R Sahara, 30 March 2003 : दस दिन की यात्रा के बाद जब अफगानिस्तान से लौटने की वेला आई तो अजीब-सी परेशानी सताने लगी| सैकड़ों लोगों से मिलना और दर्जनों स्थानों पर जाना शेष रह गया | किसी भी दिन चार घटों से ज्यादा नहीं सो पाया | हमारे राजदूत विवेक काटजू का विशेष आग्रह था कि भारत रवाना होने से पहले उनके घर नाश्ता होना चाहिए लेकिन उनसे भी नहीं मिल सके, क्योंकि ठीक उसी समय अफगानिस्तान के राष्ट्र्रपति हामिद करजई ने मिलने के लिए बुला लिया| हमेशा की तरह करज़़ई चकाचक सलवार-कमीज और नीले रंग की धारीदार जैकेट पहने हुए थे| मैंने पूछा : ‘क्या यह आडवाणीजी का तोहफा है ? ‘ उन्होंने कहा ‘उन्होंने मुझे कई दिए हैं|’ मैंने पूछा :कौन से दिए हैं, क्या नेहरू कट ?’ करजई तपाक से बोले : ‘भला वे नेंहरू कट क्यों देंगे ? नहीं-नहीं , वे तो आडवाणी-कट ही देंगे|’ श्री करजई धारा-प्रवाह हिन्दी बोल रहे थे| उनसे लगभग एक घंटे की बातचीत हिन्दी, अग्रेंजी और फारसी में होती रही|
करज़ई ने भारतीय अखबारों की जमकर तारीफ की| उन्होंने कहा : ‘आपके यहां अखबार बड़े परिपक्व हैं| वे राजनीति से ज्यादा महत्व मानवीय संबंधों को देते हैं| उन्होंने मेरी दिल्ली यात्रा को भी कोने में सरका दिया और शिमला यात्रा को मुखपृष्ठों पर उछाला |’ 45 वर्षीय करजई बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हैं| वे लगभग 5 साल तक शिमला में पढ़े हैं| उनके पिता अब से 35 साल पहले अफगान संसद के उपाध्यक्ष थे| जब मैं संसद अध्यक्ष उमर वरदक से पहली बार मिलने गया तो करजई के पिताजी और उनके साथ तत्कालीन सांसद सरदार जयसिंह मुझे लेने संसद के द्वार पर आए थें| 1988 में जब मैं हजरत से मिलने पेशावर गया तो हामिद करजई दो बार मुझसे मिले थे | यद्यपि आजकल वे राष्ट्र्रपति हैं, लेकिन उनमें छात्रोचित विनम्रता अब भी बरकरार है| मेरे संग्रह के कई पुराने चित्रों को देखकर वे कहने लगे, आप स्वयं हमारे इतिहास के एक अंग बन गये हैं|’
राष्ट्र्रपति करजई से मिलकर ज्यों ही राजमहल के बाहर कदम रखा, पूर्व राष्ट्र्रपति उस्ताद बुरहानुद्रदीन रब्बानी का संंंंदेश आया कि वे इंतजार कर रहे हैं| यानी ‘आर्याना एयरलाइंस ‘ की उड़ान लेट हो गयी है| रब्बानी साहब के साथ यह दूसरी मुलाकात थी| उन्होंने अफगानिस्तान के नये संविधान के बारे में विस्तार से बात की| मैंने उन्हें अपने दृष्टिकोण से अवगत कराया| वे सहमत हुए कि अफगानिस्तान का संविधान भारत जैसा हो तो बेहतर रहेगा| राष्ट्र्रपति के अधिकार भारत से भी कम यानी बि्रटिश राजा की तरह हो तो तख्ता-पलट की संभावना कम से कम होगी | यदि प्रधानमंत्री शाक्तिशाली होगा तो भी तख्ता-पलट की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि उसे संसद जब चाहेगी, हटा देंगी| इस बार रब्बानी साहब मुझे विदा करने बाहर के दरवाजे तक आये और हाथ पर हाथ रखकर बोले : ‘ आपने बदख्शां (उनका प्रांत) नहीं देखा| गर्मी में आइए तो आपको बदख्शां ले चलूंगा|’ बदख्शां बहुत ठंडा इलाका है और अफगानिस्तान के एकदम उत्तर में है| इसे दुनिया की छत भी कहा जाता है| जब रब्बानी साहब पाकिस्तान में अड्डा बनाकर रूसियों के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहे थे, तब भी उन्होंने मुझे कई बार कहा था कि उनके साथ में बदख्शां और पंजशेर घाटी चलूं, जहां से उनके शिष्य अहमदशाह मसूद ने रूसियों और तालिबान के दांत खड़़े कर दिये थे|
