नया इंडिया, 1 नवंबर 2013 : ‘अंधेर नगरी और चौपट राजा’ की कहावत आजकल किस देश पर लागू होती है? भारत पर! कैसे? शास्त्रों में कहा है, ऐसा देश जहां अपूज्यों की पूजा और पूज्यों की अपूजा होती है, वहां मानिए कि सब कुछ चौपट हो रहा है। आज की सरकार के राज में यही हो रहा है। उन्नाव के डोंडियाखेड़ा में एक साधु को सपना क्या आया, 1000 टन सोना खोदने के लिए हमारी सरकार पागल हो उठी। सिर्फ केन्द्र सरकार ही नहीं, राज्य सरकार के नेताओं ने भी दावा किया कि खुदाई से मिले सोने पर उसका भी अधिकार है। उस इलाके के स्थानीय लोग खुदाई-स्थल पर टूट पड़े ताकि जब सोना निकलेगा तो अगर वे कुछ लूट सकेंगे तो लूटेंगे। कुल मिलाकर ‘अंधेर नगरी’ शब्द पूरी तरह से लागू हो गया।
न तो हमारे सांसदों, न ही विधायकों, न ही पार्षदों-किसी ने भी इस अंधविश्वास के विरुद्ध आवाज़ नहीं उठाई। पुरातत्व विभाग के लाखों रुपए बर्बाद होंगे, यह सुनिश्चित था लेकिन किसी ने भी इस खुदाई का विरोध क्यों नहीं किया? इसलिए कि इस अंधेर नगरी का हर वासी लालच में फंसा हुआ है। हर आदमी सोचता है कि सोना मुफ्त हाथ आए तो बुरा क्या है? ले-देकर नरेंद्र मोदी ने ईमान की आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा कि काला धन विदेशों से वापस लाने में इस सरकार की बिल्कुल भी रुचि नहीं है लेकिन यह एक सपने के दम पर खुदाई को तैयार है। याने यह सरकार चौपट हैं, भौंदू है, निकम्मी है लेकिन दूसरे ही दिन मोदी ने भी घुटने टेक दिए। सरकार को बेवकूफ बनाने वाले शोभन सरकार की तारीफ में मोदी ने कसीदे काढ़ दिए। शोभन के ‘लाखों भक्तों’ की भावना का सम्मान करते हुए उन्होंने उसकी प्रशंसा कर दी। अब शोभन ने नया दांव मारा है। 18 दिन की खुदाई के बावजूद जब कुछ नहीं मिला तो उसने कहा है कि अब गंगा-किनारे खुदाई करो। सोना वहीं मिलेगा। अभी खुदाई का दूसरा दौर शुरु होगा। यह सरकार ‘चौपट राजा’ इसीलिए है कि एक तरफ शोभन जैसे लोगों को वह सिर पर बिठाती है और दूसरी तरफ बाबा रामदेव जैसे लोगों को फंसाने के लिए कभी वह आचार्य बालकृष्ण पर असंगत आरोप लगाकर मुकदमा चलाती है और कभी रामदेवजी के भाई को पुलिसिया दांव-पेच में फंसाती है। यह वही सरकार है जिसके चार-चार मंत्री रामदेव के चरण-चुंबन के लिए हवाई अड्डे पहुंचते हैं।
उन मंत्रियों में से एक सज्जन इस समय राष्ट्रपति हैं। क्यों गए थे, ये लोग उनकी आगवानी के लिए? इसलिए नहीं कि बाबा रामदेव ने देश के करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य लाभ करवाया है बल्कि इसलिए कि इस युवा बाबा को पटा लें। ये कहीं नाराज़ हो गया तो हमारे वोटों का क्या होगा? याने डर! शोभन के मामले में लालच और रामदेव के मामले में डर! जो सरकार लालच और डर से प्रेरित होकर काम करती है, क्या वह सरकार होने के लायक है। जिसकी प्रेरणा डर और लालच हो, क्या वह न्यायकारी हो सकता है? ऐसी ही सरकार पूज्यों की अपूजा और अपूज्यों की पूजा करती है। इसीलिए इस अंधेर नगरी का राजा चौपट कहाता है।
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