नया इंडिया, 30 मार्च 2014: साबिर अली के प्रवेश पर भाजपा में हंगामा खड़ा हो गया है। भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने अपनी पार्टी के इस निर्णय को गलत बताया है और तुरंत उसे ठीक करने की गुहार लगाई है। नकवी का यह तर्क ठीक मालूम पड़ता है कि आज अगर साबिर का प्रवेश हुआ है तो कल दाऊद इब्राहिम का प्रवेश क्यों नहीं हो सकता? यह साबिर अली कौन है? यह जनता दल का सांसद है और इसे अभी अभी पार्टी से निकाल दिया गया है, क्योंकि इसने मोदी की तारीफ कर दी थी। यदि बात इतनी ही होती तो बहुत खूब थी। साबिर अली का जमकर स्वागत होना चाहिए था लेकिन थोड़ा गहरा उतरें तो मालूम कि साबिर अली उन सब बदनामियों का पिटारा है, जिनकी निंदा करते भाजपा थकती नहीं। साबिर उन ताकतों का प्रतिनिधित्व करता है, जो मोदी की जानी दुशमन हैं।
इसी साबिर अली के घर से खूंखार आतंकवादी रियाज भटकल पकड़ा गया था। आतंकवादियों का शरणदाता भाजपा का सदस्य कैसे हो सकता है। इसके अलावा साबिर अली दल बदल के खेल का उस्ताद है। वह पहले रामविलास पासवान की पार्टी में था, फिर वह नीतीश की बैलगाड़ी पर सवार हो गया, अब वह मोदी के जहाज की सवारी बनने के लिए उतावला हो उठा है। वह जीत का पुजारी है। साबिर हवा का रुख पहले से भांप लेता है। मोदी की हवा अब बिहार में भी बह रही है और जोरों से बह रही है। जाहिर है कि नीतीश के जहाज पर जितने भी चूहे लदे हुए हैं, वे डूबें, इसके पहले ही कूद जाना चाहते हैं। साबिर भी कूद गया और कूदा भी कहां? भाजपा के जहाज पर! इसे कांग्रेस का जेट दिखाई ही नहीं पड़ा।
साबिर को बिहार के नेता तो जानते हैं कि लेकिन दिल्ली में अभी उसकी कुख्याति फैली नहीं है। इसीलिए भाजपा के छोटे मोटे नेताओं ने दिल्ली में साबिर का प्रवेश करवा दिया। स्वयं राजनाथ सिंह चुनाव अभियान में व्यस्त हैं। उन्होंने साबिर का नाम सुना होगा और हां कर दी होगी। ज्यादा जानकारी नहीं निकाली होगी लेकिन भाजपा के प्रादेशिक नेताओं को इसका पता न हो, यह संभव नहीं है। यदि उन्हें भी पता नहीं तो यह बड़ी गंभीर बात मानी जाएगी। इसे केंद्रीय नेतृत्व की घोर लापरवाही माना जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व को चाहिए कि ऐसे दल-बदलुओं को प्रवेश देने के पहले उनके बारे में पूर्ण सतर्कता बरते। बाड़मेर और बेंगलूरू में जिन को लिया गया है, वे भी आपत्तिरहित नहीं है लेकिन साबिर अली को तो उल्टे पांव ही लौटाया जाना चाहिए। इसलिए भी लौटाना जाना चाहिए कि वह मोदी के नाम का दुरुपयोग कर रहा है। मोदी का नाम उन लोगों के लिए जहाज नहीं बनना चाहिए, जो भाजपा के आदर्शों और सिद्धातों का जीवन भर विरोध करते रहें है। यह साबिर वही आदमी है जिसने 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को पत्र लिखकर मोदी को वीजा देने का विरोध किया था। यदि भाजपा ने कर्नाटक के मुतालिक को बेरंग लौटाया तो साबिर को बाहर धकेलने में तो उसे बिल्कुल भी देर नहीं करनी चाहिए।
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