नया इंडिया, 19 जनवरी 2014:आम आदमी पार्टी के उन दोनों मंत्रियों को बधाई, जिन्होंने अपराधियों को पकड़ने की अपूर्व पेशकश की। ये मंत्री खुद घटना-स्थल पर पहुंच गए और अपराधियों को रंगे हाथ पकड़वाने की कोशिश उन्होंने की। कौन मंत्री इतना साहस करता है? अपने आपको प्रधानमंत्री से भी बड़ा समझने वाले नेतागण तो चादर ओढ़कर सोते रहते हैं। निर्भया का बलात्कार हुआ। सारा देश प्रकंपित हुआ लेकिन पुश्तैनी नेतागण के कान पर जूं तक न रेंगी लेकिन ‘आप’ के मंत्रिगण मध्य-रात्रि को दौड़ गए।अब इन मंत्रियों के नेतागण कह रहे हैं कि चार पुलिस अधिकारियों को मुअत्तिल करो, वरना हम अनशन पर बैठेंगे। क्यों मुअत्तिल करो? क्यों उन्होंने मंत्रियों के आदेश का पालन नहीं किया। पुलिस और मंत्रियों में घटना-स्थल पर ही ठन गई थी। पुलिसवालों की इतनी हिम्मत कैसे पड़ गई कि उन्होंने मंत्रियों के आदेश का पालन नहीं किया? एक मंत्री ने उस परिवार के लोगों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था, जिन्होंने अपनी बहू को जलाने की कोशिश की थी और दूसरे मंत्री ने कुछ अफ्रीकी महिलाओं को वेश्यावृत्ति के आरोप में गिरफ्तार करवाना चाहा था। पुलिस की दिक्कत यह थी कि उसके पास आरोपित अपराधियों की गिरफ्तारी का वारंट नहीं था। याने मंत्रियों की मंशा चाहे ठीक थी लेकिन आदेश कानून के अनुसार नहीं था। यदि पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती तो अदालत में उसकी फजीहत होती। सरकार उसे बचा नहीं पाती।
‘आप’ के नेताओं के उत्साह की दाद देनी होगी, क्योंकि मंत्री लोग पुलिस के काम में अक्सर हस्तक्षेप तभी करते हैं, जबकि उन्हें उससे कोई गलत काम करवाने होते हैं (जैसा कि पूर्व गृह सचिव ने गृहमंत्री पर आरोप लगाया है) जबकि ‘आप’ के मंत्री सही काम के लिए दखलंदाजी कर रहे थे। लेकिन यहां मूल प्रश्न यह है कि सही काम के लिए क्या सही तरीका अपनाया गया था? यदि तरीका गलत हो तो सही काम भी खटाई में पड़ जाता है। यह गलती उत्साह के आधिक्य और अनुभव की कमी के कारण हुई है। इसके अलावा ‘आप’ की सरकार से कोई पूछे कि कोई सेनापति सीमांत पर पहुंचकर गोलियां दागता है, क्या? क्या उसे अपने जवानों पर विश्वास नहीं है? यदि आपको अपनी पुलिस और अफसरों पर विश्वास नहीं है तो आप सरकार कैसे चलाएंगे? क्या अपराधियों को पकड़वाने के लिए मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री रात भर गलियों के चक्कर लगाते रहेंगे? यदि हां तो दिन में सरकार कौन चलाएगा? सरकार चलाना और आंदोलन चलाना, दो अलग-अलग बाते हैं। इसके अलावा अफ्रीकी महिलाओं के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ और उनकी जांच के नाम पर अस्पताल में उनकी जो बेइज्जती हुई, उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? अफ्रीकी देशों के अखबारों में भारत की बदनामी का खामियाजा कौन भुगतेगा? यह सरकार तो दिल्ली प्रदेश की है लेकिन बदनामी पूरे भारत की हो रही है। कहीं ऐसा तो नहीं कि डेनमार्क की महिला के साथ हुए बलात्कार की खबर को दबाने के लिए यह स्वांग रचा गया था? यदि ऐसा है तो आम आदमी पार्टी जल्दी ही अपने आपको आम नौटंकी पार्टी बना लेगी। मुख्यमंत्री का अनशन इस नौटंकी को काफी रंग-बिरंगा बना देगा।
Leave a Reply