों और मिठाइयों में किसी तरह की मिलावट नहीं करेंगे। वे इनमें कोई ऐसे घी, तेल और मसाले का उपयोग नहीं करेंगे, जो सेहत के लिए नुकसानदेह हो। यह शपथ मुंहजबानी नहीं है। 400 व्यापारी यह शपथ बाकायदा 50 रु. … [Read more...] about देश को इंदौर दिखाए रास्ता
भारतीय मुसलमान सर्वश्रेष्ठ
कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद की संसद से बिदाई अपने आप में एक अपूर्व घटना बन गई। पिछले साठ—सत्तर साल में किसी अन्य सांसद की ऐसी भावुक विदाई हुई हो, ऐसा मुझे याद नहीं पड़ता। इस विदाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व के एक अज्ञात आयाम को उजागर किया। गुजराती पर्यटकों के शहीद होने की घटना का जिक्र करते ही उनकी आंखों से आंसू आने लगे। लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह … [Read more...] about भारतीय मुसलमान सर्वश्रेष्ठ
अंग्रेजीः लोकतंत्र बना जादू-टोना
स्वतंत्र भारत को अंग्रेजी ने कैसे अपना गुलाम बना रखा है, इसका पता मुझे आज इंदौर में चला। इंदौर के प्रमुख अखबारों के मुखपृष्ठों पर आज खास खबर यह छपी है कि कोरोना का टीका लगवाने के लिए 8600 सफाईकर्मी लोगों को संदेश भेजे गए थे लेकिन उनमें से सिर्फ 1651 ही पहुँचे। बाकी को समझ में ही नहीं आया कि वह संदेश क्या था ? ऐसा क्यों हुआ ? क्योंकि वह संदेश अंग्रेजी में था। अंग्रेजी की इस … [Read more...] about अंग्रेजीः लोकतंत्र बना जादू-टोना
मोदी के भाषण में किसानों का गुस्सा शांत करने की क्षमता
दैनिक भास्कर, 10 फरवरी 2021: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाबी भाषण सुनकर मेरी त्वरित प्रतिक्रिया यह हुई कि किसान—आंदोलन का संतोषजनक समाधान संभव है। जिन अफसरों और सलाहकारों ने उनका यह भाषण तैयार करवाया है, वे प्रशंसा के पात्र हैं, क्योंकि यह भाषण सरकार और किसानों के बीच फंसी गांठ को खोल सकता है। उसके कई कारण हैं। पहला, मोदी अपने भाषणों में अपने … [Read more...] about मोदी के भाषण में किसानों का गुस्सा शांत करने की क्षमता
संसद में मोदी के तर्क
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर संसद में बहस हुई बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री का जो भाषण हुआ, उसके तथ्य और तर्क काफी प्रभावशाली रहे। जिन अफसरों या सलाहकारों ने उनका भाषण तैयार किया है, वे बधाई के पात्र हैं। उस भाषण की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि उसमें मोदी की अहंकारिता और आक्रामकता नदारद थी। शायद किसान आंदोलन ने उनके व्यक्तित्व में यह नया आयाम जोड़ दिया है। इससे उनको और देश को भी … [Read more...] about संसद में मोदी के तर्क