नया इंडिया, 04 अप्रैल 2014 : अफगानिस्तान में नए राष्ट्रपति का चुनाव 5 अप्रैल को होगा। यह चुनाव पिछले सभी चुनावों से अलग होगा। क्योंकि राष्ट्रपति हामिद करजई तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। यह संवैधानिक पाबंदी है। यदि करजई तीसरी बार लड़ते तो भी जीत जाते लेकिन अब आठ उम्मीदवार हैं, जिनमें से तीन प्रमुख हैं। पहले हैं-डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला। दूसरे हैं, डॉ अशरफ गनी अहमदजई और तीसरे हैं डॉ जलमई रसूल। इन तीनों में से पहले दोनों ने पहले भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था। लेकिन वह जीत नहीं पाए थे। डॉ अब्दुल्ला और डॉ गनी, दोनों ही करजई के मंत्रिमंडल के सदस्य रह चुके हैं। इनके अलावा तीसरे उम्मीदवार डॉ जलमई रसूल भी पिछले दिनों करजई के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं। वे करजई के सबसे नजदीक हैं। हालांकि करजई ने रसूल को अपना उम्मीदवार नहीं कहा है। लेकिन सभी अफगान जानते हैं कि वे रसूल को ही राष्ट्रपति बना हुआ देखना चाहते हैं। रसूल के पक्ष में ही करजई के बड़े भाई कय्यूम ने अपना नाम वापस ले लिया है।
ये तीनों प्रमुख उम्मीदवार पूरे देश में घूम रहे हैं। और बड़ी-बड़ी सभाएं कर रहे हैं। तालिबान ने जहां-जहां तक हिंसक वारदातें की हैं। लेकिन उनके बावजूद लाखों नए मतदाताओं ने अपने नाम पंजीकृत करवाए हैं। पिछलों चुनावों में काफी गड़बड़ियों के आरोप लगे थे। लेकिन इस बार अफगान चुनाव आयोग काफी सावधानी बरत रहा है फिर भी यह माना जा रहा है कि इस बार भी फर्जी वोटों की जर्बदस्त फसल उगाई जा रही है और कबाइली गांवों में थोक मतदान को रोक पाना असंभव होगा। वर्तमान चुनावों के अपेक्षाकृत साफ-सुथरे होने की उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है कि खुद राष्ट्रपति इस बार उम्मीदवार नहीं हैं।
अफगानिस्तान में मतदान पर जातीय प्रभाव उसी तरह होता है, जैसा कि भारत में होता है। अफगान लोग वोट डालते समय यह देखते हैं कि फलां उम्मीदवार मेरी जाति का है या नहीं? वह पठान है या ताजिन है या उज़बेक है या हजारा है, यह प्रश्न अफगान लोग खुद से पूछते हैं। डॉ गनी औऱ रसूल पश्तून याने पठान है। डॉ अबदुल्ला के पिता पठान और मां ताजिक थीं। पठानों की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन वे भी कबीलों में बंटे हैं। तीनों उम्मीदवार अमेरीका के साथ सैन्य- समझौता करने पर सहमत हैं। करजई ने उसे रोक रखा है। तीनों उम्मीदवारों को तालिबान अपना दुश्मन समझते हैं।
तीनों उम्मीदवार भारतप्रेमी हैं। तीनों से मेरी काबुल, दिल्ली औऱ न्यूयार्क में कई बार भेंट हो चुकी है। करजई के साथ काबुल में होनेवाली मेरी लंबी मुलाकातों में जलमई रसूल थोड़ी देर तक प्राय हमारे साथ ही बैठते थे। डॉ अब्दुल्ला की पत्नी दिल्ली में ही रहती हैं अशरफ गनी आर्थिक मामलों के अच्छे जानकार हैं। तीनों में से जो भी चुना जाएगा, वह भारत से अफगानिस्तान के संबंधों को घनिष्ट बनाएगा। अफगानिस्तान का अगला राष्ट्रपति भारतप्रेमी ही होगा।
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