Dainik Bhaskar, 31 Dec 2003 : दक्षेस सम्मेलन में पाकिस्तान कश्मीर का मुद्दा नहीं उठाएगा, यह शुभ समाचार है| यह शुभ इसलिए कि हर बार वह कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत को तो चिढ़ाता ही है, दक्षेस के संविधान का भी उल्लंघन करता है| दक्षेस के संविधान में स्पष्ट लिखा है कि सम्मेलन के दौरान कोई भी द्विपक्षीय विवाद का मुद्दा नहीं उठाया जाएगा| इस प्रावधान के बावजूद पाकिस्तानी राष्ट्रपति या … [Read more...] about मुशर्रफ को अपूर्व अवसर देता दक्षेस
2003
गुजरात में धर्मबंधु
R Sahara, Dec 2003: स्वामी धर्मबंधु के आग्रह पर एक दिन के लिए प्रांसला नामक गॉंव में गया| प्रांसला गुजरात के राजकोट जिले में है| गॉंधीजी का जिला| प्रांसला पोरबंदर से 80 कि.मी. है और राजकोट उससे आगे 100 कि.मी. की दूरी पर है| 16 घंटे में से 14 घंटे जहाज और कार में बिताए| एक ही दिन में इतनी ताबड़तोड़ यात्रा इसलिए की कि ब्रह्मचारी धर्मबंधु गुजरात के गॉंवों में विलक्षण काम कर रहे … [Read more...] about गुजरात में धर्मबंधु
मुशर्रफ का पैंतरा है, नरमी नहीं
R Sahara, 25 Dec 2003: कश्मीर पर सुरक्षा परिषद् के प्रस्ताव को ‘अलग रखने’ की बात जनरल मुशर्रफ ने क्या कही कि पाकिस्तान में बवाल उठ खड़ा हुआ और भारत में आशा की लहर दौड़ गई| ये दोनों प्रतिक्रियाऍं एक-दूसरे की विरोधी हैं लेकिन दोनों स्वाभाविक हैं क्योंकि पिछले 55 वर्षों से दोनों राष्ट्र इसी प्रस्ताव को मान्य करने और अमान्य करने पर तलवार भॉंज रहे हैं| कश्मीर के खॅूंटे पर यह … [Read more...] about मुशर्रफ का पैंतरा है, नरमी नहीं
नेताओं की निंदा
R Sahara, Dec 2003 : नेताओं की जैसी निंदा मुख्य चुनाव आयुक्त जे.एम. लिंग्दोह ने की है, क्या कभी कोई पदासीन व्यक्ति करता है ? ऐसी निंदा तो उच्चतम न्यायालय ने भी कभी नहीं की| माना जा सकता है कि लिंग्दोह ने अपने पद की मर्यादा का ध्यान नहीं रखा और अतिरेकपूर्ण उपमा दे डाली लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा है, उसके मर्म से कौन असहमत हो सकता है ? अपवाद तो हर जगह होते हैं| राजनीति में भी … [Read more...] about नेताओं की निंदा
सद्दाम अब ज्यादा खतरनाक
Nav Bharat Times, 17 Dec 2003 : जेल में पड़ा सद्दाम, गड्ढे में छुपे सद्दाम से अधिक बड़ा सिरदर्द साबित होगा, यह बात अभी जॉर्ज बुश और टोनी ब्लेयर को समझ नहीं पड़ रही है, इसीलिए वे एक-दूसरे को बधाइयॉं दे रहे हैं| गॉंव के किसी गड्ढे में छिपा हुआ सद्दाम अमेरिका का क्या बिगाड़ रहा था या क्या बिगाड़ सकता था ? उसे जान के लाले पड़े हुए थे| हर रात उसे अपना ठिकाना बदलना होता था| उसके … [Read more...] about सद्दाम अब ज्यादा खतरनाक
हिंदी विदेशी भाषा है
