केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बर्ताव में संवैधानिक मर्यादा और आत्म-स्वातंत्र्य का अद्भुत समागम हुआ है। राज्यपाल के नाते उन्होंने विधानसभा में वही भाषण पढ़ दिया, जो मुख्यमंत्री ने उन्हें लिखकर भिजवाया था लेकिन उन्होंने साथ-साथ यह भी कह दिया कि वे इसे पढ़ तो रहे हैं लेकिन इस की बात से वे सहमत नहीं हैं। क्या बात है, जिससे वे सहमत नहीं है ? वह है नागरिकता संशोधन कानून और … [Read more...] about राज्यपालों के साथ अशिष्टता
Archives for January 2020
यह ध्रुवीकरण नहीं, धुंआकरण है
एक पुरानी कहावत है कि प्रेम और युद्ध में किसी नियम-कायदे का पालन नहीं होता। मैं सोचता हूं कि यह कहावत सबसे ज्यादा लागू होती है हमारे चुनावों पर! चुनाव जीतने के लिए कौन-सी मर्यादा भंग नहीं होती ? कोई भी प्रमुख उम्मीदवार यह दावा नहीं कर सकता कि उसने चुनाव-अभियान के लिए अंधाधुंध पैसा नहीं बहाया है। चुनाव आयोग द्वारा बांधी गई खर्च की सीमा का उल्लंघन कौन प्रमुख उम्मीदवार नहीं करता … [Read more...] about यह ध्रुवीकरण नहीं, धुंआकरण है
यूरोप में भारत-विरोध
यूरोपीय संघ की संसद में अब भारत की डटकर भर्त्सना होनेवाली है। उसके 751 सदस्यों में से 600 से भी ज्यादा ने जो प्रस्ताव यूरोपीय संसद में रखे हैं, उनमें हमारे नए नागरिकता कानून और कश्मीर के पूर्ण विलय की कड़ी आलोचना की है।जिन सांसदों ने इस कानून को भारत का आतंरिक मामला माना है और भारत की भर्त्सना नहीं की है, उन्होंने भी अपने प्रस्ताव में कहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और … [Read more...] about यूरोप में भारत-विरोध
आखिर उल्टा क्यों पड़ रहा है यह ब्रह्मास्त्र
नवभारत टाइम्स, 29 जनवरी 2020: यूरोपियन संघ की संसद में हमारे नए नागरिकता कानून के विरुद्ध लगभग आधा दर्जन प्रस्ताव आ गए हैं। हमारी अपनी आधा दर्जन विधानसभाएं उसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर रही हैं। देश में दर्जनों शाहीन बाग उग आए हैं। दिल्ली के अलावा लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम जैसे बड़े शहरों में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। केरल में तो 620 किमी की … [Read more...] about आखिर उल्टा क्यों पड़ रहा है यह ब्रह्मास्त्र
दो खास मुसलमानों को पद्मश्री
हर 26 जनवरी पर भारत सरकार पद्मश्री आदि पुरस्कार बांटती है। इन पुरस्कारों के लिए कई लोग दौड़-धूप करते हैं। नेताओं, अफसरों और पत्रकारों से सिफारिश करवाते हैं। उन्हें लालच भी देते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें ये पुरस्कार देने पर सरकार खुद तुली रहती है। वे इन पुरस्कारों के लिए किसी के आगे अपनी नाक नहीं रगड़ते।जब उन्हें बताया जाता है तो ज्यादातर लोग इन पुरस्कारों को सहर्ष … [Read more...] about दो खास मुसलमानों को पद्मश्री
गणतंत्र या गर्वतंत्र ?
अपने 71 वें वर्ष में भारत का गणतंत्र खुद पर गर्व करे या चिंता करे ? मैं सोचता हूं कि वह दोनों करे। गर्व इसलिए करे कि अगर हम एशिया और अफ्रीका के देशों पर नज़र डालें तो हमें मालूम पड़ेगा कि उन सब में भारत बेजोड़ देश है। इन लगभग सभी देशों के संविधान तीन-तीन चार-चार बार बदल चुके हैं, इन ज्यादातर देशों में कई बार तख्ता-पलट हो चुके हैं, इनमें कई लोकतंत्र फौजतंत्र बन चुके हैं और फौजतंत्र … [Read more...] about गणतंत्र या गर्वतंत्र ?
राजनीति को करें अपराध मुक्त
हमारे सर्वोच्च न्यायालय और अश्विनी उपाध्याय की तारीफ किन शब्दों में की जाए? सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीति से अपराधियों को बाहर करने के लिए अब पक्का रास्ता बनाने की तैयारी कर ली है। अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर विचार करते हुए अपने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह में अश्विनी के साथ सलाह करके यह बताए कि अपराधी नेताओं को चुनाव लड़ने से कैसे रोका जाए ? अदालतों का हमारे … [Read more...] about राजनीति को करें अपराध मुक्त
नये नागरिकता कानून पर डॉ. वेदप्रताप वैदिक के अद्भुत तर्क लाखों लोगों ने सुनें, आप भी सुनिए।
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मुसलमानों की देशभक्ति?
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन शांतिपूर्ण आंदोलनों की तारीफ की है, जो नए नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे हैं। उनका कहना है कि इससे भारत का लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। मैं तो इस कथन से भी थोड़ा आगे जाता हूं। मेरा कहना है कि यह आंदोलन चाहे इस गलतफहमी के आधार पर चल रहा है कि इस नए कानून से देश के मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी जबकि इस कानून का संबंध सिर्फ उन मुसलमान … [Read more...] about मुसलमानों की देशभक्ति?
देश की चाबी अदालत के हाथ
नागरिकता संशोधन विधेयक के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने जो राय अभी दी है, उससे देश के गैर-भाजपाई राज्य नाखुश होंगे और वे सब लोग भी, जो इस कानून के विरुद्ध सारे देश में प्रदर्शन आदि कर रहे हैं। कई राज्यों ने तो नागरिकता रजिस्टर और उक्त कानून को लागू करने से मना कर दिया है। कई विधानसभाएं इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित कर रही हैं। ऐसी स्थिति में सब सोचते थे कि सर्वोच्च … [Read more...] about देश की चाबी अदालत के हाथ