ताजा खबर यह है कि विश्व हिंदी सम्मेलन का 11 वां अधिवेशन अब मोरिशस में होगा। मोरिशस की शिक्षा मंत्री लीलादेवी दोखुन ने सम्मेलन की वेबसाइट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘आज हिंदी की हालत पानी में जूझते हुए जहाज की तरह हो गई है।’ अच्छा हुआ कि उन्होंने डूबते हुए जहाज नहीं कहा। पिछले 70 सालों में यदि हमारी सरकारों का वश चलता तो वे हिंदी के इस जहाज को डुबाकर ही दम … [Read more...] about हिंदी के नाम पर पाखंड
Archives for April 2018
हाफिज सईदः पाकिस्तानी दुविधा
पाकिस्तान की सरकार की हालत कितनी दयनीय है। वह हाफिज सईद का बाल भी बांका नहीं कर पा रही है। लगभग पांच साल होने आ गए लेकिन हाफिज सईद को वह अमेरिका के हवाले नहीं कर सकी। अमेरिका ने उसके सिर पर लगभग 70 करोड़ रु. का इनाम रखा हुआ है। पाकिस्तान सरकार कभी उसे नजरबंद करती है, कभी उस पर मुकदमा चलाती है और कभी उसको खुला छोड़ देती है। अब अमेरिका की ट्रंप सरकार ने इतनी धमकियां दे दी है कि … [Read more...] about हाफिज सईदः पाकिस्तानी दुविधा
फर्जी गांधी का फर्जी उपवास
दलित-उत्पीड़न के विरोध में आयोजित उपवास कैसा मजाक बन गया। यह उपवास 10.30 से 4.30 तक चलना था। यह अपने आप में मजाक है। सिर्फ 6 घंटे खाना नहीं खाना कौन सा उपवास है? यदि इसे ही आप उपवास कहते हैं तो भारत में करोड़ों लोग ऐसा उपवास रोज़ ही रखते हैं लेकिन ज्यादा अफसोस की बात यह है कि यह राजघाट पर गांधी समाधि के पास किया गया और एक गांधी के नेतृत्व में किया गया। कौन गांधी ? महात्मा गांधी … [Read more...] about फर्जी गांधी का फर्जी उपवास
दुबई में दीया ग्लोबल फाउंडेशन के उद्घाटन के अवसर पर अबू धाबी के शेख नाहयान मुबारक के साथ डॉ. वैदिक
नेपाल के साथ कदम फूंक-फूंककर
नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली की भारत-यात्रा ने दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का भरोसा पैदा किया है लेकिन उससे कोई ऐसा संकेत नहीं मिलता जिससे यह आशा उत्पन्न हो कि ओली की चीन परसती में कोई कमी आई है। विदेश सचिव विजय गोखले ने साफ-साफ कहा है कि ओली से चीन के बारे में कोई बात नहीं हुई है जबकि ओली के भारत आने के पहले भारतीय अखबारों में यह खबर जमकर छपवाई गई कि … [Read more...] about नेपाल के साथ कदम फूंक-फूंककर
पार्टियां या प्रा.लि. कंपनियां ?
भारत की राजनीति अब एक खतरनाक मोड़ पर आ गई है। यों तो हम भारत को लोकतंत्र कहते हैं और ऊपर से वह वैसा दिखाई भी पड़ता है। यहां कभी फौजी तख्ता-पलट नहीं हुआ, कभी संविधान रद्द नहीं हुआ और कभी चुनाव टाले नहीं गए लेकिन ये सब दिखाने के दांत हैं। जहां तक खाने के दांतों का सवाल है, भारतीय लोकतंत्र के हाथी का मुंह खोखला हो चुका है। उसमें दांत तो क्या, डेंचर भी नहीं है। क्या आज भारत में एक भी … [Read more...] about पार्टियां या प्रा.लि. कंपनियां ?
संतों की हजामत उल्टे उस्तरे से!
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान गजब के नेता हैं। उन्होंने पांच बाबाओं को भी बाबा बना दिया। उनकी उल्टे उस्तरे से हजामत कर दी। चोर को चाबी पकड़ा दी। उसे चौकीदार बना दिया। सारी दुनिया भौंचक रह गई। जो पांच तथाकथित साधु-संत चौहान की नर्मदा-यात्रा पर कालिख पोतना चाहते थे, वे अपना मुंह छिपाते फिर रहे हैं। इन पांच नेता-टाइप संतों ने घोषणा की थी वे सब अगले 45 दिन तक ‘नर्मदा … [Read more...] about संतों की हजामत उल्टे उस्तरे से!
अब आंबेडकर को दुहा जाए
दलित रक्षा-कानून में संशोधन करके सर्वोच्च न्यायालय ने सत्तारुढ़ मोदी-पार्टी को सांसत में डाल दिया है। यों तो अदालत के इस फैसले से मोदी-पार्टी और सरकार का कुछ लेना-देना नहीं है लेकिन फिर भी उन पर दलित-विरोधी होने का ठप्पा लगाने की कोशिश जारी है। इस बेजा कोशिश का मुकाबला कैसे किया जा रहा है ? एक तो सरकार ने अदालत में याचिका लगा दी है और दूसरा, मोदी ने बहुत जमकर एक बयान झाड़ दिया … [Read more...] about अब आंबेडकर को दुहा जाए
राजीव के चरण-चिन्हों पर मोदी
नरेंद्र मोदी की सरकार ने वहीं किया, जो राजीव गांधी की सरकार ने किया था। सत्ता में आने के चार साल बाद जब राजीव गांधी को लगा कि जिस कुर्सी पर वे अचानक आ बैठे थे, वह हिलने लगी है तो वे मानहानि विधेयक ले आए, जैसे कि अब उल्टी लहर बहती देख कर मोदी का दम फूल रहा है। अब उसने अपने चार साल पूरे होते-होते राजीव की तरह पत्रकारों की आजादी पर हाथ मारना शुरु कर दिया। जैसे राजीव ने अपना विधेयक … [Read more...] about राजीव के चरण-चिन्हों पर मोदी
हमारे कायर और स्वार्थी नेता!
दलित-हिंसा में लगभग 15 लोगों का मरना और सैकड़ों का घायल होना बहुत दुखद है। सर्वोच्च न्यायालय ने दलित अत्याचार निवारण कानून में जो संशोधन किए थे, यह आंदोलन उसके खिलाफ है। यानी यह आंदोलन होना था, सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ लेकिन इसमें निशाना बनाया जा रहा है, मोदी सरकार को! इसका अर्थ क्या हुआ? क्या यह नहीं कि यह दलितों का आंदोलन कम और मोदी-विरोध ज्यादा है? विरोधी नेताओं के पास … [Read more...] about हमारे कायर और स्वार्थी नेता!