नया इंडिया, 11 नवंबर 2013 : अमेरिका-जैसा महाशक्ति राष्ट्र भी कैसे अपनी कौड़ी पलटता है,यह देखने लायक है। भारत के कुछ वामपंथी और प्रचारप्रिय बुद्धिजीवियों के जोर देने पर अमेरिकी सरकार ने नरेन्द्र मोदी के अमेरिका प्रवेश पर रोक की घोषणा कर दी थी। सन् 2005 के बाद अमेरिका में बसे भारतीयों ने कई सम्मेलन किए,जिसमें मोदी मुख्य अतिथि थे,लेकिन उसमें वे भाग नही ले सके थे,क्योकि अमेरिकी सरकार उन्हें वीजा देने को तैयार नही थी। वहां एकत्रित लोगों को मोदी ने ‘स्काइप’ पर ही संबोधित किया। पर अब मोदी का प्रभाव अमेरिका के प्रवासी भारतीयों पर तो बढ़ ही रहा है,अमेरिकी नीति-निर्माताओं पर भी उसका जादू चल रहा है।
पिछले दिनों कुछ अमेरिकी सांसद अहमदाबाद आकर मोदी से मिले भी थे। ताजा खबर यह है कि अमेरिकी सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है कि मोदी का वीजा तो कभी कोई मुद्दा नही रहा। क्यों नही रहा? क्योंकि यदि वे प्रधानमंत्री बन गए तो उन्हें आने से कैसे रोका जाएगा? इसका अर्थ क्या है? पहला अर्थ तो यही है कि अमेरिका भी यह मनाने के लिए मजबूर हो गया है कि अब मोदी का रुकना मुश्किल ही है। अब वे प्रधानमंत्री बन कर रहेंगे। यदि अमेरिका मोदी के इतने ही विरुद्ध है तो उसे अपनी बात पर डटना चाहिए था, मोदी प्रधानमंत्री बने या ना बने। अमेरिका नहीं डट रहा है और उसने अभी से हकलाना शुरू कर दिया है, यह किस बात का सूचक है? क्या इसका नहीं कि अमेरिका भी दब्बू राष्ट्र है? वह भी शक्ति की पूजा करता है। अमेरिका की गुप्तचर एजेंसियां भारत की दीवारों पर लिखी जा रही इबारतों को अच्छी तरह पढ़ रही है। उन्हें पता है कि भावी प्रधानमंत्री से बैर मोल ले कर अमेरिका अपना ही नुकसान करेगा। अभी-अभी ‘गोल्डमेन साख्स’ ने भारत के बारे में जो भविष्यवाणियां की है, उनमें ‘भारत के मोदीकरण’ की बात कही है और इसी आधार पर उसने भारत के बाजारों में जोश पैदा कर दिया है। इसी प्रकार ‘यूएस कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस’ ने जो अमेरिकी संसद का संगठन है, अपने विश्लेषण में भाजपा की प्रशंसा शुरू कर दी है। उसका कहना है कि भाजपा ने हिंदुत्व का मुद्दा पीछे खिसका दिया और उसने सुप्रशासन और विकास पर जोर देकर लोकप्रियता हासिल कर ली है। वह अभी भी यह नहीं कह रही है कि मोदी की लहर उठ रही है और वह सारे भारत पर छा जाएगी। चुनाव आने तक अमेरिकी सरकार और सांसद दोनों मोदी का स्वागत करने लगेंगे, इसमें संदेह नहीं है। धीर-धीरे अमेरिका भी पटरी पर आ जाएगा। – See more at: http://www.nayaindia.com/opinion/u-s-penny-reverse-194721.html#sthash.Y9zR1xEn.dpuf
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