R Sahara, 6 Dec 2003 : तीन मूर्ति भवन में हुई अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी ने हमारी ऑंखें खोल दीं| इस संगोष्ठी में चीन, जापान, यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका आदि से लगभग दर्जन भर विद्वान आए थे| चीनी विद्वान प्रो. कुई ने जो कुछ कहा था, वह आपने पिछले हफ्ते पढ़ा| दूसरे दिन की संगोष्ठी की अध्यक्षता करने के लिए मुझे कहा गया| जितने विदेशी विद्वान बोले, उनसे उनके देशों में अक्सर मेरी भेंट होती … [Read more...] about हिंदी विदेशी भाषा है
नए मुद्दे उछालते चुनाव परिणाम
R Sahara, 6 Dec 2003: पॉंच-सात राज्यों के चुनाव क्या इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि वे देश की दिशा ही बदल दें ? वर्तमान चुनाव कुछ ऐसे ही हैं| पहले भी इस तरह के चुनाव हुए हैं| जैसे आपात्काल के बाद मोरारजी देसाई ने और इंदिराजी की वापसी के बाद कॉंग्रेस ने करवाए थे| बाबरी मस्जिद के टूटने के बाद भी कुछ राज्यों मेंे चुनाव हुए थे लेकिन उन सब चुनावों में केंद्र के सत्तारूढ़ दल ने बहती … [Read more...] about नए मुद्दे उछालते चुनाव परिणाम
मुफ्त हाथ आए तो बुरा क्या है
Nav Bharat Times, 5 Dec 2003 : क्या खूब खेल चल रहा है ? भारत और पाकिस्तान अपनी-अपनी मूल टेक पर अड़े हुए हैं, फिर भी दोनों के बीच शस्त्र-विराम और हवाई-मार्ग समझौते भी हो रहे हैं| कोई आश्चर्य नहीं कि अमृतसर-लाहौर, श्रीनगर-मुजफ्फराबाद और राजस्थान-सिंध बसें भी चल पड़ें| मुम्बई-कराची यात्री-जहाज भी चल पड़ेंगे| जब इतनी चीजों के चलने के समझौते हो जाऍंगे तो भला समझौता-एक्सप्रेस क्यों … [Read more...] about मुफ्त हाथ आए तो बुरा क्या है
दक्षेस के कारण नरम होता पाकिस्तान
Dainik Bhaskar, 4 Dec 2003 : भारत और पाकिस्तान के बीच कैसे-कैसे अजूबे होते रहते हैं| दोनों पड़ौसियों के संबंध कब खाई में उतर जाऍंगे और कब पहाड़ पर चढ़ जाऍंगे, कुछ पता ही नहीं चलता| अभी कुछ माह पहले दोनों देश एक-दूसरे को सबक सिखाने का दावा कर रहे थे और अब अचानक उन्होंने अपनी सीमाओं पर शस्त्र-विराम लागू कर दिया है और हवाई मार्ग खोलने की घोषणा कर दी है| कोई आश्चर्य नहीं कि शीघ्र … [Read more...] about दक्षेस के कारण नरम होता पाकिस्तान
कश्मीर : राग संयुक्तराष्ट्र ?
R Sahar, Dec 2003: जनरल परवेज़ मुशर्रफ के मुंह से निकली बात अगर सही है तो मानना पड़ेगा कि पाकिस्तान अपने पचास साल पुराने पिंजरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है| ‘रायटर’ को दी भेंट में मुशर्रफ ने कश्मीर पर संयुक्तराष्ट्र के प्रस्ताव को अलग रखने की बात कही है| कश्मीर के रेकॉर्ड में संयुक्तराष्ट्र की सुई इतनी गहरी अटक गई थी कि ताशकंद, शिमला और लाहौर घोषणाओं के बावजूद पाकिस्तान … [Read more...] about कश्मीर : राग संयुक्तराष्ट्र ?