अफगानिस्तान के उपराष्ट्र्रपति हिदायत अमीन अर्सला से भी मुलाकात हुई| 1992 से 96 तक वे रब्बानी सरकार के विदेश मंत्री थे| हामिद करजई इन्हीं के साथ उपविदेश मंत्री थे| पहले अमीन-अर्सला हामिद के बॉस थे, अब हामिद अमीन अर्सला के बॉस हैं| भाग्य का फेर है| उन दिनों अमीन-अर्सला निजी यात्रा पर जब भी भारत आये, मेरे घर पर ही अक्सर उनका भोजन हुआ करता था | अमील-अर्सला गिलजई पठान हैं| उनके कबीले का नाम जब्बारखेल है| उनके पूर्वज अर्सला खान का इतिहास में खूब जिक्र आता है| अर्सला का अर्थ है-शेर | अमीन-अर्सला की बेटी न्यूयार्क में रहती हैं और पत्रकार हैं| उसकी सगाई बादशाह जाहिरशाह के सबसे छोटे राजकुमार (46 साल) मीर वाइज से हो गयी थी लेकिन टूट गयी| अर्सला की बेटी को क्या पता था कि जाहिरशाह के दिन इतनी जल्दी फिरेंगे और वे फिर से काबुल के राजमहल में जा बिराजेंगे|
अफगानिस्तान की वापसी का वक्त पास आया तो बाबा-ए-मिल्लत (बादशाह जाहिरशाह) ने मुझे खुद याद किया| पहली बार मैंने समय मांगा था| इस बार उन्होंने पि्रंस मुस्तफा (अपने पोते) को मेरे पास भेजा | पि्रंस मीर वाइज और पि्रंस मुस्तफा (38 साल) दोनों ही कुंवारे हैं| चाचा-भतीजा, दोनों को वधू की तलाश है| बादशाह के सामने जब मैंनंे कहा कि ये दोनों राजकुमार इतने सुन्दर और सुकुमार हैं कि कोई भी श्रेष्ठ भारतीय मुस्लिम परिवार इन्हें अपनी बेटी देना चाहेगा| इस पर दोनों राजकुमारों ने अपने होठ सिल लिए| उन्हें सकपकाया देखकर 89 वर्षीय जाहिरशाह मुझसे बोले ‘ अगर यह प्रस्ताव आप मेरे सामने रखते तो मैं स्वीकार कर लेता |’ शाह की इस बात पर वहां उपस्थित पूरा खानदान ठहाके लगाने लगा| शाह ने कहा : ‘हिन्दी’लड़कियों में सूरत और सीरत दोनों होती हैं| क्या तुम लोग हिन्दी फिल्में नहीं देखते ? ‘हिन्दी’ औरतों के साथ जो शादी होती है, वह कई-कई जनम तक चलती हैं|’ जब मैं चलने लगा तो दोनों राजकुमारों की आंखों में खुशी थिरक रही थी| वे कहने लगे कि आप हमारे मुल्ला होंगे| बादशाह के सचिव ने कहा कि मैं दोनों का बायोडेटा आपके पास भिजवा रहा हूं|
तेईस मार्च को आने वाली ‘आर्याना एयरलाइंस’ की उड़ान लगभग पांच घटें लेट हो गयी | प्रसिद्घ मुजाहिद नेता पीर गैलानी की बेटी और रिर्जव बैंक के गर्वनर डा. अहदी की पत्नी फातिमा गैलानी मेरे साथ ही दिल्ली आने वाली थीं| दिल्ली से उन्हें लंदन का जहाज पकड़़ना था| वे नहीं आयीं, क्योंकि उन्हें शक था कि उन्हें अगली उड़ान नहीं मिल पाएगी | मुझे भी कहा गया कि मैं 23 मार्च को यात्रा टाल दूं| राष्ट्र्रपति करजई भी चाहते थे कि दो दिन बाद दुबारा मिलें | लेकिन मैं अड़ा रहा और दिल्ली आ गया| दिल्ली आने पर पता चला कि अभी तीन-चार घटें पहले ही अपनी माताजी ने अंतिम सांस ली| उसी वक्त इंदौर रवाना हुए| समय पर पहुंच गये| इंदौर जैसे शहर में सैकड़ों लोग किसी के शव के पीछे चले, यह बड़ी बात नहीं लेकिन अजूबा यह हुआ कि अंत्येष्टि के समय पिताजी ने मुझे और भाई श्वेतकेतु से नहीं, छोटी बहन डा. सुभद्रा सिंघल से कहा कि वह हमारी माता को मुखाग्नि दें| स्त्री अधिकार की नयी मिसाल कायम हुई | घृत, हवन सामग्री और चंदन की प्रचुर आहुतियों तथा वेदमंत्रों के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ|
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