राष्ट्र्रीय सहारा, 11 दिसंबर 2005 : प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह की मास्को-यात्र खाली वार्षिक कर्मकांड बनकर रह जा सकती थी, जैसे कि पिछले साल रूसी राष्ट्र्रपति ब्लादिमीर पूतिन की दिल्ली-यात्र रही लेकिन भारतीय प्रधानमंत्री की इस यात्र ने अनेक छोटे-मोटे लक्ष्य सिद्घ किए| पहले राजनीतिक लक्ष्यों को ही लें| सबसे पहला लक्ष्य तो ईरान का ही था| ईरान के मसले … [Read more...] about भारत-रूस मैत्री के नए आयाम
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अस्थिरचित्त उमा और भ्रमित भाजपा
नवभारत टाइम्स, 02 दिसम्बर 2005 : पहले संघ और लालकृष्ण आडवाणी भिड़े और अब भाजपा और उमा भारती भिड़ गए| इस भिडंत में विचारधारा कहां है, आदर्श कहां हैं, सिद्घांत और नीतियां कहॉं हैं? यह शुद्घ सत्ता-संघर्ष है| आडवाणी और उमा से बेहतर सिद्घांतशास्त्री कल तक कौन था? लेकिन संघ और आडवाणी की भिड़ंत में आडवाणी ने जैसा विनम्रतापूर्ण आत्म-समर्पण किया, क्या किसी लोकतांत्रिक दल का कोई नेता … [Read more...] about अस्थिरचित्त उमा और भ्रमित भाजपा