नया इंडिया, 11 मार्च 2014 : भारत में भाषाई गुलामी इतनी गहरी पैठी हुई है कि अंग्रेजी को हटाने का आज कोई नाम तक नहीं लेता। आज देश के सभी राजनीतिक दल और नेता अंग्रेजी के गुलाम बने हुए हैं। अंग्रेजी के इस वर्चस्व के विरूद्ध देश को लंबी लड़ाई लड़नी है। यह सच्ची स्वाधीनता की लड़ाई होगी। इस लड़ाई के बहुत से आयाम है लेकिन मैंने अभी सिर्फ एक प्रारंभिक कदम सोचा है, जिसे हजारों लोग एकदम पसंद कर रहे हैं। भारत में जहां-जहां मेरे व्याख्यान होते हैं, वहां हजारों लोग हाथ खड़े करके मेरे इस विनम्र सुझाव का समर्थन करते हैं कि आज से वे अपने हस्ताक्षर या तो अपनी मातृभाषा में करेंगे या राष्ट्रभाषा में करेंगे।
मैंने अपने जीवन में अपने प्रामणिक हस्ताक्षर सदा मेरी मातृभाषा हिंदी में किए हैं। मैं लगभग 80 देशों में गया हूं, कई देशों में मैंने पढ़ा और पढ़ाया है तथा कई विदेशी भाषाएं भी जानता हूं लेकिन मैंने अपने दस्तखत कभी अंग्रेजी में नहीं किए। आज तक मुझे देश या विदेश में किसी ने टोका नहीं कि आपने ये दस्तखत अंग्रेजी में क्यों नहीं किए? किसी भी व्यक्ति को दुनिया की कोई ताकत स्वभाषा में हस्ताक्षर करने से रोक नहीं सकती।
तो फिर आप क्यों अंग्रेजी में दस्तखत करते हैं? आपके दस्तखत आपकी पहचान हैं। आपसे बड़े आपके दस्तखत होते हैं। आप किसी बैंक में खुद जाएं और उसके बाबू से 500 रुपए मांगें तो आपको वह नहीं देगा लेकिन आप एक चेक पर दस्तखत करें और उस पर 5000 रुपए लिख दें और अपने चपरासी को भेज दें तो वह उसे 5000 रुपए दे देगा। बताइए आप बड़े कि आपका दस्तखत बड़ा?
आप तिरंगे ध्वज को प्रणाम क्यों करते हैं? आप ब्रिटेन के राष्ट्र-ध्वज ‘यूनियन जैक’ को प्रणाम क्यों नहीं करते? आप गांधीजी को राष्ट्रपिता क्यों कहते हैं, विंस्टन चर्चिल को क्यों नहीं कहते? इसी तरह आप अंग्रेजी में दस्तखत क्यों करते हैं? अपनी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा में क्यों नहीं करते?
मैंने संकल्प किया है कि मैं कम से कम दस करोड़ भारतीयों से उनके दस्तखत अंग्रेजी से बदलवाकर स्वभाषा में करवाऊंगा। मैं देश के सभी धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक संगठनों से आग्रह कर रहा हूं कि वे इस सत्संकल्प को लागू करें।
मैं देश के करोड़ों बंधुओं और बहनों से अनुरोध करता हूं कि वे आज ही जाएं और बैंकों, दफ्तरों और अपने दस्तावेजों में स्वभाषा में हस्ताक्षर करना शुरू कर दें। यह देश में होने वाली सांस्कृतिक क्रांति का सूत्रपात होगा।
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